Some Beautiful Couplets Written on Chai : ठंड का मौसम है या कहिए कि चाय का मौसम है। वैसे तो चाय के शौकीनों के लिए क्या सर्दी क्या गर्मी..उन्हें तो हर मौसम में चाय चाहिए। आमतौर पर लोगों को प्यास लगती है लेकिन चाय के दीवानों की बात की जाए तो इन्हें ‘चयास’ लगती है। और जब मौसम सर्दियों का हो तो इसे पीने-पिलाने के बहाने भी बढ़ जाते हैं। ‘टी ब्रेक’ का सिलसिला बढ़ जाता है। हमारे यहां चाय सिर्फ एक पेय पदार्थ नहीं, बल्कि आतिथ्य का प्रतीक है। “एक कप चाय हो जाए” यह वाक्य देश के हर हिस्से में सुनने को मिल जाता है। गाँव, शहर, ढाबा, रेस्टॉरेंट, मॉल, रेलवे स्टेशन, दफ्तर या घर..चाय हर जगह मिल जाएगी।
चाय का जन्मस्थान चीन माना जाता है। चाय की खोज को लेकर वहां की एक पुरानी कहानी है। कहा जाता है कि लगभग 2737 ईसा पूर्व चीन के सम्राट शेननुंग (Shennong) ने चाय की खोज की थी। सम्राट साफ पानी पीने के नियमों का पालन करते थे और इसीलिए पानी को उबालकर पीते थे। एक दिन जब उनके नौकर पानी उबाल रहे थे तो पास के एक जंगली पेड़ की पत्तियाँ उस उबलते हुए पानी में गिर गईं। और जब सम्राट ने यह पानी पिया तो उन्हें उसका स्वाद और ताजगी बेहद पसंद आई। बस इसी तरह चाय का अविष्कार हुआ। बाद में इसे औषधीय पेय के रूप में इस्तेमाल किया जाने लगा और धीरे धीरे इसकी लोकप्रियता बढ़ती गई। भारत में इसका आगमन 19वीं सदी में हुआ। असम और दार्जिलिंग जैसे इलाकों में चाय के बागान स्थापित किए गए, जो आज दुनियाभर में मशहूर है।
चाय पर शायरी
चाय के शौकीन जानते हैं कि हर घूंट में सुकून छिपा होता है। एक कप चाय के साथ किताब पढ़ना, बारिश में बैठकर इसका आनंद लेना या काम के बीच एक ब्रेक लेना..हर अनुभव इसे और खास बना देता है। हमारे यहां आपको सैंकड़ों तरह की चाय मिल जाएगी। अदरक वाली, इलायची वाली, कम दूध वाली या सिर्फ दूध से बनी हुई, ब्लैक टी, ग्रीन टी, लेमन टी, हर्बल टी से लेकर कई तरह की चाय मौजूद है।
जैसा कि कहा गया है चाय सिर्फ स्वाद नहीं बल्कि अहसास है। इसीलिए इस अहसास का इज़हार शायरों ने भी अपनी शायरी के ज़रिए किया है। आज हम आपको चाय पर लिखे गए कुछ ऐसे ही बेहतरीन शेर बताने जा रहे हैं।
“दर-अस्ल उसको फ़क़त चाय ख़त्म करनी थी
हम उसके कप को सुनाते रहे ग़ज़ल अपनी।”
~ जुबैर अली ताबिश
“छोड़ आया था मेज़ पर चाय
ये जुदाई का इस्तिआरा था।”
~ तौकीर अब्बास
“इतनी गर्मजोशी से मिले थे,
हमारी चाय ठंडी हो गई थी।”
~ ख़ालिद
“चाय की प्याली में नीली टेबलेट घोली
सहमे सहमे हाथों ने इक किताब फिर खोली।”
~ बशीर बद्र
“बहकते रहने की आदत है मेरे कदमों को
शराबखाने से निकलूं कि चायखाने से।”
~ राहत इंदौरी
“कुछ चलेगा जनाब, कुछ भी नहीं
चाय, कॉफी, शराब, कुछ भी नहीं।”
~ ‘अना’ क़ासमी
“ख्वाहिशें कल हुस्न की मेहमान थीं,
चाय को भी नाश्ता कहना पड़ा।”
~ जुबैर अली ताबिश
“चलो अब हिज़्र के किस्सों को छोड़ो
तुम्हारी चाय ठंडी हो रही है।”
~ ज़ुबैर अली ताबिश
“एक गर्म बहस चाट गई वक्ते मुकर्रर,
मुद्दे जो थे वो चाय के प्यालों में रह गए।”
~ फानी जोधपुरी
“कल के बारे में ज़ियादा सोचना अच्छा नहीं
चाय के कप से लबों का फासला है ज़िन्दगी।”
~ विजय वाते
“महीने में किसी रोज कहीं चाय के दो कप
इतना है अगर साथ, तो फिर साथ बहुत है।”
~ अना क़ासमी
“रात भर जमती रहीं जो बर्फ़ बन कर सिल्लियां सी
तल्खियां सब घुल रही थीं चाय की इन चुस्कयों में।”
~ अज्ञात