क्या आपकी डाइट में Nutraceuticals है : जानिए क्यों जरूरी हैं न्यूट्रास्युटिकल्स, इसके प्राकृतिक स्त्रोत और महत्व

न्यूट्रास्युटिकल्स की पूर्ति के लिए हमें कहीं दूर नहीं जाना है। हमारे रोजमर्रा के आहार में मौजूद फल, सब्जियां, मसाले, जड़ी-बूटियां और अन्य खाद्य पदार्थों में ये पाया जाता है। बस हमें बैलेंस डाइट लेना जरूरी है। हम सब जानते हैं कि हल्दी में औषधीय गुण होते हैं। हल्दी में पाया जाने वाला करक्यूमिन सूजन को कम करने में मदद करता है, जबकि ग्रीन टी का कैटेचिन एंटीऑक्सीडेंट के रूप में काम करता है।

Shruty Kushwaha
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Why nutraceuticals are essential : क्या आपने न्यूट्रास्युटिकल्स के बारे में सुना है ? यह ऐसे खाद्य पदार्थों या उनके घटकों को कहा जाता है जो पोषण देने के साथ औषधीय गुण भी रखते हैं। न्यूट्रास्युटिकल्स का उद्देश्य न सिर्फ बीमारियों को रोकना है, बल्कि पूरे स्वास्थ्य को सुधारना है। ये प्राकृतिक रूप से पौधों, जानवरों या उनके उत्पादों से मिलते हैं और बीमारियों को रोकने या ठीक करने में मदद करते हैं।

यदि न्यूट्रास्युटिकल्स की कमी होती है तो शरीर को जरूरी पोषक तत्व नहीं मिल पाते है, जिससे गंभीर स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं। इसकी कमी से शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता घट सकती है, जिससे संक्रमण और बीमारियों का खतरा बढ़ सकता है। शरीर में एंटीऑक्सीडेंट्स की कमी से उम्र बढ़ने की प्रक्रिया तेज हो सकती है और कोशिकाओं का नुकसान हो सकता है। वहीं, हृदय रोग, मधुमेह और अन्य क्रॉनिक बीमारियों का खतरा भी बढ़ जाता है।

क्या है Nutraceuticals

न्यूट्रास्युटिकल्स दो शब्दों से मिलकर बना है Nutrition (पोषण) और Pharmaceutical (औषधि)। न्यूट्रास्युटिकल्स वे खाद्य पदार्थ हैं जिनका नियमित सेवन शरीर को पोषण प्रदान करने के साथ-साथ स्वास्थ्य लाभ भी देता है। ये औषधीय गुणों से युक्त होते हैं और अक्सर बीमारियों के उपचार या रोकथाम में सहायक होते हैं।

न्यूट्रास्युटिकल्स के प्राकृतिक स्रोत

प्रकृति ने हमें सबकुछ दिया है। कई प्राकृतिक वस्तुओं में न्यूट्रास्युटिकल्स पाया जाता है। शुरुआत फल और सब्जियों से.. बेरीज (ब्लूबेरी, स्ट्रॉबेरी, क्रैनबेरी) में एंटीऑक्सीडेंट (फ्लेवोनोइड्स, विटामिन सी) होता है। ये कोशिकाओं को फ्री रेडिकल्स से बचाते हैं और उम्र बढ़ने की प्रक्रिया को धीमा करते हैं। टमाटर में  लाइकोपीन होता है और ये कैंसर और हृदय रोग से बचाव करता है। पालक और ब्रोकली में फाइटोकेमिकल्स और सल्फोराफेन पाया जाता है और ये  इम्यूनिटी बढ़ाने के साथ कैंसर रोधी भी है।

