भोपाल, डेस्क रिपोर्ट। स्पर्श की भाषा बहुत संवेदी होती है। जो बात हजार शब्द नहीं कह पाते, वो एक स्पर्श कह देता है। इसीलिए हम खुशी में झूमकर किसी के गले लग जाते हैं तो दुखी होने पर भी बस हाथ पर किसी का तसल्ली भरा स्पर्श ही काफी होता है। ये स्पर्श हमें भावनात्मक संबल देता है और राहत भी।
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विज्ञान ने भी टच थेरेपी (Touch therapy) को मान्यता दी है। अपनों का प्यार भरा स्पर्श बहुत सारे तनाव और दुश्चिंताएं दूर करने का काम करता है। अगर कोई किसी एंग्जाइटी या स्ट्रेस से गुजर रहा है तो उसे सबसे पहले मां की याद आती है। वो मां की गोद में जाना चाहता है, उनका स्पर्श पाना चाहते हैं। इसके अलावा किसी और प्रियजन का स्पर्श भी उसे राहत देता है। कई बार तो कोई अनजान भी अगर ऐसे समय में गले लगा ले (hug) या हाथ पकड़ ले तो मन को तसल्ली मिल जाती है। वहीं खुशी में भी हम किसी के साथ गले लगकर या हाथ थामकर उसे बांटना चाहते हैं। कुछ रिसर्च में कहा गया है कि अपनों के स्पर्श से महिलाओं में ऑक्सीटोसिन (oxytocin) हार्मोन का स्तर बढ़ जाता है। इससे उन्हें खुशी महसूस होती है। ये एक स्ट्रेस बस्टर का काम भी करता है।