जबलपुर, संदीप कुमार। हाईकोर्ट (HC) और एनजीटी (NGT) के निर्देश पर आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया (ASI)ने छतरपुर के बक्सवाहा में अपना सर्वे पूरा कर लिया है बड़ी बात यह है कि जिस पूरे इलाके को सरकार ने हीरा खदान के लिए एक निजी कंपनी को लीज़ पर दिया है वहां पर पुरातात्विक और ऐतिहासिक महत्व की कई चीज़ें मिली हैं। एएसआई (ASI) ने अपनी सर्वे रिपोर्ट राज्य सरकार को भेज दी है जिसमें कहा गया है कि बक्सवाहा में हजारों साल पुरानी 3 बड़ी रॉक पेंटिंग्स और कल्चुरीकालीन मूर्तियां पाई गईं हैं।
एएसआई (ASI) को मिली पहली रॉक पेटिंग लाल रंग से बनाई गई है जो आग की खोज से पहले की बताई जा रही है,वहीं दूसरी रॉक पेंटिंग पाषाण युग से मध्यकाल की है जो लाल रंग और चारकोल से बनाई गई है जिसे आग की खोज के बाद का बताया जा रहा है वहीं एक और तीसरी रॉक पेंटिंग मानव इतिहास को दर्शाती है जिसमें पहाड़ों और गुफाओं पर युद्ध के चित्र उकेरे गए हैं, एएसआई को अपने सर्वे में बक्सवाहा के गांवों में भगवान गणेश और हनुमान के अलावा चंदेल और कल्चुरी कालीन मूर्तियां भी मिली हैं जिनके चित्रों को सर्वे रिपोर्ट में शामिल किया गया है,एएसआई के जबलपुर सर्किल ने अपनी ये सर्वे रिपोर्ट भोपाल सर्किल दफ्तर को सौंप दी है जिसकी एक कॉपी याचिकाकर्ता को भी दी गई है।
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याचिकाकर्ता के मुताबिक एएसआई की सर्वे रिपोर्ट से ये साबित हो गया है कि बक्सवाहा के इलाके और यहां मिली पुरातात्विक महत्व की चीज़ों को सहेजने की जरुरत है क्योंकि इनसे मानव इतिहास के सांस्कृतिक क्रम को समझा जा सकता है, एएसआई की ये सर्वे रिपोर्ट एनजीटी और हाईकोर्ट में मामले की सुनवाई से पहले पेश की जानी है।
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गौरतलब है कि राज्य सरकार ने छतरपुर जिले के बक्सवाहा में 364 हैक्टेयर वन क्षेत्र को हीरा खदान के रुप में आदित्य बिड़ला ग्रुप की एस्सेल माइनिंग कंपनी को सौंपा है जिसके खिलाफ हाईकोर्ट और एनजीटी में नागरिक उपभोक्ता मंच ने याचिका दायर की थी,याचिकाओं में कहा गया है कि हीरा खदान से ढाई लाख से ज्यादा पेड़ों के कटने से जहां पर्यावरण को अपूरणीय नुकसान होगा वहीं बक्सवाहा में मौजूद पुरातात्विक महत्व की रॉक पेंटिंग्स भी नष्ट हो जाएंगी,याचिका में बक्सवाहा की विरासत को सहेजने और हीरा खदान की अनुमति रद्द करने की मांग की गई है।