साहित्यिकी : ‘हवा है, हवा की आवाज नहीं है’ पढ़िए कमलेश्वर की ये चर्चित कहानी

Hindi story writer Kamleshwar

Sahityiki : आज शनिवार है और अपनी पढ़ने की आदत को बेहतर करने के क्रम में हम पढ़ेंगे एक कहानी। जीवन की आपाधापी और समय की कमी के कारण हम पढ़ना भूलते जा रहे हैं। लेकिन अच्छा साहित्य हमें एक बेहतर मनुष्य बनाने और संसार को समझने का विवेक प्रदान करता है। इसलिए पढ़ते रहना बेहद जरुरी है। हर सप्ताहांत हम अपनी इसी आदत को सुधारने का प्रयास करते हैं और ये कहानी उसी श्रृंखला का हिस्सा है। आज हम लेकर आए हैं कमलेश्वर की एक कहानी। कमलेश्वर को हिंदी साहित्य में बीसवीं शताब्दी के सबसे सशक्त लेखकों में गिना जाता है। उन्होंने उपन्यास, कहानी, पत्रकारिता, स्तंभ लेखन, फिल्म पटकथा सहित कई विधाओं में बेहतरीन काम किया है। उत्तर प्रदेश के मैनपुरी में जन्मे कमलेश्वरको 1995 में को ‘पद्मभूषण’ से सम्मानित किया गया और 2003 में उनकी उपन्यास ‘कितने पाकिस्तान’ के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार से नवाजा गया। आज हम पढ़ेंगे उनकी एक कहानी

हवा है, हवा की आवाज नहीं है


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श्रुति कुशवाहा

श्रुति कुशवाहा

2001 में माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता विश्वविद्यालय भोपाल से पत्रकारिता में स्नातकोत्तर (M.J, Masters of Journalism)। 2001 से 2013 तक ईटीवी हैदराबाद, सहारा न्यूज दिल्ली-भोपाल, लाइव इंडिया मुंबई में कार्य अनुभव। साहित्य पठन-पाठन में विशेष रूचि।