ट्रैक्टर पर सवार किसानों का शक्ति प्रदर्शन, प्रशासन की समझाइश के बाद भी नही माने

Pooja Khodani
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अशोकनगर, हितेन्द्र बुधौलिया। युवा किसान संघर्ष संगठन (Young Peasant Conflict Organization) द्वारा केंद्र सरकार (central government) द्वारा किसानों (Farmers) के हितों को नजरअंदाज करते हुए तीन कृषि अध्यादेश जारी किए गए हैं जिनके विरोध में किसानों द्वारा जिला मुख्यालय की सड़कों पर ट्रैक्टर निकालकर शक्ति प्रदर्शन किया गया हालांकि बाईपास रोड पर प्रशासनिक अधिकारियों (Administrative officers) ने पहुंचकर किसानों की मांग को केंद्र सरकार तक पहुंचाने का आश्वासन दिया जिसके बाद किसानों ने कार्यक्रम का समापन किया।

आपको बता दें कि केंद्र सरकार द्वारा किसानों को लेकर कृषि अध्यादेश लागू (Agricultural ordinance applied) किए गए हैं जिस पर किसान संगठनों द्वारा विरोध प्रदर्शन दर्ज कराया गया किसानों ने गांव-गांव घूमकर किसानों से इस आंदोलन में शामिल होने की अपील की जिसके बाद मंगलवार को बाईपास रोड पर सैकड़ों की संख्या में अपने ट्रैक्टरों के साथ किसान एकत्रित हुए जिसके बाद बाईपास पर ट्रैक्टर रैली निकालकर किसानों ने शक्ति प्रदर्शन किया। किसानों ने कलेक्टर के नाम 12 सूत्रीय ज्ञापन भी सौंपा है, जिसमें रवि करीब की फसलों की खरीदी के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य कानून बनाने की मांग की गई है इसके अलावा बिजली ट्रांसफर सब्सिडी योजना (Electricity transfer subsidy scheme) दोबारा से शुरू करने की मांग की गई है, वही किसानों की फसलों में हुए नुकसान का सर्वे कराकर उचित मुआवजा प्रशासन द्वारा देने की बात कही गई है वहीं डीजल की कीमत पर भी नियंत्रण करने की बात किसान संगठनों द्वारा कहीं गई इसी के साथ साथ वर्ष 2019 में किसानों को हुए नुकसान की बीमा राशि का शीघ्र भुगतान कराने की बात भी ज्ञापन में दर्ज की गई।

बाईपास रोड गरिमा पेट्रोल पंप के पास पहले से ही एसडीएम तहसीलदार (SDM Tehsildar) एवं पुलिस बल मौजूद था जहां किसानों की रैली को विराम देने के बाद किसान संगठन ने कलेक्टर को आवेदन सौंपने की बात कही लेकिन मौके पर एसडीएम तहसीलदार को देखकर किसान आक्रोशित हो गए कई घंटों की समझाइश के बाद एसडीएम की बात किसान संगठनों ने मानी एवं उनकी मांगों को राज्य शासन एवं केंद्र शासन को भेजने का आश्वासन दिया जिसके बाद किसान संगठन के कार्यकर्ता अपने ट्रैक्टरों के साथ अपने अपने गांव की ओर रवाना हुए वही किसान संगठन के के शक्ति प्रदर्शन में शरीक होने के लिए राजनीतिक पार्टियों के कई नेता भी मौके पर पहुंची लेकिन संगठन के पदाधिकारियों ने उन्हें खरी-खोटी सुनाकर चलता बना किया।


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खबर वह होती है जिसे कोई दबाना चाहता है। बाकी सब विज्ञापन है। मकसद तय करना दम की बात है। मायने यह रखता है कि हम क्या छापते हैं और क्या नहीं छापते। "कलम भी हूँ और कलमकार भी हूँ। खबरों के छपने का आधार भी हूँ।। मैं इस व्यवस्था की भागीदार भी हूँ। इसे बदलने की एक तलबगार भी हूँ।। दिवानी ही नहीं हूँ, दिमागदार भी हूँ। झूठे पर प्रहार, सच्चे की यार भी हूं।।" (पत्रकारिता में 8 वर्षों से सक्रिय, इलेक्ट्रानिक से लेकर डिजिटल मीडिया तक का अनुभव, सीखने की लालसा के साथ राजनैतिक खबरों पर पैनी नजर)

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