Balaghat News : मध्य प्रदेश के बालाघाट जिले में अपनी दादी की मौत की गवाह किशोरी की कोर्ट में गवाही के एक दिन पूर्व गोली मारकर हत्या किए जाने और कथित दुष्कर्म को लेकर आदिवासी समाज ने बीते दिनों हल्लाबोल आंदोलन कर आरोपी को फांसी की सजा और उसके घर पर बुलडोजर चलाने की मांग की थी। जिसके दो दिन बाद 24 मई को क्षेत्रीय प्रशासन ने आरोपी के माटे स्थित लगभग 6 डिसमिल में निर्माणाधीन अवैध कच्चे मकान को ढहा दिया है। इस दौरान तहसीलदार राजू नामदेव, नायब तहसीलदार रतनलाल धुर्वे, राजस्व निरीक्षक, पटवारी, कोटवार के अलावा सुरक्षा की दृष्टि से बैहर एडीएसपी के.एल. बंजारे, एसडीओपी अरविंद कुमार शाह, बिरसा थाना प्रभारी रेवलसिंह बरडे, मलाजखंड थाना प्रभारी सुनील उइके, थाना प्रभारी बैहर उनि. रामकुमार रघुवंशी सहित बैहर और अन्य थानों बल मौजूद था।
क्या है पूरा मामला
बता दें कि 24 मई को ग्राम माटे में नाबालिग बालिका का अपहरण कर उसकी गोली मारकर हत्या किए जाने के आरोपी के पिता का अतिक्रमित कच्चा मकान पर प्रशासन की बुलडोजर कार्यवाही को लेकर, आदिवासी संगठन संतुष्ट नहीं है और वह आदिवासियों की आरोपी के घर पर बुलडोजर चलाने की मांग पर लीपापोती करने और नाममात्र की कार्यवाही करने का आरोप लगा रहे है।
बताया जाता है कि किशोरी की हत्या के आरोपी के पुराने घर पर 24 मई को प्रशासन और पुलिस के मौजूदगी में बुलडोजर चलाकर मकान को ध्वस्त कर दिया गया। चूंकि बीते दिनों आदिवासी संगठनों ने रैली निकालकर आरोपी पर सख्त कार्यवाही और उसके घर पर बुलडोजर चलाने की कार्यवाही किए जाने की मांग की गई थी। आरोपी के पुराने कच्चे मकान पर प्रशासनिक कार्यवाही से आदिवासी संगठन संतुष्ट नहीं है, उनका कहना है कि प्रशासन ने जिस मकान को बुलडोजर से ध्वस्त किया है, वह जर्जर था और वहां कोई नहीं रहता है, जबकि इसी से लगभग सौ मीटर दूर, आरोपी का नया निर्माणाधीन मकान और दुकान है।
अखिल भारतीय आदिवासी विकास परिषद अध्यक्ष भुवनसिंह कोर्राम और ग्राम पंच खेमराज उईके का कहना है कि यह आरोपी के खिलाफ आदिवासी संगठन की मांग पर नाममात्र और लीपापोती की कार्यवाही है। पूर्व की तरह ही एक बार फिर पंचायत के ग्रामीणों और आदिवासी संगठन प्रतिनिधियों ने आरोपी के नवीन निर्माण में बने मकान और दुकान की जमीन की जांच किए जाने की मांग को लेकर एसडीएम और पुलिस को आवेदन सौंपा है। उन्होंने कहा कि 1995 तक जिस नई जगह पर आरोपी का मकान और दुकान है, वह छोटे झाड़ का जंगल था। जिससे नवीन मकान और दुकान, अतिक्रमण में है, जिसकी जांच और सीमांकन कराकर इस अतिक्रमण को भी ध्वस्त किया जाए। अब देखना है कि आदिवासी संगठनों की इस मांग पर प्रशासन का क्या एक्शन होता है?
हालांकि इस मामले में आरोपी के परिजनों का कहना है कि सुबह ही मकान तोड़ने का नोटिस चस्पा किया गया। हमें इतना भी समय नहीं मिल पाया कि हम घर के कवेलु उतार पाते। हमने तहसीलदार महोदय से विनती की थी कि वह घर के कवेलु को उतारने दें, लेकिन अचानक से कार्रवाई कर दी गई। जबकि हमें तीन दिन का समय देना था।
बालाघाट से सुनील कोरे की रिपोर्ट