पारिवारिक विवाद के कारण भाई ने भाई के परिवार को जिंदा जलाया, खुद भी काल के गाल में समाया

Gaurav Sharma
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अनूपपुर, डेस्क रिपोर्ट। अनूपपुर (Anuppur) से पारिवारिक विवाद (family problem) के चलते एक भाई के अपने सगे भाई के परिवार को सोते वक्त जिंदा जलाने (burnt alive) का मामला सामने आया है। साथ ही आरोपी ने खुद को भी फांसी लगाकर अपनी जान दे दी (suicide) है, जिसके बाद से पूरे इलाके में सनसनी फैल गई है।

मिली जानकारी के अनुसार बीती 25 नवंबर की रात 1:30 से 2:00 बजे के करीब अनूपपुर (Anuppur) जिले के धनवा इलाके में रहने वाले दीपक विश्वकर्मा ने अपने सगे भाई के घर पर केरोसिन डालकर उसे आग (set fire in the house) लगा दी। वही मामले में जानकारी जुटाने घटनास्थल पहुंची पुलिस ने दीपक विश्वकर्मा के कमरे में एक दीवार पर सुसाइड नोट लिखा पाया। जो कि 22 नवंबर का बताया जा रहा है।

पारिवारिक विवाद के कारण भाई ने भाई के परिवार को जिंदा जलाया, खुद भी काल के गाल में समाया

वहीं मामले की जानकारी देते हुए एसआई केके त्रपाठी ने बताया कि आरोपी भाई ने ओमकार विश्वकर्मा उम्र 46 साल , उनकी पत्नी कस्तूरिया बाई उम्र 42 साल और बेटी निधि उम्र 17 साल को मौत के घाट उतार दिया गया, जबकि मृतक ओमकार के 18 वर्षीय बेटे आशीष को चोटें आईं, जिसके बाद उसे इलाज के लिए शहडोल ले जाया गया ।

दीपक विश्वकर्मा ने सुसाइड नोट में लिखा कि मेरे कमरे में घुस कर मुझे मारे हैं और कहते हैं तेरा यहां कोई नहीं है घर से भगा रहे हैं। और आरोप लगाते हैं कि जो सट्टा भी खेलते हो यह नोट के साथ आरोपी ने तारीख भी लिखी है। मृतक द्वारा लिखे गए इस नोट को पलस घटना से जोड़कर देख रही है। वही पूरे मामले को गंभीरता से लेते हुए जांच में जुट गई है।


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पत्रकारिता पेशा नहीं ज़िम्मेदारी है और जब बात ज़िम्मेदारी की होती है तब ईमानदारी और जवाबदारी से दूरी बनाना असंभव हो जाता है। एक पत्रकार की जवाबदारी समाज के लिए उतनी ही आवश्यक होती है जितनी परिवार के लिए क्यूंकि समाज का हर वर्ग हर शख्स पत्रकार पर आंख बंद कर उस तरह ही भरोसा करता है जितना एक परिवार का सदस्य करता है। पत्रकारिता मनुष्य को समाज के हर परिवेश हर घटनाक्रम से अवगत कराती है, यह इतनी व्यापक है कि जीवन का कोई भी पक्ष इससे अछूता नहीं है। यह समाज की विकृतियों का पर्दाफाश कर उन्हे नष्ट करने में हर वर्ग की मदद करती है।इसलिए पं. कमलापति त्रिपाठी ने लिखा है कि," ज्ञान और विज्ञान, दर्शन और साहित्य, कला और कारीगरी, राजनीति और अर्थनीति, समाजशास्त्र और इतिहास, संघर्ष तथा क्रांति, उत्थान और पतन, निर्माण और विनाश, प्रगति और दुर्गति के छोटे-बड़े प्रवाहों को प्रतिबिंबित करने में पत्रकारिता के समान दूसरा कौन सफल हो सकता है।

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