आगर मालवा। गिरीश सक्सेना।
जिले के शासकीय स्कूलों में पड़ने वाले छात्र छात्राओं को निःशुल्क वितरित की जाने वाली गणवेश प्रक्रिया एक बार फिर विवादों में है। पहले ही जिम्मेदारों की लापरवाही के चलते विगत 6 माह से लटकी इस प्रकिया पर अब इससे जुड़े स्थानीय कपड़ा व्यवसायियों ने जिम्मेदारों पर धानताली करने का आरोप लगाते हुए बताया है कि एनआरएलएम विभाग के अधिकारियों ने उनकी कम कीमत के कोटेशन को दरकिनार कर भोपाल और इंदौर से आई 2 फर्मो को काफी अधिक रेट होने के बाद भी गोपनीय रूप से सप्लाय के आर्डर दे दिए गए है।
अपनी इसी नाराजगी को लेकर ये कपड़ा व्यवसायी एनआरएलएम के ऑफिस पहुच गए और विभाग के डीपीएम विनीत गुप्ता से शिकायत करने लगे । व्यपारियों का यह भी कहना है कि जब उनके द्वारा कोटेशन डाले जा रहे थे तभी इन भोपाल और इंदौर की फर्मो ने हम से व्यर्थ परेशान ना होने का कहते हुए कहा था कि यहां सब कुछ सेट है आप परेशान मत हो । हालांकि अभी एक दिन पहले ही डीपीएम का पद सम्हालने वाले विनीत गुप्ता ने इस पूरी प्रक्रिया से अपने को अनभिज्ञ बताया और प्रकरण में जानकारी लेने के बाद ही कुछ बता सकने की बात कही है । ऐसे में विभाग में आए कपड़ा व्यवसायी पुराने डीपीएम हेमंत रामावत और जिला प्रबंधक रहमत अली शेख को बुलाने पर अड़ गए हालांकि फिर किसी तरह वर्तमान डीपीएम ने इन असंतुष्ट व्यपारियो को समझा कर मामले को शांत करने का प्रयास किया ।
गणवेश खरीदी कि इस प्रक्रिया पर सवाल उठाने वाले ये व्यापारी अब अपनी शिकायत लेकर कलेक्टर ओर मंत्री तक जाने की बात कर रहे है । वहीं गणवेश बनाने का कार्य कर रहे स्वसहायता समूह के पदाधिकारी कपड़े खरीदी की इस प्रक्रिया से अपने को अनभिज्ञ बताते हुए कह रहे है कि उन्हें जब भी एनआरएलएम विभाग द्वारा बुलाया गया तब वे वहां चले गए और उस दौरान विभाग के अधिकारियों द्वारा कोटेशन और तुलनात्मक पत्रक की कार्यवाही की गई थी पर किन किन ने कोटेशन दिए और किसके रेट ज्यादा या कम थे इसकी उन्हें जानकारी नही थी बस विभाग के अधिकारियों ने एक दिन बताया कि आपको भोपाल या इंदौर के ये संस्थान गणवेश के कपड़े भेजेंगे तो हमने हां कर दी ।
पूरे मामले से एक बात तो स्पस्ट है कि स्वसहायता समूह के मासूम पदाधिकारियों का फायदा उठाकर जिम्मेदार अपना हित साधने के प्रयास में लगे हुए है और इन सबके बीच यदि कोई प्रताड़ित हो रहा है तो वह है जिले के छात्र छात्राए और यहां का स्थानीय कपड़ा व्यवसायी क्योकि जहां एक और सरकारी स्कूल के छात्र छात्राए जो पिछले 6 माह से अपनी गणवेश का इन्जार कर रहे है उनका इंतजार और लंबा होता जा रहा है वहीं स्थानीय कपड़ा व्यवसायी जो कम रेट पर भी उच्च गुणवत्ता वाले कपड़ा देने को तैयार है इसके बाद भी उन्हें वितरण आदेश नही दिया जा रहा है ।