बालाघाट/सुनील कोरे
कोरोना को लेकर घबराहट के चलते बनी भ्रम और भय की स्थिति एक महिला की मौत की वजह बन गई। बालाघाट जिला चिकित्सालय में गर्भवती महिलाओं की जांच में हो रही लापरवाही का यह एक जीवंत प्रमाण है, लेकिन हर बार की तरह इस बार भी चिकित्सक ने महिला में ही बीमारी को मौत की वजह बताया है। हालांकि कोविड सेंटर में महिला को भर्ती कराने को लेकर स्वास्थ्य प्रबंधन के पास कोई जवाब नहीं है।
जानकारी के मुताबिक लांजी निवासी 6 माह की गर्भवती महिला को हालत खराब होने के बाद परिजन उसे शहर के एक निजी क्लिनिक में दिखाने ले गए, महिला चिकित्सक की सलाह पर उसे ट्रामा सेंटर ले जाया गया। यहां महिला का इलाज शुरू होने के बाद जैसे ही उसके बारे में स्वास्थ्य प्रबंधन को पता चला, उनके निर्देश पर महिला को ट्रामा सेंटर के पास ही बनाये गये कोविड सेंटर में भर्ती करा दिया गया। यहां कुछ देर बाद ही महिला की मौत हो गई। महिला के पति के हॉट स्पॉट सेंटर हैदराबाद से घर आने की जानकारी के बाद बिना पूरी जानकारी लिए महिला को ट्रामा सेंटर से कोविड सेंटर में भर्ती कराने के दौरान भ्रम के कारण यह स्थिति बनी जिसके चलते प्रसुता महिला की कोविड सेंटर अस्पताल में मौत हो गई। खास बात यह है कि अस्पताल प्रबंधन महिला को कोविड मरीज नहीं मान रहा है बावजूद उसके शव को कोविड मरीज की तरत पूरे प्रोटोकॉल के तहत कोविड सेंटर से बाहर निकाला गया। जिसको लेकर भी अस्पताल की मानवीय संवेदनशीलता को लेकर सवाल खड़े हो रहे है। सिविल सर्जन डॉ. आर.के. मिश्रा की मानें तो महिला को सांस लेने में समस्या थी और उसका यूरिन भी रूक रहा था। उनका कहना है कि सांस की बीमारी के कारण महिला की मौत हुई है।
बताया जा रहा है कि 30 वर्षीय सरस्वती पति नंदकिशोर कछवाहे, लगभग 6 माह की गर्भवती महिला थी। जिसका पति विगत 5-6 मई को कोरोना के हॉट स्पॉट सेंटर हैदराबाद से अपने घर पहुंचा था। पति के होम क्वारेंटाईन में रहने के बाद गर्भवती पत्नी की हालत बिगड़ने के बाद उसे लेकर परिजन बालाघाट के निजी क्लिनिक में महिला चिकित्सक के पास इलाज के लिए लेकर पहुंचे थे। प्राथमिकी जांच के बाद महिला चिकित्सक ने बीमार महिला को शासकीय अस्पताल में भर्ती कराने की सलाह दी, जिसके बाद परिजन उसे लेकर ट्रामा सेंटर पहुंचे थे। जहां महिला को भर्ती कर उसका प्रारंभिक उपचार किया गया, लेकिन कुछ ही समय बाद पति के कोरोना हॉट स्पॉट सेंटर से आने की स्वास्थ्य प्रबंधन को मिली खबर के बाद महिला को तत्काल ट्रामा सेंटर से कोविड सेंटर में भिजवा दिया गया। जहां शाम महिला की मौत हो गई।
बताया जाता है कि यह जानकारी स्वास्थ्य प्रबंधन को बाद में जानकारी मिली कि महिला का पति 5-6 मई लौटा। जबकि कोरोना के सिम्टम्स शुरूआत में ही दिखाई देते है और यदि शुरूआत में नहीं भी नजर आ रहे है तो प्रोटोकाल के तहत 14 दिनों बाद नजर आने लगते है। लेकिन उसके पति में ऐसे किसी लक्षण के नहीं होने से वह स्वस्थ्य था और इस दौरान उसने पूरी तरह से होम क्वारेंटाईन का पालन किया था। जिसकी पूरी जानकारी पहले न लेकर महिला को ट्रामा सेंटर से कोविड सेंटर में भर्ती कराने और यहां प्रसुता महिला की मौत के बाद अब इसे एक कन्प्युजन बताया जाना, कोविड-19 को लेकर घबराहट और जिम्मेदारी में लापरवाही का मामला प्रतित होता है। जिसमें यदि जिम्मेदारी तय कर कोई कार्यवाही नहीं की गई तो न जाने भविष्य में अन्य कोई और भ्रम, किसी और गंभीर बीमारी में किसी और की मौत का कारण न बन जाए।
इनका कहना है
महिला को शहर के एक निजी क्लिनिक में महिला चिकित्सक को दिखाने के बाद महिला को ट्रामा सेंटर में भर्ती कराया गया था। जहां महिला का पूरा चेकअप हुआ। जिसके बाद उसके पति के हैदराबाद से आने की जानकारी मिलने के बाद उसे कोविड सेंटर में रखा गया था। जहां भी प्रसुता महिला के ईलाज जारी था, किन्तु महिला की सांस की समस्या होने के कारण उसकी मौत हो गई। महिला के ईलाज में किसी प्रकार से कोई कमी नहीं की गई।
डॉ. आर.के. मिश्र, सिविल सर्जन