पिता को मुखाग्नि देकर बेटी ने निभाया बेटे का फर्ज

अलीराजपुर,यतेन्द्र सिंह सोलंकी। बदलते सामाजिक परिवेश में अब बेटा (Beta) और बेटियों (Betiyon)के बीच  का फर्क मिटता जा रहा है। बड़ी बात ये है कि अंतिम संस्कार जैसे धार्मिक रीति रिवाज (Dharmik Riti Riwaj)  में भी लड़कियों को बराबर का दर्जा मिल रहा है और वे बेटे जैसे फर्ज निभा रहीं हैं। अलीराजपुर में भी ऐसा ही कुछ देखने को मिला जब एक बेटी ने पिता की इच्छानुसार उनको मुखाग्नि दी।

स्थानीय असाडा राजपूत समाज के सदस्य व जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान के पूर्व प्रभारी प्राचार्य हेमंतसिंह वाघेला का गत दिनों  गुजरात के पारुल हॉस्पिटल (बडौदा) में गंभीर बीमारी के चलते उपचार के दौरान निधन हो गया था। उन्होंने शिक्षा के क्षेत्र में कई उल्लेखनीय कार्य किए। उनकी इच्छानुसार उनकी बड़ी पुत्री कुमारी मीनल मोनू वाघेला ने उनके अर्थी को कंधा व पार्थिव देह को मुखाग्नि देकर बेटे का कर्तव्य निभाया और हिंदू धर्म अनुसार अंतिम संस्कार किया। स्थानीय मुक्तिधाम पर उनकी अंत्येष्टि की गई। श्रद्धांजलि सभा को संबोधित करते हुए समाज के उमेश वर्मा, डाइट के प्रभारी प्राचार्य आरएस बामनीया, शिक्षक मदनमोहन जाटव, शिक्षक संघ के राजेश आर.वाघेला ने अपने सम्बोधन  में दिवंगत श्री वाघेला के कार्य, व्यवहार व अनुशासन को श्रेष्ठ बताते हुए कहा कि उन्होंने कर्तव्यनिष्ठा से जिले की शैक्षणिक संस्थाओं की मॉनिटरिंग कर प्रशिक्षणार्थियों के कुशल मार्गदर्शक के रुप में स्वयं को स्थापित किया। इनके परिवार में पत्नी पूर्णिमा व दो पुत्रियां मीनल व कशिश है। इस अवसर पर समाज अध्यक्ष राजेश राठौर सहित समाजजनों, शिक्षकों व गणमान्य नागरिकों आदि ने श्रद्धांजलि दी ।


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Atul Saxena

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पत्रकारिता मेरे लिए एक मिशन है, हालाँकि आज की पत्रकारिता ना ब्रह्माण्ड के पहले पत्रकार देवर्षि नारद वाली है और ना ही गणेश शंकर विद्यार्थी वाली, फिर भी मेरा ऐसा मानना है कि यदि खबर को सिर्फ खबर ही रहने दिया जाये तो ये ही सही अर्थों में पत्रकारिता है और मैं इसी मिशन पर पिछले तीन दशकों से ज्यादा समय से लगा हुआ हूँ.... पत्रकारिता के इस भौतिकवादी युग में मेरे जीवन में कई उतार चढ़ाव आये, बहुत सी चुनौतियों का सामना करना पड़ा लेकिन इसके बाद भी ना मैं डरा और ना ही अपने रास्ते से हटा ....पत्रकारिता मेरे जीवन का वो हिस्सा है जिसमें सच्ची और सही ख़बरें मेरी पहचान हैं ....