अनूपपुर ,वेद शर्मा। अनूपपुर जिले के लोक स्वास्थ्य यांत्रिकीय विभाग में जल जीवन मिशन के तहत 03 मार्च 2020 को निविदा बुलाकर निविदा प्राप्त ठेकेदारो को कार्यादेश जारी कर समय सीमा में कार्य पूर्ण करने का आदेश जारी किया गया था, इस आदेश के तहत् सभी ठेकेदारो ने अपना-अपना कार्य प्रारंभ किया।
विकासखंड जैतहरी अंतर्गत ग्राम देवहरी में मे. कमलेश द्विवेदी, ग्राम धनगवा पश्चिम में बिल्डकॉम फर्म से विष्णु द्विवेदी एवं विकासखण्ड अनूपपुर अंतग्रत ग्राम छोहरी में फर्म जयश्री, प्रो. लक्ष्मीनारायण उपाध्याय को कार्य करने को मिला था। ग्रामीण क्षेत्रों में उपरोक्त कार्यो में नल जल योजना के तहत ठेकेदार द्वारा सामग्री क्रय कर पाइप लाइन का कार्य किया जाना था, जिसका समक्ष अधिकारी द्वारा परीक्षण उपरांत सामग्री का 60 प्रतिशत भुगतान करने का प्रावधान है।
प्रकाश मिश्रा एवं अन्य ठेकेदारों सहित भाजपा किसान मोर्चा जिला अध्यक्ष ने आरोप लगाते हुए मुख्यमंत्री, विभागीय मंत्री एवं कार्यपालन यंत्री लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग अनूपपुर को लिखित शिकायत करते हुए बताया है कि परीक्षण उपरांत सामग्री का 60% भुगतान करने के प्रावधान की धज्जिया उडाते हुए सितंबर माह में तीन ठेकेदारो को 72 लाख का भुगतान कर दिया गया। इतना ही नहीं इस भ्रष्टाचार को अंजाम देने के लिए फर्जी फर्मो के बिल लगाकर योजनाबद्व तरीके से घोटाला किया गया, दस्तावेजों में भी विभागीय अधिकारियों ने हेरफेर करते हुए भ्रष्टाचार किया गया है।
ठेकेदारों एवं भाजपा जिलाध्क्ष ने आरोप लगाते हुए बताया है कि पीएचई विभाग में बैठे जिम्मेदारों ने ठेकेदार के साथ मिलकर पूरे मामले में खेल खेल दिया है। प्रभारी सहायक यंत्री कोतमा सुधाकर द्विवेदी एवं अनूपपुर सहायक यंत्री असगर अली द्वारा खंड कार्यालय में बिल प्रस्तुत कर तीनो फर्मो को कार्यपालन यंत्री द्वारा नियम विरूद्व भुगतान कर दिया गया। चंद चांदी के सिक्कों की खनक के आगे इन अधिकारियों ने ठेकेदारो के साथ मिलकर शासकीय पैसों में जमकर हेरफेर करने की योजना बना डाली, जब इसकी शिकायत हुई तो यह मामला उजाकर हुआ, अब जांच के बाद ही इसकी पूरी सच्चाई सामने आयेगी।
प्रभारी सहायक यंत्री कोतमा सुधारक द्विवेदी के पुत्र विष्णु द्विवेदी तथा करीबी रिश्तेदार लक्ष्मीनारायण उपाध्याय को निविदा भी मिल गया और इन्ही फर्म के खातों में लाखों रूपए का भुगतान भी हो गया। जबकि संभागायुक्त द्वारा पूर्व में सुधाकर द्विवेदी को हैण्डपंप उत्खनन में दोषी पाये जाने पर सस्पेंशन की कार्यवाही की गई थी,हाईकोर्ट से स्टे प्राप्त कर पूर्व की तरह फिर से भ्रष्टाचार में लिप्त हो गये।
पीएचई विभाग के द्वारा प्रो. कमलेश द्विवेदी के खाते में लगभग 21 लाख रूपए, प्रो. विष्णू द्विवेदी के खाते में लगभग 23 लाख रूपए और प्रो. लक्ष्मीनारायण उपाध्याय के खाते में लगभग 28 लाख रूपए का भुगतान किया गया है।जिसकी जांच कराते हुए भ्रष्टाचारियों पर कार्यवाही की मांग की गई है।