Balaghat News : देश के मणिपुर में महिलाओं को निर्वस्त्र घुमाए जाने की घटना हो या फिर प्रदेश के सिवनी, नेमावर, सीधी, मैहर सहित अन्य जिलों में बढ़ती आदिवासियों के साथ अत्याचार, शोषण और अनाचार की घटना के खिलाफ, जिले में आदिवासी समाज ने जनाक्रोश रैली निकाली। इस जनाक्रोश रैली में जिले भर के आदिवासी समुदाय के अलावा एससी, ओबीसी और अल्पसंख्यक समुदाय के लोगो ने भी हिस्सा लेकर बढ़ती घटना पर अपना आक्रोश जाहिर किया। वहीं विश्व आदिवासी दिवस 09 अगस्त को जिले में पहली बार आदिवासियों ने खुशी नही बल्कि आक्रोश जाहिर किया। इस दौरान केंद्र और प्रदेश सरकार के खिलाफ, आदिवासी अत्याचारों पर अंकुश नहीं लगा पाने पर नाराजगी भी देखी गई।
बता दें कि जिले से इस जनाक्रोश रैली में हजारों की संख्या हर उम्र के लोग मौजूद थे। जनाक्रोश रैली की शुरुआत रानी दुर्गावती के समाज के भूमकाओं द्वारा गोंगो से किया जायेगा। जिसके बाद जनाक्रोश रैली कलेक्ट्रेट के सामने से होकर आंबेडकर चौक, हनुमान चौक, मेनरोड होते हुए काली पुतली चौक, रानी अवंतीबाई चौक, बिरसा मुंडा चौक, जयस्तंभ चौक होते हुए कलेक्ट्रेट पहुंची। जहां ज्ञापन सौंपा गया। जनाक्रोश रैली में हर चौक में वक्ताओं द्वारा संबोधन के साथ ही चौराहे पर लगी महापुरुषों की प्रतिमा पर माल्यार्पण भी किया गया।
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आदिवासी समुदाय ने सरकार को जनाक्रोश रैली के माध्यम से चेताया
खास बात यह रही कि यह पहली बार है कि आदिवासियों के इस दिवस को आक्रोश के रूप में मनाया। जिसके पीछे सरकारों का आदिवासियों पर हो रहे अत्याचार और शोषण के खिलाफ मौन रहने पर आदिवासी समुदाय ने सरकार को जनाक्रोश रैली के माध्यम से चेताया कि यदि आदिवासियों, अनुसूचित जाति, ओबीसी और अल्पसंख्यकों पर शोषण और अत्याचार की घटनाओं पर अंकुश नही लगा तो इसके दुष्परिणाम भी उन्हें भोगने होंगे। आज जनाक्रोश रैली में आदिवासी समाज ने अपनी वेशभूषा और तीर-कमान एवं अन्य अस्त्र-शस्त्र के साथ प्रदर्शन किया।
आदिवासी विधायक संजय उईके ने कहा कि योजनाबद्ध तरीके से आदिवासियों को खत्म करने का प्रयास किया जा रहा है। देश के मणिपुर से लेकर प्रदेश में घटती आदिवासियों पर घटना इस बात का प्रमाण है। दुर्भाग्य है कि सरकार मौन है। ऐसे में हमे एकजुट होकर इसके खिलाफ खड़े होना है। आदिवासियों पर अत्याचार इसलिए भी हो रहा है कि, आदिवासी क्षेत्र में वन और खनिज संपदा का भंडार है। जिसे सरकार आदिवासियों से छिनकर पूंजीपतियों के हाथो में सौंपना चाहती है, मणिपुर इसका एक उदाहरण है। आदिवासी महिला और बालिकाओं के साथ होती घटनाए पर अंकुश लगाने में केंद्र और प्रदेश की सरकार नाकाम साबित हो रही है, जिससे और घटनाएं बड़ रही है। सभा को आदिवासी नेत्री हिरासन उईके ने भी संबोधित करते हुए एकजुटता के साथ घटनाओं का विरोध करने और किसी भी प्रकार के उन्माद से सतर्क रहने की बात कही।
विश्व आदिवासी पर जनाक्रोश रैली में शामिल दिनेश धुर्वे ने कहा कि मणिपुर हिंसा के बीच मानवता और लोकतंत्र को शर्मसार करने वाली महिलाओं की नग्न परेड की घटना हो या फिर प्रदेश के सिवनी में मॉब लिचिंग, नेमावर, सीधी के मूत्र विसर्जन, एसडीएम के आदिवासी छात्राओं के साथ अश्लील हरकत सहित अन्य प्रदेश में लगातार आदिवासी, अनुसूचित जाति, ओबीसी और अल्पसंख्यक वर्ग के साथ घटित घटनाओं ने आदिवासी समाज के आत्मसम्मान को छलनी किया है। जो बर्दास्त नही किया जाएगा। जिसके खिलाफ एक मंच से आज 9 अगस्त को विश्व आदिवासी दिवस पर जनाक्रोश रैली का आयोजन किया गया।
युवा जिलाध्यक्ष शुभम उईके ने कहा कि देश की सत्ता में बैइे लोग देश का मालिक बनने का प्रयास कर रहे है लेकिन वह भुल गये कि देश की असली मालिक देश की जनता है। वह केवल सेवक है। लगातार आदिवासी महिलाओं के साथ हो रही घटना और मणिपुर में महिलाओं को निर्वस्त्र घुमाये जाने की घटना के बाद भी सत्ताधारी सरकार का खामोश रहना, देश की जनता को भारी पड़ रहा है। बालाघाट से सुनील कोरे की रिपोर्ट
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Amit Sengar
मुझे अपने आप पर गर्व है कि में एक पत्रकार हूँ। क्योंकि पत्रकार होना अपने आप में कलाकार, चिंतक, लेखक या जन-हित में काम करने वाले वकील जैसा होता है। पत्रकार कोई कारोबारी, व्यापारी या राजनेता नहीं होता है वह व्यापक जनता की भलाई के सरोकारों से संचालित होता है।
वहीं हेनरी ल्यूस ने कहा है कि “मैं जर्नलिस्ट बना ताकि दुनिया के दिल के अधिक करीब रहूं।”