इंदौर, आकाश धोलपुरे। यूं तो रावण को पूरे भारत मे बुराई का प्रतीक मानकर हर वर्ष उसका दहन किया जाता है लेकिन इंदौर के परदेशीपुरा में एक स्थान ऐसा भी है जहां रावण की पूजा की जाती है। परदेशीपुरा के इस मंदिर में ये मान्यता है कि रावण भगवान शिव का दसवां अवतार है और एक ब्राह्मण होने के नाते उसका दहन किया जाना ठीक नहीं है।
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बता दें कि इंदौर के परदेशीपुरा क्षेत्र के गौहर नगर में रावण का मंदिर है और यहां दशानन की प्रतिमा को 10-10-2010 को ठीक 10 बजकर 10 मिनिट और 10 सेकंड पर स्थापित किया गया था। रावण के मंदिर को 30 सदस्यीय गौहर परिवार ने किया है और तब से ही इस मंदिर में हर रोज सुबह 10 बजकर 10 मिनिट पर रावण की विशेष पूजा की जाती है। गौहर परिवार के मुखिया महेश गौहर ने बताया कि साल 1966 में वो अपने मामा की बारात में मंदसौर गए थे जहां विवाह रस्म के दौरान रावण का पूजन दूल्हा व दुल्हन ने किया था। तब से ही जिज्ञासावश उन्होंने रावण पर रिसर्च की तो पाया कि रावण प्रकांड पंडित होने के साथ ही भगवान शिव का अवतार है। ऐसे में रावण के दहन के बजाय पूजन होना चाहिये जिसके बाद 1969 से ही उनके परिवार द्वारा रावण को पूजा जाता है। अब तो आलम ये है कि 30 सदस्यीय परिवार रावण की भक्ति में लीन है। उनका कहना है कि जो लोग रावण को बुराई का प्रतीक मानते हैं, वो माने, और उनका भी भला हो।
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महेश गौहर बताते है कि रावण माता सीता के पिता थे ऐसे में उन्हें बुराई का प्रतीक नहीं माना जाना चाहिए। बता दें कि रावण को मानने वाले गौहर परिवार में बच्चों के नाम लंकेश, मेघनाथ और चन्द्रघंटा (सुरपंखा) है। महेश गौहर के मुताबिक उनके यहां मंदिर में न सिर्फ इंदौर बल्कि मध्यप्रदेश, यूपी, राजस्थान, बिहार और अन्य प्रदेशों से लोग रावण दर्शन के लिए आते है। वहीं वो खुद विशेष पूजा और तांत्रिक क्रिया भी रावण के मंदिर में करते हैं हालांकि इस दौरान अन्य भक्तों को मंदिर में प्रवेश की इजाजत नहीं होती है।
बता दें, कि विजयदशमी पर 10 बजकर 10 मिनिट और 10 सेकण्ड के समय पर रावण की पूजा का महत्व इसलिए है क्योंकि रावण दशगिरी दशानन्द स्वरूप में इंदौर में विराजित हैं। फिलहाल, सारे देश में रावण को बुराई का प्रतीक मानकर जलाया जाता हो लेकिन इंदौर के गौहर परिवार का मानना है कि लंकेश को जिसने भी जलाया है उसके जीवन मे मुश्किलें बढ़ी हैं और जो लंकेश की शरण मे होता उसका पूरा परिवार सुखमय और धन धान्य से परिपूर्ण जीवन व्यतीत करता है। हालांकि, इंदौर का ये परिवार आधुनिक युग मे रावण का पूजन कर एक अनूठी मिसाल पेश कर रहा है जिसके पीछे की वजह और तर्क आम लोगों की धारणा से अलग हो सकते हैं, लेकिन रावण के इंदौर में प्रदेश के और देश अन्य राज्यों के स्थानों की तरह इंदौर में आज भी ठाट है।