बजट में किसानों को मिल सकती है कई सौगातें, बढ़ सकती है पीएम किसान सम्मान निधि योजना की भी राशि, क्या मिलेंगे 6000 की जगह 12000?

1 फरवरी 2025 को बजट-2025 संसद में पेश होगा, ऐसे में उम्मीद की जा रही है कि केन्द्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण पीएम किसान सम्मान निधि योजना से जुड़े किसानों के लिए कोई बड़ा ऐलान कर सकती है। सम्मान निधि की राशि को बढ़ाकर 10 या 12 हजार रुपये सालाना किया जा सकता है।

Pooja Khodani
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Budget farmers Expectation : आज 31 जनवरी से बजट सत्र 2025-26 की शुरुआत होने जा रही है। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु के अभिभाषण के बाद केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण दोनों सदनों में आर्थिक सर्वेक्षण 2025 पेश करेंगी। इसके बाद 1 फरवरी 2025 को वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण वित्त वर्ष 2025-2026 का बजट पेश करेंगी। इस बजट से हर वर्ग को बड़ी उम्मीदें है।

खास करके किसानों को किसान सम्मान निधि की राशि और फसलों पर एमएसपी बढ़ने के साथ कई सौगातों की उम्मीदें है। हाल ही में बजट से पहले होने वाली बैठक में किसान संगठनों ने वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण से सस्ता दीर्घकालिक ऋण उपलब्ध कराने, टैक्स कम करने और पीएम-किसान आय सहायता को दोगुना करने का आग्रह किया है, माना जा रहा है कि वित्त मंत्री इस बजट में किसानों के लिए खजाना खोल सकती है।

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बढ़ सकती है किसान सम्मान निधि योजना की राशि

  • वर्तमान में पीएम किसान योजना के तहत किसानों को सालाना 6000 रुपए 3 किस्तों में हर 4 महीने में दिए जाते है। यह लाभ उन किसानों को मिलता है, जिनके पास 2 हेक्टेयर तक जमीन है। यह पैसा डीबीटी यानी डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर के जरिए सीधे किसानों के खाते में भेजा जाता है।
  • अगर 1 फरवरी 2025 को पेश होने वाले पूर्ण बजट 2025-26 में ग्रामीण और कृषि अर्थव्यवस्था (Rural and Agriculture Economy) को मजबूत करने मोदी सरकार इस राशि को बढ़ाने पर विचार करती है तो यह 6000 से बढ़कर 10000 या 12000 हो जाएगी। इसका लाभ 9 करोड़ किसानों को मिलेगा।

किसानों को मिल सकती है ये भी सौगातें

किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) को लेकर भी केन्द्र सरकार से बड़ी उम्मीदें हैं। किसान संगठन 23 फसलों पर मिलने वाली एमएसपी का दायरा बढ़वाकर अन्य फसलों को शामिल करना चाहते हैं। इसके अलावा किसान कृषि ऋण सीमा में भी बढ़ोतरी की आस है। खबर है कि बजट में किसान क्रेडिट कार्ड पर मिलने वाले कर्ज की सीमा को तीन लाख रुपये से बढ़ाकर पांच लाख रुपये किया जा सकता है। वही फसल बीमा योजना का विस्तार हो सकता है।


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खबर वह होती है जिसे कोई दबाना चाहता है। बाकी सब विज्ञापन है। मकसद तय करना दम की बात है। मायने यह रखता है कि हम क्या छापते हैं और क्या नहीं छापते। "कलम भी हूँ और कलमकार भी हूँ। खबरों के छपने का आधार भी हूँ।। मैं इस व्यवस्था की भागीदार भी हूँ। इसे बदलने की एक तलबगार भी हूँ।। दिवानी ही नहीं हूँ, दिमागदार भी हूँ। झूठे पर प्रहार, सच्चे की यार भी हूं।।" (पत्रकारिता में 8 वर्षों से सक्रिय, इलेक्ट्रानिक से लेकर डिजिटल मीडिया तक का अनुभव, सीखने की लालसा के साथ राजनैतिक खबरों पर पैनी नजर)

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