Parenting Tips: बच्चों की परवरिश माता-पिता के लिए सबसे बड़ी जिम्मेदारी होती है। परवरिश करने के दौरान जितनी जिम्मेदारी माता की होती है उतनी ही पिता की भी होनी चाहिए। पहले के जमाने में बच्चों को पालना पोसना और उनकी परवरिश करने की जिम्मेदारी ज्यादा सिर्फ और सिर्फ मां की रहती थी पिता का काम सिर्फ काम करके पैसे कमाने जितना रहता था, लेकिन अब जैसे-जैसे जमाना बदल रहा है आजकल माता भी बाहर काम करने जाती हैं जिसके चलते सिर्फ माता तक की जिम्मेदारी नहीं रही है बल्कि माता-पिता दोनों ही बराबर की जिम्मेदारी निभाते हैं। कई शोध में ऐसा भी पाया गया है कि जब बच्चे की परवरिश माता और पिता दोनों मिलकर करते हैं जब दोनों ही बराबर की जिम्मेदारी निभाते हैं तो इससे बच्चों को आगे बढ़ाने में काफी मदद मिलती है, आज हम आपको इस लेख के द्वारा बताइए की मां के साथ-साथ पिता की भी जिम्मेदारी बच्चों के लिए कितनी फायदेमंद होती है, तो चलिए जानते हैं।
बच्चे बनते है इमोशनली मजबूत
आजकल के पिता अपनी जिम्मेदारियों को बखूबी समझते हैं और बच्चों की परवरिश में सक्रिय भूमिका निभा रहे हैं। वे डायपर बदलने, रात में सुलाने जैसे कामों में भी सहजता से योगदान करते हैं। आजकल लिंग समानता और पिता की भूमिका को लेकर सामाजिक जागरूकता बढ़ी है। इससे पिता अपनी जिम्मेदारियों को समझने और निभाने के लिए प्रेरित हो रहे हैं। आधुनिक महिलाएं शिक्षा और करियर में आगे बढ़ रही हैं, जिसके कारण घरेलू कामों में उनका समय कम हो जाता है। इस स्थिति में पुरुषों का सहयोग महत्वपूर्ण हो जाता है। आजकल के पिता अपने बच्चों से प्रेम और लगाव महसूस करते हैं। वे उनके विकास और खुशी में महत्वपूर्ण भूमिका निभाना चाहते हैं।
आगे बढ़ने में मिलती है मदद
हालिया शोध से पता चला है कि जिन बच्चों के पिता उनके जीवन में इन्वॉल्व और सपोर्टिव होते हैं, वे बच्चे जीवन में अधिक सफल होते हैं। उन्हें अच्छी शिक्षा प्राप्त करने का अवसर मिलता है। वे जीवन में सफल होते हैं और अच्छे करियर बनाते हैं। वे आत्मनिर्भर बनते हैं और अपने जीवन पर नियंत्रण रखते हैं। वे आत्मविश्वास से भरे होते हैं और अपनी क्षमताओं पर विश्वास करते हैं।
रोल मॉडल
बच्चे अपने पिता को आदर्श मानते हैं और उनके जैसे बनना चाहते हैं। पिता बच्चों के जीवन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं और उन्हें काफी कुछ सिखाते हैं। पिता बच्चों को सच बोलना, ईमानदारी से रहना, दूसरों का सम्मान करना जैसे नैतिक मूल्यों को सिखाते हैं। वे बच्चों को समस्याओं का समाधान करने, निर्णय लेने और जिम्मेदारी लेने जैसे जीवन कौशल सिखाते हैं। वे बच्चों को दूसरों से बातचीत करने, दोस्त बनाने और सामाजिक रूप से स्वीकार्य बनने जैसे सामाजिक कौशल सिखाते हैं। वे बच्चों को प्रेम, करुणा और सहानुभूति जैसे मानवीय मूल्यों को सिखाते हैं।
मानसिक स्वास्थ रहता है बेहतर
पिता बच्चों के मानसिक स्वास्थ्य में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। बच्चों में डर और तनाव जैसी भावनाएं कम होती हैं। घर में सकारात्मक माहौल बनता है। बच्चे बेहतर सोच के साथ आगे बढ़ते हैं। वे मजबूत और मानसिक रूप से स्वस्थ बनते हैं।
Disclaimer- यहां दी गई सूचना सामान्य जानकारी के आधार पर बताई गई है। इनके सत्य और सटीक होने का दावा MP Breaking News नहीं करता।