Parenting Tips: क्या आपके बच्चे का सेल्फ कॉन्फिडेंस कम हो रहा है? जानें ये कारण

Parenting Tips: आजकल कई बच्चों में कम आत्मविश्वास की समस्या देखने को मिलती है। यह चिंता का विषय है क्योंकि कम आत्मविश्वास बच्चे के जीवन के कई पहलुओं को प्रभावित कर सकता है, जैसे कि उनकी पढ़ाई, सामाजिक जीवन और भविष्य की संभावनाएं।

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Parenting Tips: आजकल बच्चों में कम आत्मविश्वास एक आम समस्या बनती जा रही है। यह सिर्फ उनके चेहरे पर दिखने वाले भाव से कहीं ज्यादा गहरी जड़ वाली जटिलता है। कम आत्मविश्वास का असर उनके पढ़ाई, दोस्ती, और भविष्य की तरक्की पर भी पड़ता है। इस समस्या की कई जड़ें हो सकती हैं. कभी-कभी बच्चे खुद से ही नकारात्मक बातें करने लगते हैं, अपनी क्षमताओं पर शक करते हैं। कई बार उन्हें दूसरों से लगातार तुलना करने से भी उनका आत्मविश्वास कमजोर पड़ जाता है। अत्यधिक डांट-फटकार या असफलता का डर भी उन्हें पीछे धकेल सकता है। इसके अलावा स्कूल में बदमाशी का शिकार होना, शारीरिक बनावट को लेकर असुरक्षा या नींद-पोषण की कमी भी उनके आत्मविश्वास को प्रभावित कर सकती है।

लेकिन माता-पिता के रूप में आप अपने बच्चे का खोया हुआ आत्मविश्वास वापस लाने में अहम भूमिका निभा सकते हैं. उनकी हर छोटी-बड़ी उपलब्धि को सराहें, उनकी गलतियों को सीखने के मौके के रूप में देखें। उनकी ताकतों को पहचाने उनकी हिम्मत बढ़ाएं। उन्हें चुनौतियों का सामना करने के लिए प्रेरित करें और असफलता को भी सीखने का हिस्सा मानना सिखाएं। अपने बच्चे के लिए सकारात्मक माहौल बनाएं जहां वो बिना किसी डर के खुद को व्यक्त कर सकें। उन्हें स्वस्थ आदतें अपनाने में मदद करें ताकि वो चुस्त-दुरुस्त रहें और आत्मविश्वास के साथ आगे बढ़ सकें. अगर जरूरत लगे तो किसी मनोवैज्ञानिक की मदद लेने में भी संकोच न करें।

याद रखें, आप अकेले नहीं हैं। कई माता-पिता इसी तरह की चुनौतियों का सामना कर रहे हैं। अपने बच्चे के आत्मविश्वास को वापस लाने के लिए दूसरों से राय लें, शिक्षकों से बात करें और उनकी मदद लें। यह एक मुश्किल रास्ता जरूर है लेकिन निरंतर प्रयत्न और सकारात्मक सोच से आप अपने बच्चे का हाथ थामकर उन्हें आत्मविश्वास से भरपूर भविष्य की ओर ले जा सकते हैं।

नेगेटिव सेल्फ टॉक

नकारात्मक आत्म-बात, बच्चों के विकास में एक गंभीर बाधा बन सकती है। जब बच्चे खुद से लगातार नकारात्मक बातें करते हैं, जैसे “मैं ऐसा नहीं कर सकता” या “मैं बहुत मूर्ख हूँ”, तो यह उनके आत्मविश्वास को कमजोर करता है और उन्हें अपनी क्षमताओं पर संदेह करने लगता है। यह नकारात्मक सोच का चक्र धीरे-धीरे उन्हें असफलता की ओर धकेल सकता है। वे चुनौतियों से बचने लगते हैं, नए अवसरों को हाथ से जाने देते हैं, और धीरे-धीरे उनका आत्म-सम्मान भी कम होता जाता है। यह नकारात्मक सोच कई कारणों से हो सकती है, जैसे कि माता-पिता या शिक्षकों द्वारा अत्यधिक आलोचना, लगातार तुलना, असफलता का डर, या कम आत्मसम्मान।

