भारत में एक से बढ़कर एक घूमने लायक जगह हैं। यदि दुनिया घूमने की बात की जाए, तो एक से बढ़कर एक नमूना चीज आपको देखने को मिलेंगे। अधिकतर लोग अक्सर समुद्री बीच पर घूमने जाते हैं। सैलानियों के लिए यह नजारा जन्नत से कम नहीं होता। बीच पर अमूमन सुनहरे, सफेद, या काले रंग की बालू होती है, लेकिन आज हम आपको चार ऐसे समूद्री तटों के बारे में बताएंगे, जहां की रेत काफी अलग है। जिसे देखने के लिए पर्यटक यहां पर आते हैं।
आज हम आपको दुनिया के उन चार समुद्री तटों के बारे में बताने जा रहे हैं, जहां की रेत का रंग हरा होता है। जिसकी मुख्य वजह ओलिविन होता है। यह एक ऐसा खनिज है, जो ज्वालामुखी से पैदा होती है।

पापाकोलेआ
इस लिस्ट में पहला बीच पापाकोलेआ बीच है, जो कि हवाई के बीच आयरलैंड के साउथ पॉइंट पर स्थित है। इसे ग्रीन सैंड बीच भी कहा जाता है। यहां पहुंचने के लिए पर्यटकों को 2.7 मील पैदल चलना पड़ता है। यहां की रेत हरे रंग की इसलिए है, क्योंकि करीब 50,000 साल पहले यहां ज्वालामुखी विस्फोट हुआ था, तब से इसका रंग हरा बना हुआ है।
तलोफोफो
इसके अलावा, गुआम के दक्षिण पूर्वी तट पर स्थित तलोफोफो बीच भी हरे रंग की रेत के कारण दुनिया भर में प्रसिद्ध है। यहां पूरी साल पर्यटकों का आना-जाना लगा रहता है। यहां का सुंदर नजारा लोगों का मन मोह लेती है।
पुंटा कार्मोरेंट
इसके अलावा, पुंटा कार्मोरेंट बीच भी हरे रेत के लिए जाना जाता है, जो कि गैलापागोस द्वीप समूह के फ्लोरेआना द्वीप पर स्थित है। यहां पर हरा रंग ओलिविन खनिज से आता है। इस समुद्री तट को यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल की लिस्ट में शामिल किया गया है, जहां पूरी साल पर्यटक आते जाते रहते हैं।
हॉर्निंडालस्वेटनेट
नॉर्वे का हॉर्निंडालस्वेटनेट यूरोप की गहरी झील है। हालांकि, यह समुद्री तट नहीं है, बल्कि झील है। यहां पर हरा बालू पाई जाती है। बता दें कि यह झील 4000 मीटर गहरी है। यहां पर बालू के हरे रंग का कारण ओलिविन और ग्लेशियल गाद का मिश्रण है।