पुरानी झाड़ू को न समझें बेकार, इन टोटकों से हो जाएंगे मालामाल

Gaurav Sharma
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जीवनशैली, डेस्क रिपोर्ट। घर में पूजापाठ के जितने नियम धर्म होते हैं झाड़ू को रखने के भी उतने ही नियम कानून होते है। कई लोग झाड़ू का उपयोग भी उसकी पूजा करने के बाद शुरू करते हैं. झाड़ू को पैर लगाना या लांघना उसका अपमान समझा जाता है। ये माना जाता है कि झाड़ू में माता लक्ष्मी का ही वास होता है इसलिए झाड़ू घर के कचरे के साथ साथ घर की नकारात्मक ऊर्जा को भी बुहारकर बाहर कर देती है और घर में सुख समृद्धि का मार्ग प्रशस्त करती है। इसलिए झाड़ू का सम्मान और उसे उपयोग के सही तरीके पता होने चाहिए।

न सिर्फ झाड़ू लगाने के तरीके जान लेना बहुत जरूरी है बल्कि नई और पुरानी झाड़ू से जुड़ी कुछ बातों को जानना भी आपके लिए फायदे का सौदा साबित होगा।

किसी के बाहर निकलते ही न लगाएं झाड़ू
घर से कोई बाहर निकले तो तुरंत झाड़ू न लगाएं। ये मान्यता है कि कोई घर से बाहर निकला है और झाड़ू लगा दी जाए तो घर से बाहर जाने वाले को अपने काम में कामयाबी नहीं मिलती है। खासतौर से घर का कोई प्रमुख सदस्य बाहर निकले तो उसके जाते ही झाड़ू बिलकुल न लगाएं।

पुरानी झाड़ू हटाने का तरीका
अगर आप पुरानी झाड़ू बदलना चाहते हैं और, पुरानी झाड़ू को फेंकना चाहते हैं तो उसका भी नियम है। पुरानी झाड़ू को शनिवार के दिन, अमावस्या या होली जलने के दिन ही घर से बाहर निकालना चाहिए। वास्तु के अनुसार अन्य दिनों पर झाड़ू को घर से बाहर निकालने का मतलब गरीबी को घर का रास्ता दिखाना है। जबकि इन दिनों पर झाड़ू को घर से बाहर करने पर निगेटिव एनर्जी भी घर से बाहर हो जाती है और, घर में पॉजीटिव एनर्जी आती है।

टूटी झाड़ू का न करें उपयोग
झाड़ू अगर टूट रही हो तो उसे जल्दी बदल देना चाहिए, टूटी झाड़ू के उपयोग का असर घर की आर्थिक स्थिति पर पड़ता है।

पुरानी झाड़ू रखने का तरीका
पुरानी झाड़ू को रखने का भी तरीका है  पुरानी झाड़ू हमेशा ऐसी जगह रखें जहां किसी की नजर उस पर न पड़े आते जाते आपको भी ये झाड़ू भी दिखाई न दे। पुरानी झाड़ू दिखना अच्छा नहीं माना जाता है। ऐसा माना जाता है कि इससे घर में निगेटिव एनर्जी का प्रवेश होता है।

झाड़ू खरीदने का सही वक्त
झाड़ू खरीदने का भी सही वक्त जान लेना बहुत जरूरी है. झाड़ू हमेशा ऐसे शुक्रवार को खरीदना चाहिए जो कृष्ण पक्ष में पड़ने वाला हो इसके अगले दिन यानि शनिवार से नई झाड़ू का उपयोग शुरू करना चाहिए. ऐसा करने से घर में सुख समृद्धि बढ़ती है।


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पत्रकारिता पेशा नहीं ज़िम्मेदारी है और जब बात ज़िम्मेदारी की होती है तब ईमानदारी और जवाबदारी से दूरी बनाना असंभव हो जाता है। एक पत्रकार की जवाबदारी समाज के लिए उतनी ही आवश्यक होती है जितनी परिवार के लिए क्यूंकि समाज का हर वर्ग हर शख्स पत्रकार पर आंख बंद कर उस तरह ही भरोसा करता है जितना एक परिवार का सदस्य करता है। पत्रकारिता मनुष्य को समाज के हर परिवेश हर घटनाक्रम से अवगत कराती है, यह इतनी व्यापक है कि जीवन का कोई भी पक्ष इससे अछूता नहीं है। यह समाज की विकृतियों का पर्दाफाश कर उन्हे नष्ट करने में हर वर्ग की मदद करती है।इसलिए पं. कमलापति त्रिपाठी ने लिखा है कि," ज्ञान और विज्ञान, दर्शन और साहित्य, कला और कारीगरी, राजनीति और अर्थनीति, समाजशास्त्र और इतिहास, संघर्ष तथा क्रांति, उत्थान और पतन, निर्माण और विनाश, प्रगति और दुर्गति के छोटे-बड़े प्रवाहों को प्रतिबिंबित करने में पत्रकारिता के समान दूसरा कौन सफल हो सकता है।

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