Balaghat News : दशकों से नक्सली समस्या से जूझ रहे बालाघाट जिले में पिछले कई वर्षों में पुलिस द्वारा नक्सली उन्मूलन अभियान चलाया गया। जिसमें की गई कार्रवाई से नक्सली बैकफुट में है। हालांकि, नक्सली अभी भी बॉर्डर इलाकों के जंगलों में सक्रिय बताए जाते हैं और अपनी उपस्थिति का अहसास बीते कुछ समय से बैनर और पर्चे के माध्यम से कराते रहते है। जिसका एक ताजा मामला शनिवार यानि 02 सितंबर को लांजी क्षेत्र के बकरामुंडी बस्ती के पास से सामने आया है, जहां नक्सली पर्चे मिले है। जिसकी पुष्टि पुलिस अधीक्षक समीर सौरभ ने की है। उन्होंने बताया कि पर्चे को बरामद कर लिया गया है और पुलिस अलर्ट मोड पर है। बता दें कि 20 दिनों में नक्सलियों द्वारा पर्चे फेंके जाने की यह दूसरी घटना है।
12 अगस्त को मिल चुकें है पर्चे
इससे पहले 12 अगस्त को लांजी के पौनी गांव में बैनर और नक्सली पर्चे मिले थे। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, बकरामुंडी पंचायत के वार्ड क्रमांक 01 में ग्रामीणों ने जमीन पर पड़े नक्सली पर्चे देखे। जिसमें नक्सलियों ने भाजपा सरकार को पूंजीपतियों की कठपुतली बताते हुए 21 सितंबर को भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (भाकपा) माओवादी संगठन की स्थापना के 19 साल पूरे होने पर धूमधाम से वर्षगांठ मनाने की बात कही है। यही नहीं बल्कि पर्चे में भाकपा की स्थापना सरकारी तंत्र की खामियों और देश में आर्थिक असमानता के विषय पर लेख किया गया है जबकि एक अन्य पर्चे में नक्सलियों ने शोषित और वंचितों की आवाज शीर्षक से मौजूदा केंद्र सरकार की नीतियों का विरोध किया है, जिसमें गुजराती में लिखा है, “मोदी ना राज मां अंबानी-अदानी मजा मां और जनता जीए सजा मां!” साथ ही अदानी और अंबानी के साथ पीएम की फोटो का साझा किया है।
लोगों के मन में है ये सवाल
अब सवाल ये है कि आखिर बकरामुंडी में ही नक्सलियों ने पर्चे को फेंके? हालांकि, इसकी पृष्ठभूमि पर जाएं तो लांजी का बकरामुंडी गांव वर्तमान समय में यहां से विस्थापित ग्रामीणों में शासन, प्रशासन के प्रति नाराजगी है। एक सप्ताह पहले बकरामुंडी के लगभग 25 परिवारों ने कलेक्ट्रेट पहुंचकर आधारभूत सुविधाओं की मांग की थी। जिन बकरामुंडी के परिवारों ने यह आवाज बुलंद की थी, उन्हें घोर नक्सल प्रभावित क्षेत्र में होने के कारण साल 2007 में बकरामुंडी की बस्ती में विस्थापित किया गया था लेकिन आज भी वह पट्टा सहित मूलभूत सुविधाओं से वंचित है। जिसको लेकर विगत दिनों कलेक्ट्रेट पहुंचकर प्रभावितों ने सुविधाओं की मांग की थी। एक जानकारी के अनुसार, विस्थापित परिवारों को जमीन का हक नहीं मिला है।
बालाघाट से सुनील कोरे की रिपोर्ट