अशोकनगर, हितेंद्र बुधोलिया| जिला अस्पताल के एसएनसीयू वार्ड (SNCU Ward) के कर्मचारियों की लापरवाही से बदली जाने के बाद गायब हुई नवजात बच्ची आखिरकार 28 घंटे पुलिस (Police) की सक्रियता से ईसागढ़ के पास डेंगा मोहचार गांव में मिल गई । जिसे सिटी कोतवाली पुलिस एवं तहसीलदार रोहित रघुवंशी ने जिला अस्पताल (Hospital) पहुंचकर उसकी मां को सौपा|
माँ ने अपनी बच्ची को गोद मे खिलाकर संतुष्टि जताई है। जन्म देने के बाद से यह बच्ची अपनी माँ से इसलिए दूर रही क्योकि इसे एसएनसीयू वार्ड के कर्मचारियों ने दूसरी महिला को दे दिया था। जिला अस्पताल प्रबंधन की लापरवाही से बदली गई बच्ची तो गायब हो ही गई थी, तमाम प्रयासों के बाद भी अस्पताल बच्चे को ढूंढ नहीं पाया था ।
इसके बाद बच्ची के पिता ने आज सुबह सिटी कोतवाली में बच्ची की गुमसुदगी का आवदेन देकर पुलिस से सहायता मांगी जिसके वाद सिटी कोतवाली ने गायब बच्ची को 6 घण्टे में ही ढूंढ निकाला| वही बच्ची 28 घंटे बाद असली माँ की गोद मे पहुच पाई। अगर यह मामला पुलिस की नजर में नही पहुचता तो शायद बच्ची को ढूढ़ने में अस्पताल प्रवंधन दो तीन दिन लगा देता क्योकि अस्पताल प्रवंधन 20 घण्टे तक बच्ची का सुराग तक नही लगा पाए थे।
स्वास्थ्य तंत्र पर सवालिया निशान नवजातो के बदले जाने का अशोक नगर में है कोई पहला मामला नहीं है। ना केवल बच्चो के बदले जाने का बल्कि दूसरे मामलों को लेकर भी जिला चिकित्सालय लगातार विवादों में बना हुआ है । नीलम नाम की महिला का संस्थागत प्रसव अशोकनगर जिला चिकित्सालय में हुआ और जिसे बच्ची दे दी गई थी उसके बारे में स्वास्थ्य के पास कोई जानकारी नहीं थी। ना ही उसका फोन नंबर उनके पास उपलब्ध था। 20 घंटे तक स्वास्थ्य विभाग का वह आमला जो मैदानी स्तर तक फैला हुआ है ,वह पता नहीं लगा पाया कि यह महिला कहां की थी और कहां चली गई। जबकि किसी भी गर्भवती महिला से संबंध तमाम सारी जानकारी उसके प्रसव पूर्व स्वास्थ्य अमले के पास होती है। मगर इस मामले में सारे तंत्र की पोल खुल गई है। साथ ही जिन लोगों की लापरवाही से यह बच्ची बदली गई थी उन पर भी क्या कार्रवाई की जा रही है ,इसको लेकर विभाग अभी गंभीरता नहीं दिखा रहा।