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Thu, Dec 18, 2025

Winter Solstice 2024: आज 21 दिसंबर को साल का सबसे छोटा दिन और सबसे लंबी रात, जानें कैसे होती है शीतकालीन संक्रांति

Written by:Atul Saxena
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सामान्य दिनों में दिन और रात का समय लगभग 12-12 घंटे का होता है, लेकिन 21 दिसंबर के बाद रातें छोटी होने लगेंगी और और दिन लंबे होने लगेंगे।
Winter Solstice 2024: आज 21 दिसंबर को साल का सबसे छोटा दिन और सबसे लंबी रात, जानें कैसे होती है शीतकालीन संक्रांति

Winter Solstice 2024: Winter Solstice 2024: सर्दियाँ शुरू हो गई हैं, दिसंबर का महीना बीतने को है 10 दिन बाद जनवरी शुरू होगी और नया साल 2025 शुरू हो जायेगा, लेकिन कुछ खगोलीय घटनाएँ ऐसी होती हैं जिसका असर मौसम पर भी पड़ता है, यही आज के दिन यानि 21 दिसंबर से जुड़ा है, आज 21 दिसंबर को साल का सबसे छोटा दिन यानि शीतकालीन संक्रांति अर्थात Winter Solstice है साथ ही आज ही साल की सबसे लम्बी रात भी है, खबर में आगे हम आपको इसका कारण और इसे Winter Solstice क्यों कहते हैं ये भी बताएँगे।

पंचांग के मुताबिक आज 21 दिसंबर 2024 को सूर्योदय लगभग 7 बजे के आसपास हुआ और सूर्यास्त लगभग साढ़े पांच बजे  के आसपास होगा, इस हिसाब से रोशनी लगभग 8 घंटे के आसपास ही रहेगी क्योंकि सूर्योदय और सूर्यास्त के समय में भारत में अलग अलग जगहों पर अंतर रहता है, समझने वाली बात ये है कि साल 2024 में 21 दिसंबर का दिन वो दिन है 365 में एक बार आता है जिस दिन दिन सबसे छोटा और रात सबसे लम्बी होती है और इस घटना को शीतकालीन संक्रांति अर्थात Winter Solstice कहते हैं।

इस परिवर्तन का ये है खगोलीय कारण

विंटर सोलस्टाइस यानि शीतकालीन संक्रांति एक खगोलीय घटना है जो पृथ्वी के 23.4 डिग्री के झुकाव के कारण होती है, यही कारण है जो इसे सामान्य दिनों से अलग बनाता है, सामान्य दिनों में दिन और रात का समय लगभग 12-12 घंटे का होता है, लेकिन 21 दिसंबर के बाद रातें छोटी होने लगेंगी और और दिन लंबे होने लगेंगे।

कैसे नाम पड़ा विंटर सोलस्टाइस

विंटर सोलस्टाइस का नाम कैसे पड़ा? ये जानने की इच्छा बहुत से लोगों को रहती है, दरअसल ये एक लैटिन शब्द से बना है, जिसे ‘सोल्स्टिम’ कहा जाता है, इसका यदि विच्छेद करें यानि अलग अलग करें तो इसमें ‘सोल’ का अर्थ सूर्य और ‘सेस्टेयर’ का अर्थ है स्थिरता, इन दोनों शब्दों क जोड़कर ‘सोलस्टाइस’ शब्द बना जिसका अर्थ है सूर्य का स्थिर रहना।

सूर्य की किरणों का ये है महत्व 

आपको बता दें हर साल 21 और 22 दिसंबर को सूर्य की किरणें दक्षिणी गोलार्ध की मकर रेखा पर सीधे पड़ती हैं, जिसकी वजह से उत्तरी गोलार्ध और सूर्य के बीच की दूरी बहुत बढ़ जाती है, यही वजह है कि उत्तरी गोलार्ध में 21 दिसंबर को सबसे छोटा दिन और सबसे लंबी रात होती है।

Disclaimer: ये जानकारी अलग अलग स्रोतों से इकट्ठा की गई है, ज्योतिषीय अथवा खगोलीय घटना के विषय में एमपी ब्रेकिंग न्यूज़ किसी तरह का दावा नहीं करता, अधिक जानकारी के लिए विषय विशेषज्ञ की सलाह लेना उचित रहेगा