हितेंद्र बुधौलिया/अशोकनगर। कलेक्टर बनने का सपना यूं तो स्कूली जीवन मे बहुत विद्यार्थी देखते है मगर सच बहुत कम बच्चों का होता है। मगर सोचिये की बहुत सारे बच्चों को अचानक कलेक्टर की कुर्सी बैठने को मिल जाये तो उनकै लिये यह जीवन भर की खुशनुमा याद बन जाएगी। अशोकनगर में ऐसा ही हुआ है ,यहां एक साथ कई सारे दिव्यांग बच्चे कलेक्टर की कुर्सी पर बैठे एवं कुछ देर के लिये कलेक्टरी भी की। यह अनोखा वाकया उस समय हुआ जब दिव्यांग छात्रावास के बच्चों को कलेक्ट्रेट दिखाने के लिये लाया गया था। जब वो कलेक्टर चेम्बर में पहुंचे तो कलेक्टर डॉ मंजू शर्मा ने पूछा कि वह क्या बनना चाहते हैं, तो ज्यादातर बच्चों ने कहा कि वह कलेक्टर बनना चाहते हैं। इसके बाद कलेक्टर ने इन बच्चों की मुराद पूरी करने के लिए एक-एक कर कई बच्चों को अपनी कुर्सी पर बिठाया और अधिकारियों से फोन पर उसी तरह बात कराई जैसे कलेक्टर करते हैं। जो बच्चे देख और सुन नहीं पा रहे थे, या अन्य तरह की शारीरिक अक्षमताओं से घिरे थे उनके प्रति महिला कलेक्टर की संवेदनशील पहल जिले भर में चर्चा का विषय बन गई है। इस दौरान बच्चों को अशोकनगर विधायक जजपाल सिंह जज्जी ने टॉफी प्रदान की । इन बच्चों को पूरे कलेक्ट्रेट का भ्रमण भी कराया गया।
अशोकनगर में महिला बाल विकास विभाग एवं जिला परियोजना विभाग द्वारा दिव्यांग छात्रावास के बच्चों के लिए एक कार्यक्रम तय किया था जिसमें उन्हें कलेक्ट्रेट का भ्रमण कराया जाना था और बापू माध्यमिक विद्यालय में उनका सांस्कृतिक कार्यक्रम था। इसी आयोजन के तहत बच्चे कलेक्ट्रेट आए थे। इन बच्चों के साथ भले ही भाग्य ने कुछ कमी की हो लेकिन कलेक्टर ने इनके साथ मानवता और संवेदना प्रकट करते हुए इन्हें वो खुशी दी जो शायद इन्होंने कभी सोची भी न होगी। ये बच्चे भले ही कुछ क्षण के लिए कलेक्टर की कुर्सी पर बैठे लेकिन इन पलों को अपने जीवन के शायद सबसे सुखद और अविस्मरणीय लम्हों में याद रखेंगे। खुद को जिलाधीश की कुर्सी पर बैठकर इनके चेहरे पर खुशी और प्रसन्नता देखने को मिली वह अपने आप मे अनूठी थी। जब पहली बार ये बच्चे न सिर्फ कलेक्ट्रेट बल्कि जिले के सबसे बड़े अधिकारी के कक्ष में पहुंचे तो इनकी चहक और खिलखिलाहट से पूरा कक्ष गूंज गया। एक अधिकारी का कमरा जहां हमेशा आवेदकों,अधिकारियों व कर्मचारियों को ही देखा जाता था वहां पहुंचे ये बच्चे जिनमे से कई बोल नही पाते,कुछ सुन और देख तक नहीं पाते।लेकिन फिर भी इनके पास एक बाल सुलभ मन है ,वह प्रसन्न दिख रहा था। कलेक्टर बनने की इन बच्चों का कलेक्टर बनने का सपना मानो बोलते ही पूरा हो गया। कलेक्टर की कुर्सी पर बैठ कर फ़ोन पर बाकायदा एक कलेक्टर की तरह अधिकारियों से बात भी कराई गई। हालांकि इन नन्हे मुन्नों के मन मे अभी से अव्यवस्थाओं को लेकर रोष है। शायद तभी इन्होंने कलेक्टर बनकर सबसे पहले अस्पताल खुलवाने, स्कूल खुलवाने और बैंकों में लगने वाली लाइनों को खत्म करने की इच्छा जाहिर की। इन बच्चों ने न सिर्फ कलेक्टर बनने का मौका पाया बल्कि जिले के अपर कलेक्टर व अन्य अधिकारियों के साथ पूरी सरकारी कार्यप्रणाली को भी समझा। इन मूक बधिर और मानसिक रूप से कमजोर बच्चों के साथ जिले के कलेक्टर,विधायक और अन्य अधिकारी भी इनके साथी जैसे ही बनकर पेश आये। कलेक्ट्रेट भ्रमण के बाद इन बच्चों ने अपनी कलाओं का प्रदर्शन भी किया। एक्सीलेंस स्कूल परिसर में इन बच्चों का सांस्कृतिक कार्यक्रम हुआ जिसमें बच्चो ने अपनी कला की प्रस्तुतियां दी ।इस दौरान विधायक जजपाल सिंह जज्जी जी भी इन बच्चों के साथ नाचते गाते दिखे।