Sabarimala Temple : भारत में विभिन्न धर्मिक स्थल हैं जो लोगों की आस्था और श्रद्धा का केंद्र हैं। यहां हर धर्म का अपना महत्त्वपूर्ण स्थान है। इन स्थलों में मंदिर, मस्जिद, गुरुद्वारे, चर्च आदि शामिल हैं। ऐसा ही एक मंदिर जो कि केरल राज्य में स्थित है, जिसका नाम सबरीमाला मंदिर है। यहां देश ही नहीं बल्कि विदेश से भी भक्त पहुंचते हैं। यहां की भक्ति यात्रा विशेष तरीके से नियमों और परंपरागत विधियों के साथ जुड़ी होती है। प्रति वर्ष सबरीमाला मंदिर में लाखों श्रद्धालुओं की भक्ति यात्रा होती है, जिसमें महिलाओं का प्रवेश के नियमों और परंपरागत विधियों पर विवाद भी होता रहा है। आइए जानते हैं मंदिर की मान्यता…

जानें कौन है भगवान अय्यप्पा
सबरीमाला मंदिर में भगवान अय्यप्पा को समर्पित किया गया है और वे भगवान शिव और मोहिनी रूप के पुत्र माने जाते हैं। पौराणकि कथाओं के अनुसार, भगवान विष्णु ने मोहिनी रूप धारण किया था जो अत्यंत सुंदर था। दरअसल, उन्होंने अमृत प्राप्ति के लिए देवताओं और असुरों के बीच युद्ध के समय यह रूप धारण किया था। मोहिनी की अत्यंत मोहक और सुंदरता को देखकर भगवान शिव उनपर मोहित हो गए थे। इस असाधारण परिस्थिति के कारण अय्यप्पा का जन्म हुआ था। अय्यप्पा स्वामी को हरिहरपुत्र के रूप में जाना जाता है, जो की भगवान विष्णु (हरि) और भगवान शिव (हर) के पुत्र के रूप में माने जाते हैं।
मंदिर की मान्यता
ऐसी मान्यता है कि सबरीमाला मंदिर में मकर संक्रांति के अवसर पर रात्रि में अनोखी एक ज्योति की दिखाई देती है, जिसे मकर ज्योति कहा जाता है। यह रहस्यमयी ज्योति देव ज्योति मानी जाती है, जो कि भगवान स्वयं जलाते हैं। जिसका दर्शन करने के लिए लोग सबरीमाला आते हैं। इस रोशनी के साथ-साथ ज्योति के जलने के समय पर शोर भी सुनाई देता है जो कि बहुत ही अनोखा अनुभव होता है। लोग मकर संक्रांति पर इस ज्योति के दर्शन के लिए बहुत उत्साहित होते हैं। इस दौरान वो भगवान से आशीर्वाद भी मांगते हैं।
इन नियमों का करना पड़ता है पालन
यहां आने वाले भक्तों को कुछ विशेष नियमों का पालन करना पड़ता है। आने से करीब 60 दिन पहले के से श्रद्धालुओं को मांसाहारी भोजन, अंधेरे में जाना, अल्कोहल, तंबाकू आदि के सेवन बंद करना पड़ता है। बहुत से लोग रुद्राक्ष या तुलसी की माला पहनकर मंदिर जाते हैं ताकि उनकी मनोकामनाएं पूर्ण हो सकें। माना जाता है कि इस तरह के पूजा करने से भगवान अय्यप्पा के आशीर्वाद से व्यक्ति की इच्छाएं पूर्ण होती हैं।
ऐसे हुआ मंदिर का नामकरण
सबरीमाला मंदिर का नाम भी माता शबरी के नाम पर रखा गया है, जिसमें उनकी भक्ति और समर्पण को याद करते हुए भगवान अय्यप्पा की पूजा की जाती। बता दें कि माता शबरी भगवान रामायण के एक प्रमुख पात्र में से एक थीं। वे भगवान राम की बड़ी भक्त थीं और अपने भक्ति भाव से उन्होंने अपने आश्रम में आने वाले भगवान राम को जूठे बेर खिलाए थे। उनकी भक्ति और समर्पण ने भगवान राम को बहुत प्रसन्न किया था। जिसके बाद श्री राम ने उन्हें नवधा भक्ति का उपदेश दिया था, जिसमें भक्ति के नौ रूप बताए गए है।
(Disclaimer: यहां मुहैया सूचना अलग-अलग जानकारियों पर आधारित है। MP Breaking News किसी भी तरह की जानकारी की पुष्टि नहीं करता है।)