बच्चों से कभी ना कहें ये झूठी बातें, मेंटल हेल्थ को पहुंचा सकती है नुकसान, जानें

माता-पिता अक्सर बच्चों को समझने के लिए या फिर उनकी जिद को शांत करने के लिए कई बार कुछ बातें ऐसी कह देते हैं, जो झूठी होती हैं। इन बातों से उनका आत्मविश्वास और मानसिक विकास प्रभावित हो सकता है।

Bhawna Choubey
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Parenting Tips: बच्चों की परवरिश में माता-पिता का अहम रोल होता है। हर माता-पिता की यही ख्वाहिश होती है कि उनके बच्चों को जीवन के हर पड़ाव पर सफलता प्राप्त हो।

जब बच्चे छोटे होते हैं तो उनकी उनकी देखभाल करना थोड़ा मुश्किल हो जाता है, इस उम्र में माता-पिता कई बार बच्चों से छोटे-मोटे झूठ बोल देते हैं।

बच्चों से कभी ना कहें ये झूठी बातें (Parenting Tips)

हालांकि, यह झूठ इतने बड़े नहीं होते हैं, लेकिन फिर भी कई बातें ऐसी होती हैं, चाहे वह झूठी हो या सच्ची जो बच्चों के दिमाग पर गहरा असर डालती है।

इसलिए माता-पिता को कुछ भी बात बोलने से पहले थोड़ा सोचना चाहिए, क्योंकि उनके द्वारा बोली गई बातें बच्चों पर नकारात्मक और सकारात्मक दोनों असर डाल सकती है, आज हम खासतौर पर जानेंगे कि वह कौन-कौन सी झूठी बातें हैं, जो माता-पिता को अपने बच्चों से कभी नहीं बोलनी चाहिए।

मनगढ़त कहानी बताना

कई बार ऐसा होता है, की माता-पिता अपने बच्चों को जीवन का पाठ पढ़ाने के लिए कई बार मनगढ़ंत कहानियां भी बताते हैं, ऐसा होता है कि कई बार इन कहानियों में माता-पिता महान भी बनने की कोशिश करते हैं।

अगर यह बातें सच है, यह कहानी सच है तो आप अपने बच्चों को जरूर बताएं और अगर यह कहानी सच नहीं है तो आप किसी और का एग्जांपल देकर उन्हें यह बातें बता सकते हैं ना कि खुद का नाम लेकर।

झूठा वादा करना

जब बच्चे जिद करते हैं, तो माता-पिता कई बार बच्चों को शांत करने के लिए या फिर बच्चों से कुछ काम करवाने के लिए उनकी मनपसंद चीज दिलाने का झूठा वादा करते हैं।

बच्चे अपनी मनपसंद चीजों को पाने के लिए काम भी कर देते हैं, कई बार माता-पिता की बात भी मान लेते हैं। लेकिन जब माता-पिता उन्हें उनकी मनपसंद चीज नहीं दिलाते हैं, तो ऐसे में बच्चों का भरोसा टूट जाता है और फिर भी दूसरी बार माता-पिता पर भरोसा नहीं कर पाते हैं।

बिना वजह डराना

अक्सर ऐसा देखा जाता है कि जब बच्चे जिद करते हैं या फिर शैतानियां करते हैं, तो माता-पिता उन्हें ऐसी चीजों का डर दिखाने लगते हैं जो असल में होती ही नहीं है।

जब आप अपने बच्चों को बिना वजह डराते हैं, तो उनके मन में डर बैठ जाता है, जिससे उनका आत्मविश्वास भी कम होता है। साथ ही साथ मानसिक विकास भी रुक जाता है। यह डर बच्चों के मन में बड़े होने तक बैठा रहता है।


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Bhawna Choubey

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इस रंगीन दुनिया में खबरों का अपना अलग ही रंग होता है। यह रंग इतना चमकदार होता है कि सभी की आंखें खोल देता है। यह कहना बिल्कुल गलत नहीं होगा कि कलम में बहुत ताकत होती है। इसी ताकत को बरकरार रखने के लिए मैं हर रोज पत्रकारिता के नए-नए पहलुओं को समझती और सीखती हूं। मैंने श्री वैष्णव इंस्टिट्यूट ऑफ़ जर्नलिज्म एंड मास कम्युनिकेशन इंदौर से बीए स्नातक किया है। अपनी रुचि को आगे बढ़ाते हुए, मैं अब DAVV यूनिवर्सिटी में इसी विषय में स्नातकोत्तर कर रही हूं। पत्रकारिता का यह सफर अभी शुरू हुआ है, लेकिन मैं इसमें आगे बढ़ने के लिए उत्सुक हूं।मुझे कंटेंट राइटिंग, कॉपी राइटिंग और वॉइस ओवर का अच्छा ज्ञान है। मुझे मनोरंजन, जीवनशैली और धर्म जैसे विषयों पर लिखना अच्छा लगता है। मेरा मानना है कि पत्रकारिता समाज का दर्पण है। यह समाज को सच दिखाने और लोगों को जागरूक करने का एक महत्वपूर्ण माध्यम है। मैं अपनी लेखनी के माध्यम से समाज में सकारात्मक बदलाव लाने का प्रयास करूंगी।

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