हममें से कुछ लोग रंगों को सूंघ सकते हैं, जानिए ऐसे ही दिमाग को हिला देने वाले मनोवैज्ञानिक तथ्य

मनोविज्ञान में लगातार मानवीय व्यवहार को लेकर कई तरह के अध्ययन होते रहते हैं। इनके बारे में जानकर हम अपने और दूसरों के व्यवहार, आदतों या पैटर्न को समझ सकते हैं। ये बेहद रोचक विषय है जिसमें मनुष्य के साथ अन्य प्राणियों पर भी रिसर्च होती है। इनसे प्राप्त नतीजों के आधार पर हमारे मानसिक स्वास्थ्य के बारे में लगातार नई जानकारियां उद्घाटित होती हैं।

Psychology

Psychological Facts : मनोविज्ञान एक ऐसी शाखा है जिसमें मानव व्यवहार, मानसिक प्रक्रियाएं और मानसिक स्वास्थ्य का अध्ययन किया जाता है। इसके माध्यम से हम व्यक्तियों के विभिन्न मानसिक प्रक्रियाओं, व्यवहार, और अनुभवों को समझ सकते हैं। अपने या किसी और के व्यवहार को जानने समझने में मनोविज्ञान बहुत मदद कर सकता है। लंबे समय तक हुई रिसर्च के बाद कई ऐसे तथ्य निकलकर सामने आए हैं, जो हमें अचरज में डाल सकते हैं। आज हम आपके लिए ऐसे ही कुछ मनोवैज्ञानिक तथ्य लेकर आए हैं।

मनोवैज्ञानिक तथ्य

  1. आपको ये बात आश्चर्य में डाल सकती है लेकिन एक अध्ययन में साबित हुआ है कि जब आप किसी दूसरी भाषा में बोल रहे होंगे तो आप अलग-अलग तरह के निर्णय ले सकते हैं। शिकागो विश्वविद्यालय में किए गए अध्ययन के अनुसार, विदेशी भाषा का उपयोग करने वाले छात्र कम भावनात्मक और अधिक तर्कसंगत निर्णय लेते हैं। इससे पता चलता है कि दूसरी भाषा बोलते समय हम जानकारी को अलग ढंग से संसाधित कर सकते हैं।
  2. इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि आप दुनिया में कहीं भी हैं, अगर आप उदास, खुश, निराश, भयभीत, आश्चर्यचकित या क्रोधित चेहरा बनाते हैं तो लोग इन भावों को पहचान ही लेंगे। इसी कारण, इन भावनाओं को सार्वभौमिक भावनाएं कहा जाता है और ये सभी संस्कृतियों में लोगों द्वारा बहुत कम उम्र से ही जानी जाती हैं।
  3. एक अन्य रिसर्च के अनुसार मास्लो का पदानुक्रम (Maslow’s hierarchy) संभवतः सही नहीं है। मानवीय आवश्यकताओं के बारे में उनका पदानुक्रम कहता है कि बुनियादी स्तरों पर हम जीवित रहने के लिए बुनियादी शारीरिक प्रवृत्ति से प्रेरित होते हैं और इन जरूरतों को पूरा करने के बाद ही हम सामाजिक कनेक्शन और आत्म-बोध जैसी अन्य जरूरतों की ओर बढ़ते हैं। लेकिन वर्तमान शोध कुछ और ही कहता है। इससे पता चलता है कि हमारी सबसे बुनियादी ज़रूरत दूसरे लोगों के साथ अपनापन और जुड़ाव है। यही वह चीज़ है जो हमें आत्म-संरक्षण या आत्म-संतुष्टि की ओर ले जाने वाली गतिविधियों में संलग्न करती है।
  4. ये तथ्य आपको हैरान कर सकता है लेकिन रिसर्च में साबित हुआ है कि हममें से कुछ लोग भावनाओं के आकार को देख सकते हैं, रंगों को सूँघ सकते हैं या आकृतियों को सुन सकते हैं। इस दिलचस्प न्यूरोसाइकोलॉजिकल घटना को सिनेस्थेसिया (Synaesthesia) कहा जाता है और यह तब होता है जब हमारा दिमाग अनायास ही उन संवेदनाओं को मिश्रित करता है जिन्हें आम तौर पर अलग-अलग अनुभव किया जाता है। जो लोग इसका अनुभव करते हैं, वे इस कौशल के साथ ही जन्म लेते हैं।
  5. क्या आपने कभी गौर किया है कि कैसे आपकी माँ उन चीज़ों के बारे में बात करना पसंद करती हैं जो उनके शुरुआती बीसवें दशक के दौरान उनके साथ घटित हुई थीं ? या क्या आपने कभी सोचा है कि लोग बढ़ती उम्र में अपने किशोरवय की कहानियों को क्यों पसंद करते हैं ? किशोरावस्था और शुरुआती वयस्कता की स्मृतियों को याद करने की हमारी प्राथमिकता को स्मृति उभार (Reminiscence bump) कहा जाता है। यह उस समय के दौरान हमारे द्वारा अनुभव किए गए कई परिवर्तनों के कारण हो सकता है।

(डिस्क्लेमर : ये लेख विभिन्न स्त्रोतों से प्राप्त जानकारियों पर आधारित है। हम इसकी पुष्टि नहीं करते हैं।)


About Author
श्रुति कुशवाहा

श्रुति कुशवाहा

2001 में माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता विश्वविद्यालय भोपाल से पत्रकारिता में स्नातकोत्तर (M.J, Masters of Journalism)। 2001 से 2013 तक ईटीवी हैदराबाद, सहारा न्यूज दिल्ली-भोपाल, लाइव इंडिया मुंबई में कार्य अनुभव। साहित्य पठन-पाठन में विशेष रूचि।

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