Track Ballast: क्या आपको पता है रेलवे ट्रैक पर क्यों पड़े होते हैं बड़े-बड़े पत्थर? इसे क्या कहते है? जानिए इस खबर में सब कुछ

Track Ballast: क्या आपने कभी सोचा है कि रेलवे नेटवर्क का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा क्या है? जी हाँ, यदि आप रेलवे ट्रैक को इसका सही उत्तर मानते है तो यह बिलकुल सही है। लेकिन क्या आप यह जानते है की इसमें बड़े-बड़े पत्थरों को क्यों बिछाया जाता है? और इन्हे क्या कहते है? तो चलिए इस खबर में हम आपको बताते है इसे क्या कहते है।

Rishabh Namdev
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Track Ballast: रेलवे ट्रैक पर बिछाए जाने वाले इन पत्थरों को “ट्रैक बैलेस्ट” कहा जाता है। दरअसल ये पत्थर रेलवे ट्रैक पर क्यों बिछाए जाते हैं, इसके पीछे का कारण कुछ यूनिक और बहुत ही रोचक तथ्य को उजागर करता है। जानकारी के अनुसार इन ट्रैक बैलेस्ट का मुख्य काम यह होता है कि ये ट्रैक को स्थिर और सुरक्षित बनाए रखे। दरअसल ये नुकीले और बड़े पत्थर इसलिए रखे जाते हैं ताकि ट्रेनों के दबाव के कारण वे फिसलने नहीं पाए। दरअसल इनको बिछाने से ट्रैनों की गति को सुनिश्चित करने में मदद मिलती है और ट्रैक क्रैकिंग का खतरा कम होता है।

रेलवे लाइन का फिसलने का खतरा कम:

साथ ही, ये पत्थर ट्रैक के पास घास-फूस, बिखरने वाली मिट्टी ये सब बारिश से ट्रैक को सुरक्षित रखने में मदद करते हैं। दरअसल जब बारिश होती है, तो ये पत्थर ट्रैक को पानी से दूर रखने में मदद करते हैं, जिससे रेलवे लाइन का फिसलने का खतरा कम होता है। इतना ही नहीं इसके अलावा, ये पत्थर ट्रेनों के चलने के समय उत्पन्न होने वाली ध्वनि को भी नियंत्रित करते हैं। जानकारी के अनुसार इसपर जब ट्रेनें चलती हैं, तो इन पत्थरों की गुरुत्वाकर्षण शक्ति से होने वाली कंपन को काफी हद तक रोका जा सकता है। जिससे यात्रियों को इसपर चलने में अधिक सुरक्षा मिलती है।

साइंटिफिक दृष्टिकोण?

वहीं यदि इसे एक साइंटिफिक दृष्टिकोण से देखा जाए तो, दरअसल ट्रैक पर बिछाए जाने वाले ये पत्थर रेलवे लाइन के निर्माण और संचालन में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं, इसी से यात्रियों को सुरक्षित यात्रा का आनंद मिलता है।

वहीं इसके साथ ही, ये पत्थर कई तकनीकी परियोजनाओं में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं, जैसे की ट्रैक की मरम्मत के समय, निर्माण करते समय यही ट्रेक का सहारा बनते है, और रेलवे नेटवर्क की सुरक्षा को भी इनसे बढ़ावा मिलता है। दरअसल आपको जानकर हैरानी होगी की इनके बिना, रेलवे सेवाओं का संचालन सम्भव नहीं हो सकता।


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मैंने श्री वैष्णव विद्यापीठ विश्वविद्यालय इंदौर से जनसंचार एवं पत्रकारिता में स्नातक की पढ़ाई पूरी की है। मैं पत्रकारिता में आने वाले समय में अच्छे प्रदर्शन और कार्य अनुभव की आशा कर रहा हूं। मैंने अपने जीवन में काम करते हुए देश के निचले स्तर को गहराई से जाना है। जिसके चलते मैं एक सामाजिक कार्यकर्ता और पत्रकार बनने की इच्छा रखता हूं।

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