Parenting Tips: माता-पिता पर बहुत ज़िम्मेदारी होती है कि वे अपने बच्चों को सही मार्गदर्शन दे सकें और उन्हें जीवन में सफल होने के लिए तैयार कर सकें। आजकल के समय में माता-पिता पर और भी ज़्यादा दबाव होता है। उन्हें अपने बच्चों को सब कुछ देना चाहते हैं और उन्हें बेहतर से बेहतर शिक्षा और सुविधाएं प्रदान करना चाहते हैं। लेकिन यह याद रखना ज़रूरी है कि भौतिक सुविधाएं सब कुछ नहीं होतीं। बच्चों को सबसे ज़्यादा प्यार, समर्थन और मार्गदर्शन की ज़रूरत होती है। आज हम आपको माता-पिता की उन गलतियों की बारें में बताने जा रहे हैं, जो वे जाने अनजाने में कर देते हैं और इससे बच्चों पर बुरा असर पड़ता हैं, इसलिए माता-पिता को वक्त रहते ये गलतियां सुधार लेना चाहिए।
पेरेंट्स की ये 3 आदतें जो कर देती है बच्चों का बचपन ख़राब
बाहर खेलने से रोकना
आजकल के दौर में, बच्चे बाहर खेलने की बजाय स्मार्टफोन, टैबलेट या लैपटॉप में गेम खेलना ज़्यादा पसंद करते हैं। यह चिंताजनक है क्योंकि बाहर खेलना बच्चों के विकास के लिए बहुत ज़रूरी होता है। बाहर खेलने से बच्चों को शारीरिक और मानसिक रूप से स्वस्थ रहने में मदद मिलती है। यह उनकी रचनात्मकता, कल्पनाशक्ति और सामाजिक कौशल को भी विकसित करता है। स्क्रीन का अत्यधिक उपयोग बच्चों के स्वास्थ्य और विकास पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकता है। इससे मोटापा, आंखों की समस्याएं, नींद संबंधी विकार और एकाग्रता की कमी जैसी समस्याएं हो सकती हैं। साथ ही यह बच्चों को सामाजिक रूप से अलग-थलग कर सकता है और उनकी संवाद और सहयोग करने की क्षमता को कम कर सकता है। यह ज़रूरी है कि माता-पिता अपने बच्चों को बाहर खेलने के लिए प्रोत्साहित करें। उन्हें स्क्रीन के समय को सीमित करना चाहिए और उनके साथ खेल में भाग लेना चाहिए।
हर जिद पूरी करना
कुछ माता-पिता समय और ऊर्जा बचाने के लिए बच्चों की हर जिद को प्यार समझकर बिना कुछ बोले ही पूरा कर देते हैं। यह सोच गलत है और बच्चों के विकास पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकती है। बच्चों को सीमाएं और अनुशासन सिखाना बहुत ज़रूरी है। जब आप उनकी हर जिद को पूरा करते हैं, तो आप उन्हें यह सिखाते हैं कि दुनिया उनके इर्द-गिर्द घूमती है और उन्हें जो चाहिए वो मिल जाना चाहिए। इससे वे अहंकारी, आत्मकेंद्रित और बिगड़ैल बन सकते हैं। बच्चों को यह सिखाना महत्वपूर्ण है कि उन्हें सब कुछ नहीं मिल सकता और उन्हें दूसरों की बात माननी होगी। जब आप उनकी जिद का विरोध करते हैं, तो आप उन्हें यह सिखा रहे होते हैं कि सीमाओं का सम्मान करना ठीक है। यह उन्हें निराशाजनक स्थितियों से निपटने और जीवन में सफल होने के लिए तैयार करता है।
हमेशा जीत के बारें में बताना
आजकल के समय में बच्चों के बीच प्रतिस्पर्धा काफी बढ़ गई है। ऐसे में हर माता-पिता बच्चों को जीतने के लिए प्रोत्साहित करते हैं। लेकिन इन सब में माता-पिता बच्चों को असफलता से निपटना नहीं सिखाते। हालांकि कोई भी माता-पिता यह नहीं चाहते कि उनका बच्चा हारे या असफल हो लेकिन यह बहुत ज़रूरी है कि बच्चे असफलता से डरें नहीं और उससे सीखना जानें। असफलता जीवन का एक अनिवार्य हिस्सा है। हर व्यक्ति अपने जीवन में कभी न कभी असफलता का सामना करता है। यह ज़रूरी है कि बच्चे असफलता से डरें नहीं और उसे एक अवसर के रूप में देखें। असफलता से बच्चे बहुत कुछ सीख सकते हैं। वे अपनी गलतियों से सीख सकते हैं और अगली बार बेहतर प्रदर्शन करने के लिए तैयार हो सकते हैं। असफलता उन्हें अधिक लचीला और मजबूत भी बना सकती है।
तुलना करना
कई माता-पिता अपने बच्चों की तुलना दूसरों से करते हैं, जैसे भाई-बहन, दोस्त या रिश्तेदार। यह बहुत गलत है क्योंकि हर बच्चा अलग होता है और उसकी अपनी खूबियां और कमियां होती हैं। तुलना करने से बच्चों में हीन भावना, आत्मविश्वास की कमी, ईर्ष्या और असुरक्षा की भावना पैदा हो सकती है। यह ज़रूरी है कि माता-पिता अपने बच्चों को यह समझाएं कि वे विशेष हैं और उनकी अपनी अनोखी प्रतिभाएं हैं। उन्हें अपनी तुलना दूसरों से नहीं करनी चाहिए बल्कि अपनी प्रगति पर ध्यान देना चाहिए।
(Disclaimer- यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं के आधार पर बताई गई है। MP Breaking News इसकी पुष्टि नहीं करता।)