बच्चों को बनाना चाहते हैं संस्कारी, करें ये काम, खुद-ब-खुद आ जाएंगे संस्कार

बच्चों को अच्छे संस्कार सिखाना हर माता-पिता की जिम्मेदारी होती है। कभी-कभी हमें बच्चों को सीधे तौर पर संस्कार सीखने की जरूरत नहीं होती बल्कि जाने अनजाने में जो कुछ भी हम बातें कहते हैं उससे भी बचा खुद ब खुद संस्कारी बन जाता है।

Bhawna Choubey
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Parenting Tips: संस्कार बच्चों के जीवन का अहम हिस्सा होते हैं, बच्चों की परवरिश के दौरान हर माता-पिता की यही कोशिश रहती है, कि वह अपने बच्चों को अच्छे से अच्छे संस्कार दे सकें, जिससे कि वह जीवन में आगे बढे। बच्चों में संस्कार बचपन से ही दिए जाते हैं, बचपन से ही बच्चे जैसा व्यवहार माता-पिता का देखते हैं, वैसे ही वह धीरे-धीरे होते जाते हैं।

जब माता-पिता बच्चों से प्यार, विनम्रता, ईमानदारी और सम्मान के बारे में बात करते हैं, तो बच्चों में यह गुण धीरे-धीरे विकसित होते जाते हैं। बच्चों को सही गलत समझाना और सही गलत का फर्क सिखाना बहुत जरूरी होता है। अगर आप चाहते हैं कि आपका बच्चा भी संस्कारी बने तो आपको ज्यादा कुछ करने की जरूरत नहीं है, बस कुछ ऐसी बातें हैं, जो हर माता-पिता को अपने बच्चों से कहनी चाहिए। इन बातों को सुनकर बच्चा खुद-ब-खुद संस्कारी बन जाएगा।

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दूसरों की मदद करना सिखाएं

बच्चों को दूसरों की मदद करना सिखाना चाहिए। यह एक ऐसी आदत है, जो बच्चों को न केवल दूसरों के प्रति संवेदनशील बनाती है, बल्कि उनका मन भी बड़ा और उदार बनाती है।

बच्चों को हमेशा यह सिखाना चाहिए और उनसे यह कहना चाहिए की मदद करना केवल एक अच्छा काम नहीं है बल्कि यह एक जिम्मेदारी भी है।

गलती पर माफी मांगना सिखाएं

बच्चों को अपनी गलती पर माफी मांगना सिखाना चाहिए, बच्चों से यह कहना चाहिए की माफी मांगना उनकी कमजोरी नहीं है, बल्कि यह एक मजबूत और समझदार इंसान की पहचान है।

अक्सर बच्चे इस डर से माफी नहीं मांगते हैं, की इज्जत कम हो जाएगी और वह किसी के सामने झुक जाएंगे, ऐसे में माता-पिता को बचपन से ही बच्चों में माफी मांगने की आदत डालनी चाहिए, ताकि बड़े होते-होते उनमें यह आदत अच्छे से डल जाए।

सच बोलना सिखाएं

बच्चों को हमेशा सच बोलना ही सिखाएं चाहे स्थिति कैसी भी क्यों ना हो, सच बोलने से उनकी पहचान और आत्मसम्मान दोनों मजबूत होते हैं।

जब बच्चा झूठ बोलता है, तो यह आदत उसकी दिन पर दिन बढ़ती जाती है और वह बड़े होने के बाद जहां जरूरत नहीं है वहां भी झूठ बोलने लगता है। इसलिए बच्चों को हमेशा सच बोलना सिखाएं और उन्हें बताएं कि सच बोलने से आप ईमानदार,भरोसेमंद और जिम्मेदार इंसान बनते हैं


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Bhawna Choubey

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इस रंगीन दुनिया में खबरों का अपना अलग ही रंग होता है। यह रंग इतना चमकदार होता है कि सभी की आंखें खोल देता है। यह कहना बिल्कुल गलत नहीं होगा कि कलम में बहुत ताकत होती है। इसी ताकत को बरकरार रखने के लिए मैं हर रोज पत्रकारिता के नए-नए पहलुओं को समझती और सीखती हूं। मैंने श्री वैष्णव इंस्टिट्यूट ऑफ़ जर्नलिज्म एंड मास कम्युनिकेशन इंदौर से बीए स्नातक किया है। अपनी रुचि को आगे बढ़ाते हुए, मैं अब DAVV यूनिवर्सिटी में इसी विषय में स्नातकोत्तर कर रही हूं। पत्रकारिता का यह सफर अभी शुरू हुआ है, लेकिन मैं इसमें आगे बढ़ने के लिए उत्सुक हूं।मुझे कंटेंट राइटिंग, कॉपी राइटिंग और वॉइस ओवर का अच्छा ज्ञान है। मुझे मनोरंजन, जीवनशैली और धर्म जैसे विषयों पर लिखना अच्छा लगता है। मेरा मानना है कि पत्रकारिता समाज का दर्पण है। यह समाज को सच दिखाने और लोगों को जागरूक करने का एक महत्वपूर्ण माध्यम है। मैं अपनी लेखनी के माध्यम से समाज में सकारात्मक बदलाव लाने का प्रयास करूंगी।

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