अशोकनगर, हितेंद्र बुधौलिया। अशोक नगर में पहली बार एक घोड़े में ग्लैंडर्स बीमारी की पुष्टि होने के बाद उसे जहर देकर मारना पड़ा। इस बीमारी का कोई इलाज नहीं है और यह बीमारी घोड़ों से घोड़ों एवं से इंसानो में भी संक्रमित हो जाती है इसलिए घोड़े की यूथेनेशिया (मर्सी किलिंग) के अलावा कोई विकल्प नहीं था।
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एक घोड़े में ग्लैंडर्स बीमारी के लक्षण होने के इसके सेम्पल राष्टीय अनुशंधान केंद्र हिसार में भेजा गया था जिसकी रिपोर्ट शुक्रवार को आ गई थी। इस बीमारी की पुष्टि होने के बाद नियमों के अनुसार कलेक्टर के आदेश पर घोड़े को जहर देकर मार दिया और फिर उसे गाड़ दिया गया ताकि यह बीमारी आगे ना फैले। स्थानीय टिंचिंग ग्राउंड पर पशु विभाग एवं राजस्व विभाग की टीम ने घोड़े को जहर देने के बाद उसे दफना दिया। कुछ माह पहले दिल्ली एनसीआर में घोड़ो में यह बीमारी सामने आई थी। यह घोड़ा भी उसी इलाके से लाया गया था।
पशु चिकित्सक डॉ कीर्ति ने बताया कि कुछ माह में ही यह बीमारी घोड़ों से इंसानों में भी फैल सकती है। इंसानों में इसके संक्रमण होने के बाद उनकी हड्डियां इस बीमारी से गल जाती है। कुछ मामलों में संक्रमित लोगों के हाथ तक काटने पड़े हैं। इसलिए इस बीमारी में किसी तरह की रिस्क नहीं ली जाती और संक्रमित घोड़े को मारना ही पड़ता है क्योंकि अभी तक इस बीमारी की दवा नहीं बन पाई है। अब पशुपालन विभाग बीमार घोड़े के 10 किलोमीटर की परिधि में सभी घोड़ों के सेम्पल लेने की तैयारी कर रहा है।