क्या बेवफाई उसकी आदत है! कहीं आपका पार्टनर एब्रोरोमांटिक या एब्रोसेक्शुएल तो नहीं, रिलेशनशिप में जाने से पहले कर लें चेक

आज की दुनिया में लोगों की सेक्शुअल पहचान और यौनिकता के प्रति समझ तेजी से विकसित हो रही है। इसी क्रम में कुछ नए शब्द और अवधारणाएँ भी उभर रही हैं, जो लोगों की जटिल भावनाओं और यौनिक अनुभवों को व्यक्त करती हैं। इनमें से दो प्रमुख पहचानें हैं एब्रोरोमांटिक और एब्रोसेक्शुएल। अगर आप भी किसी रिलेशनशिप में हैं या आपको लगता है कि आपका पार्टनर बार-बार आपके साथ चीटिंग कर रहा है तो इस बारे में जान लेना ज़रूरी है।

Understanding Abrosexual and Abroromantic Identities : मोहब्बत और बेवफ़ाई..जानें कितने  किस्से हमने देखे-सुने हैं। कई लोग दिल टूटने के दर्द से गुज़रे हैं। ख़ासकर बदलते दौर में, नए ज़माने में तो वफा एक ऐसी उम्मीद हो गई है..जो कभी भी टूट सकती है। इसीलिए किसी भी रिलेशनशिप में अपने पार्टनर को अच्छे से टटोल लेना और आज़मा लेना जरूरी होता है।

लेकिन इस बीच एक सवाल और है..क्या बेवफाई सिर्फ एक फ़ितरत है ? कहीं ये किसी शख्स की शख़्सियत का हिस्सा तो नहीं है। कहीं ऐसा तो नहीं कि कुदरत ने ही उसे ऐसा बनाया हो। क्या आपने कभी एब्रोरोमांटिक और एब्रोसेक्शुएल जैसी टर्म के बारे में सुना है।

कहीं आपका साथी भी एब्रोरोमांटिक या एब्रोसेक्शुएल तो नहीं!

यकीनन..धोखा देना, छल करना, प्रेम में बेवफ़ाई ये सब किसी की आदत या फ़ितरत भी हो सकती है। लेकिन अगर कोई व्यक्ति बार बार यही पैटर्न दोहराए तो बहुत मुमकिन है कि वो एब्रोरोमांटिक और एब्रोसेक्शुएल हो। क्या आपको भी लगता है कि आपके साथी की रोमांटिक भावनाएं और सेक्शुअल ओरिएंटेशन बार बार बदल जाता है। या फ़िर, वो कुछ समय बाद नए लोगों के प्रति आकर्षित हो जाते हैं। अलग ऐसा है तो ये जानकारी आपके लिए बहुत काम की है।

एब्रोरोमांटिक क्या है?

एब्रोरोमांटिक व्यक्ति वह होता है, जिसकी रोमांटिक भावनाएँ समय के साथ बदलती रहती हैं। इसका मतलब यह हो सकता है कि किसी समय वे किसी के प्रति गहरे रोमांटिक भाव महसूस कर सकते हैं। लेकिन कुछ ही समय बाद ये भावनाएं बदल जाती हैं और उनका यह रोमांटिक आकर्षण पूरी तरह से समाप्त हो सकता है। इसके बाद वो किसी ओर के लिए आकर्षित हो सकते हैं। और बहुत संभव है कि ऐसा व्यक्ति किसी भी जेंडर के प्रति आकर्षण महसूस करने लगे। मतलब ये कि एक समय में किसी महिला के साथ रोमांटिक रिलेशन में होने के बाद वो कुछ समय बाद किसी पुरुष या थर्ड जेंडर के व्यक्ति के प्रति भी आकर्षित हो सकता/सकती है। इस तरह ऐसे व्यक्ति के रोमांटिक अनुभव दिन, सप्ताह या महीनों के अंतराल में बदलते रह सकते हैं। 

एब्रोसेक्शुएल क्या है?