दुसरो के साथ तुलना करना

हर बच्चा अनोखा होता है, अपनी प्रतिभा और क्षमताओं के साथ। लेकिन जब बच्चों की लगातार दूसरों से, खासकर उनसे जो उनसे बेहतर प्रदर्शन करते हैं, तुलना की जाती है, तो यह उनके आत्मविश्वास को गंभीर रूप से कमजोर कर सकता है। यह तुलना कई रूपों में हो सकती है, जैसे कि अकादमिक प्रदर्शन, खेलकूद, सामाजिक कौशल, या शारीरिक बनावट। जब बच्चे खुद को दूसरों से कमतर समझने लगते हैं, तो उनमें हीन भावना और निराशा पैदा होती है। यह नकारात्मक भावनाएं उन्हें अपनी क्षमताओं पर संदेह करने और चुनौतियों से बचने के लिए प्रेरित करती हैं। धीरे-धीरे उनका आत्मविश्वास कम होता जाता है और वे अपनी पूरी क्षमता तक नहीं पहुंच पाते हैं।

अत्यधिक आलोचना और डांट-फटकार

हर बच्चा गलतियां करता है, सीखता है और आगे बढ़ता है। लेकिन जब उन्हें हर गलती पर अत्यधिक डांट-फटकार और आलोचना का सामना करना पड़ता है, तो यह उनके मन में डर पैदा कर देता है. वे नई चीजें सीखने से कतराने लगते हैं और अपनी राय जाहिर करने में भी संकोच करते हैं। यह डर धीरे-धीरे उनके आत्मविश्वास को कम कर देता है।

असफलता का डर

कुछ बच्चे असफलता से इतना ज्यादा डरते हैं कि वे चुनौतियों का सामना करने से ही कतराते हैं। वे जोखिम लेने से हिचकिचाते हैं, जिससे उन्हें नई चीजें सीखने और खुद को साबित करने के मौके नहीं मिल पाते हैं। यह असफलता का डर उनके सीखने की प्रक्रिया को रोकता है और आत्मविश्वास को कम करता है।

(Disclaimer- यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं के आधार पर बताई गई है। MP Breaking News इसकी पुष्टि नहीं करता।)


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भावना चौबे

भावना चौबे

इस रंगीन दुनिया में खबरों का अपना अलग ही रंग होता है। यह रंग इतना चमकदार होता है कि सभी की आंखें खोल देता है। यह कहना बिल्कुल गलत नहीं होगा कि कलम में बहुत ताकत होती है। इसी ताकत को बरकरार रखने के लिए मैं हर रोज पत्रकारिता के नए-नए पहलुओं को समझती और सीखती हूं। मैंने श्री वैष्णव इंस्टिट्यूट ऑफ़ जर्नलिज्म एंड मास कम्युनिकेशन इंदौर से बीए स्नातक किया है। अपनी रुचि को आगे बढ़ाते हुए, मैं अब DAVV यूनिवर्सिटी में इसी विषय में स्नातकोत्तर कर रही हूं। पत्रकारिता का यह सफर अभी शुरू हुआ है, लेकिन मैं इसमें आगे बढ़ने के लिए उत्सुक हूं। मुझे कंटेंट राइटिंग, कॉपी राइटिंग और वॉइस ओवर का अच्छा ज्ञान है। मुझे मनोरंजन, जीवनशैली और धर्म जैसे विषयों पर लिखना अच्छा लगता है। मेरा मानना है कि पत्रकारिता समाज का दर्पण है। यह समाज को सच दिखाने और लोगों को जागरूक करने का एक महत्वपूर्ण माध्यम है। मैं अपनी लेखनी के माध्यम से समाज में सकारात्मक बदलाव लाने का प्रयास करूंगी।

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