बड़ी खबर : आंगनबाड़ी कार्यकर्ता एवं सहायिकाओं के समर्थन में आये नक्सली, टांगे बैनर

Atul Saxena
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Balaghat News :  कई दशकों से नक्सली समस्या से जूझ रहे बालाघाट जिले में नक्सलियों की मौजूदगी का अहसास समय-समय पर नक्सली बैनर और पर्चो के माध्यम से कराते रहते हैं, इस बार नक्सलियों ने बैनर में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान की नीतियों के विरोध के साथ ही आंगनबाड़ी कार्यकर्ता और सहायिकाओ की मांगों का समर्थन किया है।

जिले के बैहर मार्ग पर रूपझर थाना अंतर्गत बंजारी और लौंगुर के बीच उसकाल नाले के पास नक्सलियों द्वारा दो बैनर बांधे गये है। भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (माओवादी) एमएमसी राज्य कमेटी के नाम से बांधे गये पहले बैनर में नक्सलियो ने जिले में पेसा एक्ट को लेकर राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्म और प्रधानमंत्री मोदी एवं मुख्यमंत्री चौहान का जिक्र किया है।

नक्सलियों ने लिखा है कि सोनेवानी-सेलझरी अभ्यारण्य के जल, जंगल, जमीन से सैकड़ो गांवों का विस्थापन करना है, जिसे छिपाने के लिए मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान की सरकार गांव-गांव में जनता को विकास का लोभ दिखा रही है। जिसका हमें विरोध करना है।

बड़ी खबर : आंगनबाड़ी कार्यकर्ता एवं सहायिकाओं के समर्थन में आये नक्सली, टांगे बैनर

जबकि दूसरे बैनर में अन्याय के खिलाफ अपनी मांगों और अधिकारों को हासिल करने तक आंगनबाड़ी कार्यकर्ता एवं सहायिकाओं से आंदोलन को जारी रखने की अपील करते हुए आंगनबाड़ी कार्यकर्ता को 24 हजार, मिनी आंगनबाड़ी कार्यकर्ता को 18 हजार रुपये वेतन देने और उनके नियमितिकरण की बात कही है, वहीं रिटायरमेंट में आंगनबाड़ी कार्यकर्ता को 5 लाख, सहायिका को 3 लाख एकमुश्त राशि देने और पेंशन का लाभ देने की मांग रखी है। साथ ही विभिन्न सरकारी कार्यो के लिए आंगनबाड़ी कार्यकर्ता एवं सहायिकाओं को अलग से राशि की भुगतान करने का जिक्र किया है। फिलहाल पुलिस ने इसकी पुष्टि नहीं की है की बैनर किसने टांगे हैं।

बालाघाट से सुनील कोरे की रिपोर्ट


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पत्रकारिता मेरे लिए एक मिशन है, हालाँकि आज की पत्रकारिता ना ब्रह्माण्ड के पहले पत्रकार देवर्षि नारद वाली है और ना ही गणेश शंकर विद्यार्थी वाली, फिर भी मेरा ऐसा मानना है कि यदि खबर को सिर्फ खबर ही रहने दिया जाये तो ये ही सही अर्थों में पत्रकारिता है और मैं इसी मिशन पर पिछले तीन दशकों से ज्यादा समय से लगा हुआ हूँ....पत्रकारिता के इस भौतिकवादी युग में मेरे जीवन में कई उतार चढ़ाव आये, बहुत सी चुनौतियों का सामना करना पड़ा लेकिन इसके बाद भी ना मैं डरा और ना ही अपने रास्ते से हटा ....पत्रकारिता मेरे जीवन का वो हिस्सा है जिसमें सच्ची और सही ख़बरें मेरी पहचान हैं ....

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