बालाघाट/सुनील कोरे| अवैध रेत उत्खनन, परिवहन और संग्रहण मामले में अब केवल जुर्माना नहीं बल्कि FIR दर्ज करानी होगी। अब तक अधिकांश मामले में माइनिंग विभाग द्वारा अवैध रेत उत्खनन, परिवहन एवं संग्रहण मामले में जुर्माना कार्यवाही कर वाहन और आरोपियों को छोड़ दिया जाता था। लेकिन अब ऐसे मामलो में एफआरआर करना भी अनिवार्य होगा और ऐसे मामले की सुनवाई सीजेएम कोर्ट में होगी जहां सीजेएम इस मामले में फैसला लेंगे।
उच्च न्यायालय खंडपीठ, इंदौर द्वारा एमसीआरसी 49338/2019, जयंत बनाम मध्यप्रदेश राज्य एवं अन्य में संज्ञान लेते हुए मध्यप्रदेश के सभी सीजेएम (मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट) को खान-खनिज से संबंधित ऐसे मामलो में कार्यवाही किये जाने के लिए दिशा-निर्देश जारी किये गये है। जिसके बाद बालाघाट जिले में सीजेएम न्यायालय द्वारा इसके आदेश को माइनिंग विभाग को जारी कर दिया गया है।
गौरतलब है कि अब तक रेत उत्खनन, परिवहन एवं संग्रहण से संबंधित मामलों में जुर्माना अधिरोपित कर संबंधित आरक्षी केन्द्र में बिना अपराधिक प्रकरण पंजीबद्व कर माइंस विभाग द्वारा वाहन और उसके आरोपियों को छोड़ दिया जाता था। लेकिन उच्च न्यायालय खंडपीठ, इंदौर द्वारा जारी किये गये आदेश के बाद अब उत्खनन, परिवहन एवं संग्रहण मामले में वाहन चालकों के खिलाफ भारतीय दंड विधान की धारा 379,414 तथा माइंस और मिनरल्स (डेवलपमेंट एंड रेग्युलेशन) एक्ट 1957 के नियम 2006 की धारा 4/21 तथा मध्यप्रदेश भू-राजस्व संहिता 1959 की धरारा 247 (7) के तहत अपराध दर्ज कराना होगा।
1 जनवरी से 27 मई 2020 तक के मामले की कोर्ट में देनी होगी जानकारी
मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय, इंदौर खंडपीठ के जारी दिशा-निर्देश के बाद बालाघाट के सीजेएम (मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट) द्वारा माइंस विभाग को आदेश जारी करते हुए निर्देशित किया गया है कि 1 जनवरी 2020 से लेकर 27 मई 2020 के सभी प्रकरणों का व्यक्तिवार परीक्षण करें और जिन मामलों में अपराध करने वाले व्यक्तियों के विरूद्ध मामला संबंधित क्षेत्राधिकार रखने वाले आरक्षी केन्द्रो में दर्ज न कराया गया हो, उन सभी मामलो के संबंध में विस्तृत प्रतिवेदन एवं मूल अभिलेख लेकर 6 जून, 2020 या उसके पूर्व इस न्यायालय के समक्ष व्यक्तिशः उपस्थित होकर प्रस्तुत करें। जिन मामलो में अपराध करने वाले व्यक्तियों के विरूद्ध प्रकरण संबंधित क्षेत्राधिकार रखने वाले आरक्षी केन्द्रो में दर्ज कराया गया है तो उसका भी स्पष्ट प्रमाण साथ में प्रस्तुत करें।
न्यायालय में देनी होगी मामलों की जानकारी
माइंस विभाग को जारी आदेश में सीजेएम द्वारा आदेशित किया गया है कि मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय द्वारा पारित उपरोक्त आदेश के परिपेक्ष्य में, भविष्य में खान-खनिज से संबंधित सभी मामलों की विधिवत जानकारी इस न्यायालय की ओर अविलंब प्रेषित करें और साथ ही प्रत्येक माह में की गई कार्यवाहियों के संबंध मे माहवार प्रतिवेदन आगामी माह की 5 तारीख तक इस न्यायालय की ओर प्रेषित किया जाना सुनिश्चित करें।