बारिश का कोहराम: गांगुलपारा जलाशय के पास भू-स्खलन से बालाघाट-बैहर मार्ग बंद

बालाघाट, सुनील कोरे। देशभर में विख्यात टाइगर रिजर्व के रूप में पहचाने जाने वाले कान्हा नेशनल पार्क को देश दुनिया से जोड़ने वाले बालाघाट बैहर मार्ग पर लौगुरघाटी और गांगुलपारा घाटी के बीच भू-स्खलन से मार्ग क्षतिग्रस्त हो गया है। भू-स्खलन हो जाने से बालाघाट से उकवा और उकवा से बालाघाट मार्ग को पूरी तरह से बंद कर दिया है। यह मार्ग सिर्फ कान्हा उद्यान ही नहीं ये बल्कि हिन्दुस्तान कॉपर लिमिटेड मलाजखंड खदान और मैगनीज ओर इंडिया लिमिटेड की उकवा खदान को भी जोड़ता है। बीती रात से हो रही लगातार बारिश के कारण इस मार्ग पर आवागमन को बंद कराने पहुंचे बालाघाट एसडीएम, सीएसपी सहित अन्य स्टाप अचानक हुए लैंडस्लाइड में बाल-बाल बच गये।

बीती रात से हो रही बारिश


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Gaurav Sharma

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पत्रकारिता पेशा नहीं ज़िम्मेदारी है और जब बात ज़िम्मेदारी की होती है तब ईमानदारी और जवाबदारी से दूरी बनाना असंभव हो जाता है। एक पत्रकार की जवाबदारी समाज के लिए उतनी ही आवश्यक होती है जितनी परिवार के लिए क्यूंकि समाज का हर वर्ग हर शख्स पत्रकार पर आंख बंद कर उस तरह ही भरोसा करता है जितना एक परिवार का सदस्य करता है। पत्रकारिता मनुष्य को समाज के हर परिवेश हर घटनाक्रम से अवगत कराती है, यह इतनी व्यापक है कि जीवन का कोई भी पक्ष इससे अछूता नहीं है। यह समाज की विकृतियों का पर्दाफाश कर उन्हे नष्ट करने में हर वर्ग की मदद करती है। इसलिए पं. कमलापति त्रिपाठी ने लिखा है कि," ज्ञान और विज्ञान, दर्शन और साहित्य, कला और कारीगरी, राजनीति और अर्थनीति, समाजशास्त्र और इतिहास, संघर्ष तथा क्रांति, उत्थान और पतन, निर्माण और विनाश, प्रगति और दुर्गति के छोटे-बड़े प्रवाहों को प्रतिबिंबित करने में पत्रकारिता के समान दूसरा कौन सफल हो सकता है।