बच्चों की अच्छी परवरिश के लिए जॉइंट या न्यूक्लियर फैमिली क्या है ज्यादा बेहतर ? जानें सच्चाई

Parenting Tips: बच्चों की परवरिश के लिए जॉइंट और न्यूक्लियर फैमिली दोनों के अपने फायदे और नुकसान हैं। जहां एक तरफ जॉइंट फैमिली में बच्चों को बड़े-बुजुर्गों का आशीर्वाद और अनुभव मिलता है, वहीं न्यूक्लियर फैमिली में माता-पिता को बच्चों की परवरिश पर अधिक ध्यान देने का मौका मिलता है।

भावना चौबे
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Parenting Tips: बच्चों का बचपन उनके व्यक्तित्व और स्वभाव की नींव होता है। पहले संयुक्त परिवारों (Joint Family) में बच्चे खेलते कूदते और आपस में घुल मिलकर बड़े हो जाते थे। वहीं, एकल (Nuclear Family) परिवारों में माता-पिता बच्चों को ज्यादा समय देकर उनकी परवरिश पर ध्यान देते हैं।

यह सवाल हमेशा से उठता रहा है, कि बच्चों की परवरिश के लिए संयुक्त परिवार बेहतर होता है या फिर एकल परिवार। हर परिवार की अपनी परिस्थितियों होती है और इसी के आधार पर परवरिश का तरीका तय होता है।

परिवार की अहमियत

भारत में परिवारों की अहमियत काफी गहरी है। यहां पर बच्चों का अपने माता-पिता के साथ रहना सामान्य बात है और यह पारिवारिक बंधन मजबूत बनाए रखना है। हालांकि, नौकरी या अन्य कारणों से कुछ बच्चों को अपने घर से दूर भी रहना पड़ता है, लेकिन फिर भी परिवार की अहमियत कम नहीं होती। यहां माता-पिता को अपने बच्चों से मिलने के लिए कोई अपॉइंटमेंट नहीं लेनी पड़ती, क्योंकि भारतीय संस्कृति में पारिवारिक रिश्तों को सर्वोपरि माना जाता है। हमारे समाज में पारिवारिक अखंडता, संस्कार और एकता बहुत महत्वपूर्ण है, जो बच्चों की परवरिश में मदद करते हैं। चाहे वह संयुक्त परिवार हो या फिर एकल परिवार हो।

संयुक्त परिवार

संयुक्त परिवार का मतलब है एक ही छत के नीचे माता-पिता उनके बच्चे बच्चों के पति पत्नी और उनकी संतानों का एक साथ रहना। यह प्रथम भारत में सदियों से चली आ रही है और उसे वैदिक काल से जोड़कर देखा जाता है। राजा महाराजाओं के समय से ही संयुक्त परिवार का चलन था जहां बड़े परिवार एक साथ रहते थे और एक दूसरे की मदद करते थे।

इस व्यवस्था ने परिवार के सदस्यों के बीच मजबूत संबंधों को बढ़ावा दिया, साथी बच्चों को संस्कार और जीवन के महत्वपूर्ण मूल्य सिखाए। संयुक्त परिवार में एकजुटता और सहयोग की भावना हमेशा कायम रहती है, जो समाज और संस्कृति के लिए महत्वपूर्ण है।

एकल परिवार

एकल परिवार वह होता है जिसमें केवल पति-पत्नी और उनके अविवाहित बच्चे रहते हैं। इस परिवार की विशेषता यह है की शादी के बाद बच्चे अपने माता-पिता का घर छोड़कर अपना अलग घर बसते हैं जहां घर के बड़े सदस्य का कोई हस्तक्षेप नहीं होता। एकल परिवार में दादा-दादी या अन्य रिश्तेदारों का होना बहुत कम होता है और बच्चे उन्हें केवल छुट्टियों में ही मिल पाते हैं।

यह व्यवस्था आजकल शहरी जीवन में अधिक देखने को मिलती है जहां लोग अपनी आजादी और व्यक्तिगत स्थान को प्राथमिकता देते हैं। इस प्रकार के परिवारों में रिश्तों की टांग डोर कम होती है लेकिन अपने परिवार की स्वतंत्रता जिम्मेदारियां को निभाने का अलग-अलग अनुभव मिलता है।

बच्चों के लिए किस प्रकार का परिवार है बेहतर

बच्चों की परवरिश के लिए संयुक्त और एकल दोनों परिवार का अपना महत्व है। जहां एक तरफ संयुक्त परिवार में बच्चों को बड़े बुजुर्गों से मिलकर उनके अनुभवों से सीखने का अवसर मिलता है, वहीं एकल परिवार में बच्चों को अपनी स्वतंत्रता और निजी स्थान मिल जाता है। हालांकि, समय के साथ भारत में संयुक्त फैमिली का सिस्टम धीरे-धीरे खत्म होता जा रहा है और अधिकांश बच्चे नौकरियां पढ़ाई के कारण अपने घरों से दूर रहने लगे हैं।

माता-पिता अपने बच्चों के पास नहीं जा पाते हैं लेकिन फिर भी बच्चों के लिए यह अच्छा होता है जब वह समय-समय पर अपने दादा-दादी, नाना-नानी से मिलते हैं और उनके साथ कुछ पल बिताते हैं। यह संबंधों को मजबूत करने और बच्चों को पारिवारिक मूल्य सीखने का एक बेहतरीन तरीका होता है।

 


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भावना चौबे

भावना चौबे

इस रंगीन दुनिया में खबरों का अपना अलग ही रंग होता है। यह रंग इतना चमकदार होता है कि सभी की आंखें खोल देता है। यह कहना बिल्कुल गलत नहीं होगा कि कलम में बहुत ताकत होती है। इसी ताकत को बरकरार रखने के लिए मैं हर रोज पत्रकारिता के नए-नए पहलुओं को समझती और सीखती हूं। मैंने श्री वैष्णव इंस्टिट्यूट ऑफ़ जर्नलिज्म एंड मास कम्युनिकेशन इंदौर से बीए स्नातक किया है। अपनी रुचि को आगे बढ़ाते हुए, मैं अब DAVV यूनिवर्सिटी में इसी विषय में स्नातकोत्तर कर रही हूं। पत्रकारिता का यह सफर अभी शुरू हुआ है, लेकिन मैं इसमें आगे बढ़ने के लिए उत्सुक हूं।मुझे कंटेंट राइटिंग, कॉपी राइटिंग और वॉइस ओवर का अच्छा ज्ञान है। मुझे मनोरंजन, जीवनशैली और धर्म जैसे विषयों पर लिखना अच्छा लगता है। मेरा मानना है कि पत्रकारिता समाज का दर्पण है। यह समाज को सच दिखाने और लोगों को जागरूक करने का एक महत्वपूर्ण माध्यम है। मैं अपनी लेखनी के माध्यम से समाज में सकारात्मक बदलाव लाने का प्रयास करूंगी।

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