माँ-पिता और भाई की हत्या के नाबलिक आरोपी की जमानत याचिका खारिज

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पदोन्नति

जबलपुर, संदीप कुमार। माता-पिता और भाई की हत्या के नाबालिग आरोपी की जमानत याचिका हाईकोर्ट ने खारिज कर दी है। हाईकोर्ट के जस्टिस संजय द्विवेदी ने अपने आदेश में कहा कि आरोपी जघन्य अपराध करने के बाद भी दो दिनों तक एटीएम से पैसे निकालकर आनंद से घुमता रहा आरोपी सिर्फ पैसे का प्यासा है और उसे इस अपराध का भली-भांति बोध है।

जानकारी के मुताबिक सागर जिले के मकरोनिया में रहने वाले 17 साल के नाबालिग ने 28 जनवरी 2020 को अपने माता-पिता और भाई की हत्या कर दी थी। आरोपी स्कूल में आयोजित विदाई समारोह के लिए अपनी मां से रुपए मांग रहा था, रुपए देने से इनकार करने पर उसने गला रेतकर अपनी मां की हत्या कर दी थी। उसके पिता आर्मी से सेवानिवृत्त हुए थे और उनके पास लाइसेंसी रिवॉल्वर थी वो बीच बचाव करने आये तभी नाबालिग ने उनकी भी हत्या कर दी। इसके साथ ही अपने भाई को भी गला दबाकर मार डाला। आरोपी ने वारदात को अंजाम देने के बाद एटीएम कार्ड लिया और घर में ताला लगाकर चला गया। भाई-भाभी से बात नहीं होने पर, आरोपी के चाचा ने उससे संपर्क किया लेकिन आरोपी ने गुमराह करते हुए माता-पिता के शहर से बाहर जाने की बात कही। चाचा दो दिन बाद भाई के घर पहुंचे, तो अंदर से बदबू आ रही थी, खिडक़ी से देखने पर तीनों की लाश दिखाई दी। आरोपी ने घर में एक पत्र भी छोड़ा था, जिसमें तीनों की हत्या का जिम्मेदार स्वंय को बताया था।

पुलिस ने धारा 302 तथा 201 के तहत प्रकरण दर्ज करने के बाद आरोपी को गिरफ्तार किया था। आरोपी के एटीएम से रूपए निकालते हुए सीसीटीवी फुटेज भी पुलिस ने बरामद किए थे। जमानत का विरोध करते हुए सरकार की तरफ से बताया गया कि जुवेनाइल एक्ट में संशोधन के अनुसार आरोपी की आयु 16 से 18 के बीच है और उसे अपराध की प्रकृति का बोध है तो नाबालिग होने का लाभ नहीं दिया जा सकता है। याचिकाकर्ता के अधिवक्ता की तरफ से तर्क दिया गया कि आवेदक का कोई नहीं है। एकलपीठ ने अपराध को जधन्य मानते हुए, उक्त आदेश के साथ याचिका को खारिज कर दिया। सरकार की तरफ से अधिवक्ता श्वेता यादव ने पैरवी की है।


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Neha Pandey

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