अशोकनगर।
सोमवार को जिला अस्पताल का औचक निरीक्षण करने पहुंचे नवनिर्वाचित सांसद केपी यादव अव्यवस्थाओं को देखकर भड़क उठे। अधिकारियों को फटकार लगाते हुए यादव ने कहा कि आईसीयू में 30 चीजें होती हैं और यहां तो तीन भी नहीं है, यदि किसी ने आकर मेरे संसदीय क्षेत्र के जिला अस्पताल के आईसीयू वार्ड को देख लिया तो मैं तो शर्म से डूब कर मर जाऊंगा। एक सांसद के यहां के जिला अस्पताल का ऐसा आईसीयू वार्ड ऐसा है।
दरअसल, सोमवार को सांसद डॉ.केपी यादव ने जिला अस्पताल का निरीक्षण किया और उन्होंने ओपीडी कक्ष, डॉक्टरों के कक्ष, प्रसूति गृह, दवा स्टोर आदि का निरीक्षण कर मरीजों का हाल जाना। इस दौरान आईसीयू वार्ड में सिर्फ एक मॉनीटर और ऑक्सीजन के लिए सिर्फ सिलेण्डर देखकर कहा कि इसे तो आईसीयू कोई कह ही नहीं सकता। यहां तो कोई सामान ही नहीं है। यदि आईसीयू वार्ड बना है तो सामान भी आया होगा। मैं एक डॉक्टर हूं। अच्छी तरह से जानता हूं। आईसीयू में 30 चीजें होती हैं और यहां तो तीन भी नहीं है, यदि कोई देख गया कि यह सांसद के गृह क्षेत्र की अस्पताल का आईसीयू है तो मैं तो शर्म से डूबकर मर जाऊंगा।
इसके साथ ही उन्होंने वहां डॉक्टरों की संख्या और जरूरतों को भी जाना और पूछा कि कितने सर्जन हैं और हर महीने कितने ऑपरेशन होते हैं पता चला कि महीने में दो-तीन ही ऑपरेशन होते हैं, तो कहा कि जिला अस्पताल में सिर्फ इतने से ऑपरेशन, यदि जरूरत है तो प्राईवेट डॉक्टरों से चर्चा करें और उन्हें यहां लाएं। ताकि मरीजों को परेशान न होना पड़े।इस दौरान उन्होंने डॉ. कीर्ति गोलिया के कक्ष में पहुंचकर पूछा कि यहां कितनी महिला स्त्री रोग विशेषज्ञ हैं। तब डॉ. गोलिया ने बताया कि यहां 3 महिला चिकित्सक हैं। इनमें डॉ. रजनी छारी अवकाश पर हैं और डॉ. लेखा तिवारी के कक्ष के पास जब वह पहुंचे तो पूछाकि यह कक्ष बंद क्यों है? तब उन्हें बताया गया कि यह महिला चिकित्सक आए दिन छुट्टी पर रहती हैं। डॉ. छारी ने उन्हें बताया कि जब वह सिविल सर्जन थे, तब उन्होंने कई बार उन्हें पत्र लिखे। सीएचएमओ डॉ. जसराम त्रिवेदिया भी उनसे स्पष्टीकरण मांगा गया है। इसके बावजूद भी वह न तो समय पर आती है और न ही पूरे समय ड्यूटी पर रहती है। जब भी कभी बाहर स्वास्थ्य विभाग के काम से जाती है तो उसके बारे में भी जानकारी नहीं दी जाती। वह मनमर्जी से काम कर रही है।
इसके बाद उन्होंने अपर कलेक्टर और जिला अस्पताल के अधिकारियों से चर्चा की और कहा कि इस व्यवस्था में परिवर्तन किया जाए। अस्पताल में अव्यवस्था नहीं होना चाहिए। अस्पताल इस तरह का दिखे कि लोग कहे कि यह जिला अस्पताल है। इस संबंध में वह कलेक्टर के साथ बैठक भी करेंगे और जरूरत पड़ेगी तो लोगों से जनसहयोग भी लिया जाएगा। केंद्र सरकार से जो मदद मिल सकती है उसकी मदद उपलब्ध कराई जाएगी।