अशोकनगर|हितेन्द्र बुधौलिया।
आज से 12वीं कक्षा की परीक्षा शुरू हो गई। परीक्षा देने से एक दिन पहले 12वी क्लास की एक छात्रा को 10वी क्लास का प्रवेश पत्र थमा दिया गया। छात्रा एवं उसके परिवार के लोग शाम को कलेक्टर के बंगले पर पहुंचे । तब कलेक्टर के निर्देश पर जिला शिक्षा अधिकारी ने रातों-रात किसी तरह बच्ची को बारहवीं कक्षा का प्रवेश पत्र दिला कर ऐन वक्त पर उसे परीक्षा में बैठाकर उसकी 1 साल बर्बाद होने से तो बचा ली ।अगर इन सब के पीछे निजी स्कूलों की एक बड़ी मनमानी एवं लापरवाही सामने आई है। जांच में सामने आया है छात्रा रिंकी कलर आर्यमन सिंधिया स्कूल में 12वीं क्लास की छात्रा है ।जबकि इसको प्रवेश हनुमान विद्यालय का दिया गया है। जांच में सामने आया कि आर्यमन सिंधिया स्कूल को 12वीं तक की मान्यता ही नहीं है। यह स्कूल हनुमान स्कूल से अपने विद्यार्थियों को परीक्षा दिलाता है। प्रशासन ने इस मामले में दोनों स्कूलों के खिलाफ जांच बैठा दी है।
कक्षा 12 कला संकाय की छात्रा को इन दोनो विद्यालयों ने बिना देखे परखे कक्षा 10 का प्रवेश पत्र पकड़ा दिया और परीक्षा से 1 दिन पहले जब छात्रा ने प्रवेश पत्र पर गौर किया तो वह प्रवेश पत्र कक्षा 12 की बजाय कक्षा 10 का निकला तो छात्रा के परिवार वालों आनन फानन में शाम 8 बजे के कलेक्ट्रेट बंगले पर पहुंचे एवं कलेक्टर डॉ मंजू शर्मा से छात्रा को परीक्षा दिलबाने की मांग की। कलेक्टर ने जिला शिक्षा अधिकारी आदित्य नारायण मिश्रा को छात्रा को परीक्षा में बैठाने की निर्देश दिए ।जिला शिक्षा अधिकारी ने माध्यमिक शिक्षा मंडल भोपाल में चर्चा कर रातों-रात पूरे दस्तावेज पेश कर दूसरा प्रवेश पत्र कक्षा 12 का प्रवेश पत्र व्हाट्सएप के जरिए मंगवाया फिर छात्रा आज होने वाली परीक्षा में बैठ सकी।
छात्रा ने पत्रकारों से चर्चा करते हुए कहा कि मैं त्रिलोकपुरी कॉलोनी में स्थित आर्यमन सिंधिया पब्लिक स्कूल में पढ़ती है।जबकि अंकसूची हनुमान स्कूल की दी जाती है ।साथ ही उसे प्रवेश पत्र कक्षा 12 की बजाय कक्षा 10 का दे दिया।
इस मामले में हनुमान स्कूल की प्रिंसिपल श्रीमती प्रभा तिवारी ने प्रवेश पत्र में अपनी गलती तो मानी मगर दूसरे स्कूल के बच्चो को अपने स्कूल का प्रवेश पत्र देने की बात स्वीकार करने की बजाय छात्रा को अपने विधालय की स्टूडेंट बताने लगी।
जबकि आर्यमन सिंधिया पब्लिक स्कूल के प्राचार्य राजू जाटव ने बताया कि यह छात्रा उनके ही स्कूल में पढ़ती है और उनके स्कूल की मानता कक्षा 8 तक है। कक्षा 8 के बाद कक्षा 12 तक की मान्यता हम हनुमान पब्लिक स्कूल से लिए हैं ।और इसके बदले उस स्कूल को हमारे द्वारा कमीशन दिया जाता है ।साथ ही श्री जाटव ने बताया कि स्कूल गोराघाट में पदस्थ शासकीय शिक्षक की पत्नी चलाती हैं।
प्रशासन ने भले ही इस मामले में अब जांच बैठा दी है मगर लंबे समय से चल रहा है यह गोरखधंधा आखिर कैसे चलता रहा ।एक स्कूल जिसके पास 12वीं तक की मान्यता नहीं है।वह आखिर कैसे 12वीं तक की क्लास चलता रहा और निरीक्षण करने वाले अधिकारी क्या देखते रहे। दूसरा हनुमान स्कूल में जब बच्ची पड़ती ही नहीं है तो उसको वहां का प्रवेश पत्र कैसे मिल गया । इन सारे सवालों पर जिला शिक्षा अधिकारी आदित्य नारायण मिश्रा का कहना है कि इस पूरे मामले की जांच की जा रही है और इसकी रिपोर्ट ऊपर तक भेजी जाएगी।