मसाले और जड़ी-बूटियों में भी न्यूट्रास्युटिकल्स पाया जाता है। हल्दी इसका प्रमुख स्त्रोत है। हल्जी में करक्यूमिन होता है जो सूजन कम करने और ऑक्सीडेटिव तनाव को कम करना। लहसुन का मुख्य घटक: एलिसिन है और ये हृदय स्वास्थ्य और एंटीबैक्टीरियल गुण ये युक्त है। अदरक में जिंजरोल है जो पाचन सुधारने और सूजन कम करने में मददगार है। इसी तरह बीज और नट्स में अलसी के बीज , बादाम और अखरोट लाभदायक है।  डेयरी उत्पाद में दही (Yogurt), पनीर और दूध में ये पाया जाता है। साथ ही साबुत अनाज और दाल, मछली और समुद्री उत्पाद, ताजे फलों के रस और हर्बल टी में भी न्यूट्रास्युटिकल्स होते हैं।

डाइट में न्यूट्रास्युटिकल्स क्यों जरूरी है

ये हृदय रोग, मधुमेह, और कैंसर सहित कई बीमारियों को रोकने में मदद करते हैं। इनमें मौजूद फाइटोकेमिकल्स, सूजन की रोकथाम और उपचार में मदद कर सकते हैं। न्यूट्रास्युटिकल्स का सेवन दवाओं के मुकाबले अधिक सुरक्षित और प्राकृतिक होता है। प्रोबायोटिक्स और विटामिन से भरपूर खाद्य पदार्थ शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाते हैं। यह सुनिश्चित करता है कि शरीर को सभी आवश्यक पोषक तत्व मिलें और इसके लिए हमार पास कई प्राकृतिक विकल्प मौजूद है।

न्यूट्रास्युटिकल्स के प्रकार

1. डायटरी सप्लीमेंट्स (Dietary Supplements)
विटामिन, खनिज (minerals), अमीनो एसिड, आदि। उदाहरण, विटामिन डी सप्लीमेंट, ओमेगा-3 कैप्सूल।

2. फंक्शनल फूड्स (Functional Foods)
सामान्य भोजन जिसमें अतिरिक्त पोषक तत्व जोड़े जाते हैं। उदाहरण, फोर्टिफाइड दूध (विटामिन डी युक्त), ओटमील (कोलेस्ट्रॉल कम करने के लिए)।

3. मेडिकल फूड्स (Medical Foods)
विशेष रूप से किसी चिकित्सा स्थिति के लिए तैयार किया गया आहार। उदाहरण, मधुमेह के रोगियों के लिए विशेष आहार।

4. फार्मास्यूटिकल्स से प्रेरित खाद्य पदार्थ
जिनमें बायोएक्टिव कंपाउंड होते हैं। उदाहरण, हल्दी (करक्यूमिन), ग्रीन टी (कैटेचिन)।

इन पदार्थों को अपने आहार में शामिल कैसे करें

1. अपने दिन की शुरुआत ग्रीन टी या ताजे फलों के रस से करें।
2. अपने भोजन में ताजे फल और सब्जियों का सेवन बढ़ाएं।
3. भोजन में हल्दी, अदरक और लहसुन का नियमित उपयोग करें।
4. नाश्ते में ओट्स और नट्स को शामिल करें।
5. स्नैक्स के लिए ताजे फल, दही या भुने हुए बीज का चयन करें।
6. प्रोबायोटिक दही और ग्रीन टी को अपनी डाइट का हिस्सा बनाएं।
7. सप्ताह में कम से कम 2 बार ओमेगा-3 फैटी एसिड वाले फूड्स खाएं।

(डिस्क्लेमर : ये लेख विभिन्न स्त्रोतों से प्राप्त जानकारियों पर आधारित है। हम इसे लेकर कोई दावा नहीं करते हैं। विशेषज्ञ का परामर्श अपेक्षित।)


About Author
Shruty Kushwaha

Shruty Kushwaha

2001 में माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता विश्वविद्यालय भोपाल से पत्रकारिता में स्नातकोत्तर (M.J, Masters of Journalism)। 2001 से 2013 तक ईटीवी हैदराबाद, सहारा न्यूज दिल्ली-भोपाल, लाइव इंडिया मुंबई में कार्य अनुभव। साहित्य पठन-पाठन में विशेष रूचि।

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