नेटवर्क की तरह चल रहा था शहर में नशीली दवा का कारोबार

बालाघाट, सुनील कोरे। शहर में नशीली दवाओं का कारोबार नेटवर्क के माध्यम से फलफूल रहा था। आसानी से नशीली दवा उपलब्ध हो जाने से युवा, नशीली दवाओं की गिरफ्त में होने लगे थे। शहर में आलम यह था कि जिस नशीली दवाओं को एक निश्चित मात्रा में डॉ. की पर्ची पर दिया जाना चाहिये, वो नशीली दवा किराना दुकान और युवाओं के माध्यम से नशीली दवा का नशा करने वाले युवाओं तक आसानी से पहुंच रही है। जिस पर कोतवाली पुलिस ने वरिष्ठ अधिकारियों के मार्गदर्शन में बड़ी कार्रवाई करते हुए दवा व्यवसायी, किराना दुकानदार और युवाओं को गिरफ्तार किया है, जो नेटवर्क की तरह नशीली दवाओं का कारोबार कर युवाओं को नशीली दवा सप्लाई कर रहे थे।

कंट्रोल रूम में आयोजित प्रेसवार्ता में नशीली दवा से जुड़े अवैध कारोबार का खुलासा करते हुए पुलिस अधीक्षक अभिषेक तिवारी ने बताया कि नगर में नशे की गोलियों से युवाओं द्वारा नशा किये जाने के संबंध में मिल रही सूचना के आधार पर वरिष्ठ अधिकारियों के मार्गदर्शन में मुखबिर तंत्र को सक्रिय कर सीएसपी कर्णिक श्रीवास्तव के नेतृत्व में एक कार्रवाई कोतवाली पुलिस द्वारा की गई, जिसमें मुखबिर की सूचना पर शहर के बैहर रोड शारदा मंदिर के आगे स्थित एक अनाज किराना दुकान में दबिश देकर दुकान संचालक बिसन पिता सोमजी नागेश्वर से नशीली दवा अल्प्राजोलम के 300 गोलियों के 30 पत्ते बरामद किये गये। जिसने पुलिस को पूछताछ में बताया कि वह यह नशे की गोलियां बैहर रोड निवासी सागर भास्कर से लेता है। जिनके खिलाफ पुलिस ने एनडीपीएसएक्ट की धारा 8,22,29 के तहत कायम कर विधिवत गिरफ्तार किया है। जिसके बाद आरोपियों के मेमोरेंडम कथन के आधार पर सागर पिता निलेश भास्कर के बताये अनुसार पुलिस ने ग्रामीण थाना अंतर्गत बगदर्रा निवासी आशीष पिता गेंदलाल तेलासे और विमल पिता किशोर उके को पकड़ा, जिन्होंने पुलिस को पूछताछ में बताया कि वह नशे की अल्प्राजोलम टेबलेट मेनरोड स्थित प्रज्जवल मेडिकल स्टोर्स के संचालक प्रेमनगर निवासी 37 वर्षीय अजय से लाते है, जिनके कथन के आधार पर नशे की दवा गलत तरीके से बेचने के मामले में पुलिस ने आरोपी दवा व्यवसायी को भी गिरफ्तार किया है। सभी लोगों के पास से पुलिस ने अलग-अलग मात्रा में लगभग 600 अल्प्राजोलम की गोलियां बरामद की है।


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Gaurav Sharma

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पत्रकारिता पेशा नहीं ज़िम्मेदारी है और जब बात ज़िम्मेदारी की होती है तब ईमानदारी और जवाबदारी से दूरी बनाना असंभव हो जाता है। एक पत्रकार की जवाबदारी समाज के लिए उतनी ही आवश्यक होती है जितनी परिवार के लिए क्यूंकि समाज का हर वर्ग हर शख्स पत्रकार पर आंख बंद कर उस तरह ही भरोसा करता है जितना एक परिवार का सदस्य करता है। पत्रकारिता मनुष्य को समाज के हर परिवेश हर घटनाक्रम से अवगत कराती है, यह इतनी व्यापक है कि जीवन का कोई भी पक्ष इससे अछूता नहीं है। यह समाज की विकृतियों का पर्दाफाश कर उन्हे नष्ट करने में हर वर्ग की मदद करती है। इसलिए पं. कमलापति त्रिपाठी ने लिखा है कि," ज्ञान और विज्ञान, दर्शन और साहित्य, कला और कारीगरी, राजनीति और अर्थनीति, समाजशास्त्र और इतिहास, संघर्ष तथा क्रांति, उत्थान और पतन, निर्माण और विनाश, प्रगति और दुर्गति के छोटे-बड़े प्रवाहों को प्रतिबिंबित करने में पत्रकारिता के समान दूसरा कौन सफल हो सकता है।