उसी तर्ज पर..एब्रोसेक्शुएल व्यक्ति वह होता है, जिसकी यौनिकता और यौनिक आकर्षण भी समय के साथ बदलता रहता है। एब्रोसेक्शुएलिटी में व्यक्ति किसी एक समय में किसी एक व्यक्ति के प्रति यौनिक आकर्षण महसूस कर सकता है, जबकि दूसरे समय यह आकर्षण पूरी तरह से बदल सकता है या समाप्त हो सकता है। एब्रोसेक्शुएल लोग किसी समय विषमलैंगिक, समलैंगिक, उभयलैंगिक या अन्य किसी भी यौनिक पहचान का अनुभव कर सकते हैं, और यह अनुभव लगातार बदलता रहता है।

एब्रोरोमांटिक/एब्रोसेक्शुएल होने की पहचान कैसे करें

एब्रोरोमांटिक और एब्रोसेक्शुएल पहचान, व्यक्ति की बदलती रोमांटिक और यौनिक भावनाओं पर आधारित होती है। अगर कोई व्यक्ति में बार बार यही पैटर्न नज़र आए तो बहुत संभव है कि वो एब्रोरोमांटिक और एब्रोसेक्शुएल हो। उनकी भावनाएँ और आकर्षण समय के साथ बदल रही है, वे बार बार अपने पार्टनर बदल रहे हैं तो ये इस बात का संकेत हो सकता है। कभी-कभी एक ही व्यक्ति के प्रति विपरीत रोमांटिक भावनाएँ महसूस कर सकता है। जैसे कि एक समय पर वो सामने वाले को पसंद करता है और कुछ समय बाद नहीं।

किसी समय में व्यक्ति रोमांटिक या यौन आकर्षण महसूस कर सकते हैं, जबकि कुछ समय बाद यह आकर्षण पूरी तरह खत्म हो सकता है या किसी और व्यक्ति के प्रति हो सकता है। यह परिवर्तन समय, परिस्थितियों या उनकी भावनात्मक स्थिति पर निर्भर कर सकता है। वो किसी समय खुद को विषमलैंगिक, समलैंगिक, उभयलैंगिक या अन्य यौनिक पहचान के रूप में महसूस कर सकते हैं और यह पहचान भी बदलती रहती है। यौनिक आकर्षण की दिशा और तीव्रता में भी बदलाव का अनुभव होता है।

यह पहचान क्यों महत्वपूर्ण है

एब्रोरोमांटिक और एब्रोसेक्शुएल व्यक्ति को ख़ुद को पहचानना और स्वीकार करना जरूरी है। ये भावनाएं आपसी संबंधों और सामाजिक भूमिका पर भी प्रभाव डालती हैं। अगर ऐसे लोग अपनी पहचान को छिपाते हैं तो वो अपने रिलेशनशिप में कई अन्य लोगों को दुख देते हैं। कोई और व्यक्ति उनके इस भाव-परिवर्तन के कारण ख़ुद को छला हुआ महसूस कर सकता है। इसलिए ज़रूरी है कि ऐसे शख्स अपनी पहचान को न सिर्फ स्वीकार करें, बल्कि किसी भी रिश्ते में जाने से पहले सामने वाले को इस बारे में पूरी तरह बता भी दें। इसके बाद रिश्ता क्या मोड़ लेता है, ये दोनों की आपसी सहमति पर निर्भर करेगा और ये दोनों के लिए ही बेहतर होगा। आवश्यक लगने पर इसे लेकर विषय विशेषज्ञ से परामर्श और मदद भी ली जा सकती है।

(डिस्क्लेमर : ये लेख विभिन्न स्त्रोतों से प्राप्त जानकारियों पर आधारित है। हम इसे लेकर कोई दावा नहीं करते हैं।)

 

 


About Author
श्रुति कुशवाहा

श्रुति कुशवाहा

2001 में माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता विश्वविद्यालय भोपाल से पत्रकारिता में स्नातकोत्तर (M.J, Masters of Journalism)। 2001 से 2013 तक ईटीवी हैदराबाद, सहारा न्यूज दिल्ली-भोपाल, लाइव इंडिया मुंबई में कार्य अनुभव। साहित्य पठन-पाठन में विशेष रूचि।

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