Balaghat News : पुलिस मुखबिरी के शक में नक्सलियों ने की दो ग्रामीणों की गोली मारकर हत्या।

Gaurav Sharma
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बालाघाट, सुनील कोरे। नक्सल प्रभावित बालाघाट क्षेत्र में एक बार फिर नक्सलियों ने दो लोगों की पुलिस मुखबिरी के शक में हत्या कर अपनी धमक दिखाई है। मिली जानकारी अनुसार बालाघाट जिले के कान्हा से लगे मालखेड़ी में नक्सली पुलिस मुखबिर होने के शक में संतोष यादव और जगदीश पटले नामक दो ग्रामीणों को 12 नवंबर की शाम घर से लेकर गये थे जिसके बाद रात लगभग 3 बजे उन्होंने ग्रामीणों की गोली मारकर हत्या कर दी। गोली चलने की आवाज ग्रामीणों ने भी सुनी और जब तक वे पहुंचे तो देखा कि संतोष और जगदीश का शव पड़ा था। घटना के बाद पुलिस बल घटनास्थल की ओर रवाना हो गया है, वहीं घटनास्थल के आसपास के क्षेत्र में सर्चिंग टीम भी रवाना कर दी गई है। पुलिस अधीक्षक ने घटना की पुष्टि की हैं।

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गौरतलब है कि बीते कुछ समय से कान्हा नेशनल पार्क के बफर इलाकों में नक्सलियों की मौजूदगी बताई जा रही थी। बताया जाता है कि पुलिस को इसकी जानकारी थी, लेकिन यह अंदाजा नहीं था कि नक्सली, ग्रामीणों की हत्या जैसी वारदात को अंजाम देंगे। वहीं सूत्रों की मानें तो बीते 6 नवंबर 2020 शुक्रवार को पुलिस और नक्सलियों की मुठभेड़ में पुलिस ने महिला नक्सली खटिया मोचा दलम के विस्तार प्लाटून नंबर 2 की ईनामी महिला नक्सली 25 वर्षीय शारदा उर्फ पुज्जे को नक्सली मुठभेड़ में रात हुई मुठभेड़ में मार गिराया था। छत्तीसगढ़ के बीजापुर जिला अंतर्गत पश्चिम बस्तर निवासी इस महिला पर मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ के बालाघाट, कवर्धा और राजनांदगांव में जिलों में हत्या, हत्या का प्रयास और नक्सली गतिविधियों में शामिल रहने के कुल 18 गंभीर अपराध दर्ज थे। महिला पर मध्यप्रदेश शासन ने 3 लाख और छत्तीसगढ़ शासन द्वारा 5 लाख रूपये का ईनाम घोषित किया गया था।

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इससे पहले बालाघाट पुलिस ने 17 सितंबर 2020 को 8 लाख के नक्सली बादल उर्फ कोसा को जीवित पकड़ने के बाद एक डेढ़ महिने में ईनामी महिला नक्सली को मार गिराने में दूसरी बड़ी सफलता मिली थी। संभावना जताई जा रही है कि महिला नक्सली की मौत को लेकर नक्सलियों को संतोष और जगदीश पर शक था और इसी शक को लेकर नक्सलियों ने दोनो की पुलिस मुखबिर के शक में हत्या कर दी। सूत्रों की मानें तो लगभग एक दर्जन से ज्यादा संख्या में नक्सली थे, जिसमें महिला नक्सली भी शामिल बताई जा रही है। जिन्होंने इस घटना को अंजाम दिया है।

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इस मामले में मीडिया से चर्चा करते हुए पुलिस अधीक्षक अभिषेक तिवारी ने ग्रामीणों की हत्या को नृशंस हत्या करार देते हुए कहा नक्सली बेगुनाह और बेकसूर ग्रामीणों को मार रहे है। अक्सर नक्सली अपने अपराधों का स्वरूप अलग दिखाने के लिए पुलिस मुखबिरी के शक में हत्या की बात कहते है। जबकि दोनो ही ग्रामीणों का पुलिस से कोई सरोकार नहीं था। घटना के बाद नक्सली उन्मूलन में लगे फोर्स को रवाना कर दिया गया है और सर्चिंग भी बढ़ा दी गई है।

 

घटनास्थल से भारत की कम्युनिस्ट पार्टी (माओवादी) खटिया मोचा एरिया कमेटी का एक पर्चा मिला है, जिसमें पुलिस अधीक्षक को प्रलोभन और धमकी देकर पुलिस मुखबिरी करने उकसाने और पुलिस मुखबिरों को पुलिस मुखबिरी से बाहर आकर परिवार और जनता के साथ मिलकर रहने की बात कही गई है, अन्यथा पुलिस मुखबिरों को मौत के लिए तैयार रहने कहा है। हालांकि पुलिस का कहना है कि अक्सर ऐसे पर्चे मिलते है। जिसकी जांच की जा रही है।


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पत्रकारिता पेशा नहीं ज़िम्मेदारी है और जब बात ज़िम्मेदारी की होती है तब ईमानदारी और जवाबदारी से दूरी बनाना असंभव हो जाता है। एक पत्रकार की जवाबदारी समाज के लिए उतनी ही आवश्यक होती है जितनी परिवार के लिए क्यूंकि समाज का हर वर्ग हर शख्स पत्रकार पर आंख बंद कर उस तरह ही भरोसा करता है जितना एक परिवार का सदस्य करता है। पत्रकारिता मनुष्य को समाज के हर परिवेश हर घटनाक्रम से अवगत कराती है, यह इतनी व्यापक है कि जीवन का कोई भी पक्ष इससे अछूता नहीं है। यह समाज की विकृतियों का पर्दाफाश कर उन्हे नष्ट करने में हर वर्ग की मदद करती है।इसलिए पं. कमलापति त्रिपाठी ने लिखा है कि," ज्ञान और विज्ञान, दर्शन और साहित्य, कला और कारीगरी, राजनीति और अर्थनीति, समाजशास्त्र और इतिहास, संघर्ष तथा क्रांति, उत्थान और पतन, निर्माण और विनाश, प्रगति और दुर्गति के छोटे-बड़े प्रवाहों को प्रतिबिंबित करने में पत्रकारिता के समान दूसरा कौन सफल हो सकता है।

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