जानिये मुहावरा, कहावत और लोकोक्ति में अंतर

भोपाल, डेस्क रिपोर्ट। भाषा और जीवन में कहावत या लोकोक्ति (Proverb) और मुहावरे (idioms) का बड़ा महत्व है। ये असल में गागर में सागर हैं। बड़ी बात को समझाने, संकेत करने, गूढ़ अर्थ या फिर विलक्षण अर्थ की प्रतीति के लिए इनका उपयोग होता है। मुहावरे, कहावत और लोकोक्ति में कुछ अंतर होता है। सामान्यतया हम इन तीनों का ही अंतर अच्छे से समझ नहीं पाते और इसमें उलझ जाते हैं। इसीलिए आज हम समझने की कोशिश करते हैं कि ये तीनों असल में क्या हैं और इनमें क्या अंतर है।

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मुहावरा

जब कोई वाक्य अथवा वाक्यांश अपने साधारण अर्थ छोड़कर विशिष्ट अर्थ में प्रयुक्त हो तो वो मुहावरा है। ये वाक्यांश है और इसका स्वतंत्र रूप से प्रयोग नहीं होता। ये सामान्य या प्रत्यक्ष अर्थ की बजाय विलक्षण अर्थ प्रस्तुत करता है। इसीलिए अगर आपने पहले कोई मुहावरे नहीं सुना है तो आप केवल उसे सुनकर उसका अर्थ नहीं निकाल सकते। इसके लिए आपको उसे समझनान होगा। उदाहरण के लिए ‘अंधे की लकड़ी’ एक मुहावरा है जिसका अर्थ है एकमात्र सहारा या ‘आंखों में धूल झोंकना’ अर्थात धोखा देना।

कहावत

कहावत एक पूर्ण वाक्य होता है। इसके मूल में कोई कहानी या घटना होती है। सरल भाषा में कहें तो जीवन के बड़े अनुभवों को छोटे वाक्य मे कह देना ही कहावत है। कहावत सांकेतिक होती है फिर भी इनका अर्थ स्पष्ट होता है और पहली बार सुनकर भी आप उसका अनुमान लगा सकते हैं। इनमें नीतिमूलक सूत्र रहते हैं। उदाहरण के लिए ‘अधजल गगरी छलकत जाए’ ‘अंधों में काना राजा’ कहावतें हैं।

लोकोक्ति

लोकोक्ति और कहावत में काफी समानता है। ये दोनों ही कही हुई बातें हैं लेकिन मूल अंतर ये माना जाता है कि कहावत किसी भी व्यक्ति के द्वारा कही हुई हो सकती है। वहीं लोकोक्ति विद्वानों द्वारा कही जाती है। एक परिभाषा अनुसार ‘विभिन्न प्रकार के अनुभवों, पौराणिक तथा ऐतिहासिक व्यक्तियों एवं कथाओं, प्राकृतिक नियमों और लोक विश्वासों आदि पर आधारित चुटीली, सारगर्भित, संक्षिप्त, लोकप्रचलित ऐसी उक्तियों को लोकोक्ति कहते हैं, जिनका प्रयोग किसी बात की पुष्टि, विरोध, सीख तथा भविष्य-कथन आदि के लिए किया जाता है। लोकोक्ति सीधे शब्दों में भी हो सकती है और विलक्षण शब्दों में भी। वहीं कहावत अक्सर ही विलक्षण शब्दों में होती है। उदाहरण ‘अकेला चना भाड़ नहीं फोड़ता’ ‘एक पंथ दो काज’ लोकोक्ति है।


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श्रुति कुशवाहा

श्रुति कुशवाहा

2001 में माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता विश्वविद्यालय भोपाल से पत्रकारिता में स्नातकोत्तर (M.J, Masters of Journalism)। 2001 से 2013 तक ईटीवी हैदराबाद, सहारा न्यूज दिल्ली-भोपाल, लाइव इंडिया मुंबई में कार्य अनुभव। साहित्य पठन-पाठन में विशेष रूचि।

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