Parenting Tips: माता-पिता अपने बच्चों को खुश रखने और समझदार बनाने के लिए जितने प्रयास हो सकते हैं, सभी करते हैं। हर माता-पिता की यही ख्वाहिश होती है कि उनका बच्चा अच्छे से पढ़ाई लिखाई करें और एक होशियार इंसान बने।
लेकिन क्या इसके लिए बच्चों को बार-बार डांटना, मारना, पढ़ाई का कहना या फिर पूरे समय स्कूल, कोचिंग और घर पर पढ़ाई में बच्चों का समय बिताना वाकई में बच्चों को पढ़ाई में तेज बना सकता है? हो सकता है इन आदतों की वजह से बच्चा पढ़ाई में होशियार बन जाए लेकिन कहीं ना कहीं उसकी मेंटल हेल्थ पर असर पड़ सकता है।
बच्चों को पढ़ाई में होशियार बनने के साथ-साथ उनकी मेंटल हेल्थ का भी ध्यान रखना माता-पिता का कर्तव्य है। इसके लिए माता-पिता को रोजाना इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि वह अपने बच्चों के प्रति किस तरह का व्यवहार रख रहे हैं, किस तरह की उम्मीदें बच्चों से लगा रहे हैं, और किस तरह की बातें वे अपने बच्चों से कहते हैं।
इस बात को समझें
हर बच्चा अलग-अलग होता है, बच्चों का दिमाग भी अलग होता है। कोई बच्चा 2 घंटे पढ़कर भी अच्छे मार्क्स ला सकता है, तो वहीं कुछ 8 घंटे पढ़कर भी ज्यादा अच्छे मार्क्स नहीं ला पाता है। ऐसे में अगर आप बार-बार अपने बच्चों पर अच्छे नंबर लाने का दबाव डालेंगे, तो ऐसे में उनकी मेंटल हेल्थ पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकते हैं। इसकी बजाय कुछ आसान आदतें है, जिन्हें अपनाकर आप अपने बच्चों को होशियार बनाने में मदद कर सकते हैं।
घर का माहौल पॉजिटिव बनाएं
सबसे पहले तो इस बात का ध्यान रखें कि आपके घर का माहौल पॉजिटिव है या नहीं। अगर नहीं है तो सबसे पहले घर का माहौल पॉजिटिव बनाएं, पॉजिटिव माहौल बच्चों को आत्मविश्वास और आत्मनिर्भरता सिखाता है। पढ़ाई के अलावा बच्चों की उन चीजों पर भी ध्यान दें, जिसमें उन्हें रुचि है।
समय का सही उपयोग करना सिखाएं
अगर बच्चे समय का सही उपयोग करना सीख जाते हैं तो वह खुद ब खुद पढ़ाई में होशियार बन सकते हैं। इसके लिए बच्चों को समय का महत्व बताएं, उन्हें बताएं कि टाइम मैनेज करना कितना जरूरी है। इसके अलावा उन्हें उनकी प्राथमिकताएं बताएं, उन्हें सिखाएं की उन्हें किन चीजों को ज्यादा समय देना चाहिए और किन चीजों को कम।
किताबी ज्ञान ही नहीं है काफी
इस बात का ध्यान रखें कि बच्चों को केवल किताबों से ही ज्ञान नहीं दिया जा सकता, किताबी ज्ञान बच्चों को उम्र भर के लिए होशियार नहीं बन सकता है। जीवन की वास्तविक समस्याओं से उन्हें सिखाएं, उन्हें अलग-अलग गतिविधियों में भाग लेने के लिए प्रेरित करें, जैसे म्यूजिक, डांसिंग या फिर कोई प्रोजेक्ट वर्क।