MP News: “सारस” को भाया मध्य प्रदेश का ये जिला, धान के खेत, नदी का किनारा बने इस खूबसूरत पक्षी की शरण स्थली

महर्षि वाल्मीकि रामायण में सबसे पहले अगर किसी श्लोक का उल्लेख किया है तो इसी क्रोंच पक्षी का किया है। जो काफी खूबसूरत दिखाई देता है। इसे प्रेम, शांति, खुशी का प्रतीक भी माना जाता है। ऐसी मान्यता है कि यही पक्षी जन्म और पुनर्जन्म का प्रतिनिधित्व करता है।

Atul Saxena
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MP News :  इंसानी फितरत और पशु पक्षियों की फितरत में कितना अंतर होता है इसका अंदाजा नक्सलवाद का दंश झेल रहे बालाघाट जिले में दिखाई देता है, नक्सलवाद और प्रकृति के दोहन से जूझ रहा बालाघाट इन दिनों “सारस” पक्षी की खूबसूरती का गवाह बना हुआ है, शास्त्रों में उल्लेखित ये सुन्दर और शांत स्वभाव वाला सारस शायद इस बात का अहसास कराने के बालाघाट के खेतों और नदी के किनारे को अपनी शरण स्थली बनाता है जिससे ये सन्देश इन्सान तक पहुंचे ये शांत और प्रकृति समृद्ध धरती है इसका संरक्षण करें।

धान के खेत और  वैनगंगा नदी का किनारा, सारस पक्षी की शरण स्थली

बालाघाट जिले में धान के खेत और  वैनगंगा नदी का किनारा, सारस पक्षी (क्रोंच) के लिए इन दिनों शरण स्थली बन हुआ है। जिसका खुलासा पक्षियों की गणना करने वाली सेवा संस्था ने किया है। जिले में वन विभाग, जिला पुरातत्व संस्कृति परिषद और स्थानीय किसान सारस मित्र के सहयोग से सारस पक्षी की गणना के दौरान, संस्था ने यह अनुभव किया है।

बालाघाट में सारस की गणना जारी , अब तक 45 देखे गए 

बालाघाट में गणना कार्य प्रकल्प प्रभारी सावन बहेकार ने बताया कि जिले में 25 दलों द्वारा सारस पक्षियों की गणना की गई। दलों ने ऐसे 60 से 70 स्थलों पर सारस या क्रोंच पक्षी के घोंसले या शरण स्थल देखें है। उन्होंने बताया कि बालाघाट के अलावा गोंदिया और भंडारा जिले में भी इस तरह की गणना की गई है। हालांकि इस वर्ष की गणना में पिछले वर्ष की तुलना में 3 सारस पक्षियों की संख्या कमी आई है। बीते वर्ष 2023 में जिले में 48 सारस पक्षी देखें गए थे। जबकि इस इस वर्ष जिले में 45 बालाघाट में, गोंदिया में 28 और भंडारा में 4 पक्षी मिले है।

रामायण में सारस का उल्लेख है 

गणना कार्य प्रकल्प प्रभारी सावन बहेकार ने बताया कि सारस पक्षी को ही संस्कृत में क्रोंच पक्षी के नाम से जाना जाता है। महर्षि वाल्मीकि रामायण में सबसे पहले अगर किसी श्लोक का उल्लेख किया है तो इसी क्रोंच पक्षी का किया है। जो काफी खूबसूरत दिखाई देता है। इसे प्रेम, शांति, खुशी का प्रतीक भी माना जाता है। ऐसी मान्यता है कि यही पक्षी जन्म और पुनर्जन्म का प्रतिनिधित्व करता है। ऐसी किवदंती है कि यह पक्षी अपने साथी के लिए जान भी दे सकता है। जो एक ही घोंसले में वर्षो तक रहता है।

UP का राजकीय पक्षी है सारस 

सारस को उत्तर प्रदेश के राजकीय पक्षी के रूप में मान्यता है। यह गंगा नदी के मैदानी भागों में बहुतायत में पाया जाता है। उन्होंने बताया कि सारस गणना के लिए चिन्हित दल, स्थानीय किसान सारस मित्रों की सहायता से विश्रांति स्थलों पर सुबह 5 बजे पहुंच जाते और सुबह 9 बजे तक पक्षियों की गणना का कार्य करते थे।
जिले में सारस गणना का पूरा अभियान कलेक्टर डॉ.गिरीश कुमार मिश्रा और वनमंडालिधिकारी अभिनव पल्लव, सीईओ जिला पंचायत, एसडीओ वन श्रीमती विनीता बामने की देखरेख में  सेवा संस्था के अविजित परिहार, संस्कृति परिषद के रवि पालेवार और सेवा संस्था के शशांक लाडेकर, कन्हैया उदापुरे, डिलेश कुसराम, विशाल कटरे, प्रशांत मेंढे, प्रविण मेंढे, विकास फरकुंडे, बबलू चुटे, मधु डोये, निलू डोये, कैलाश हेमने, लोकेश भोयर, पप्पु बिमेन, बसंत बोपचे, राहुल भावे, रतिराम क्षीरसागर, निशांत देशमुख, सिंकदर मिश्रा, नखाते, प्रवीण देशमुख, अमित बेलेकर, पवन सोयम, रिशील डाहाके, संदीप राणा, मोहित पटले, निलेश राणे, जितु हरिनखेडे, हसीन चिखलोडे, विजय चित्रिय के  प्रयास से हुआ।
बालघाट से सुनील कोरे की रिपोर्ट 

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पत्रकारिता मेरे लिए एक मिशन है, हालाँकि आज की पत्रकारिता ना ब्रह्माण्ड के पहले पत्रकार देवर्षि नारद वाली है और ना ही गणेश शंकर विद्यार्थी वाली, फिर भी मेरा ऐसा मानना है कि यदि खबर को सिर्फ खबर ही रहने दिया जाये तो ये ही सही अर्थों में पत्रकारिता है और मैं इसी मिशन पर पिछले तीन दशकों से ज्यादा समय से लगा हुआ हूँ.... पत्रकारिता के इस भौतिकवादी युग में मेरे जीवन में कई उतार चढ़ाव आये, बहुत सी चुनौतियों का सामना करना पड़ा लेकिन इसके बाद भी ना मैं डरा और ना ही अपने रास्ते से हटा ....पत्रकारिता मेरे जीवन का वो हिस्सा है जिसमें सच्ची और सही ख़बरें मेरी पहचान हैं ....

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