दो पूर्व मंत्रियों में तकरार, जायसवाल बोले- डॉ. गोविन्द सिंह ग्वालियर-चंबल के सबसे बड़े माफिया

बालाघाट, सुनील कोरे| मध्य प्रदेश में उपचुनाव से पहले बयानबाजी से सियासत गर्म है| अब पूर्व मंत्री डॉ. गोविंदसिंह द्वारा पूर्व खनिज मंत्री प्रदीप जायसवाल को खनिज माफिया कहे जाने पर पूर्व खनिज मंत्री एवं वर्तमान खनिज निगम अध्यक्ष व विधायक प्रदीप जायसवाल ने गोविंद सिंह पर बड़ा हमला करते हुए उन्हें ग्वालियर-चंबल संभाग का सबसे बड़ा भू-खनिज एवं सहकारिता माफिया कहा है।

जारी बयान में खनिज निगम अध्यक्ष प्रदीप जायसवाल ने कहा कि पूर्व मंत्री डॉ. गोविंदसिंह उल्टा चोर कोतवाल को डांटे की कहावत को चरितार्थ कर रहे है। उन्होंने पूर्व मंत्री डॉ. गोविंदसिह पर भ्रष्टाचार से करोड़ो की अर्जित की गई संपत्ति की ईडी से जांच कराये जाने की बात कही। उन्होंने कहा कि तत्कालीन कांग्रेस सरकार में मेरे द्वारा खनिज राजस्व बढ़ाने किये गये कार्यो के लिए मुझे किसी से प्रमाण पत्र की आवश्यकता नहीं है।

बालाघाट में प्रेस को जारी किये गये बयान में मध्य प्रदेश राज्य खनिज निगम के अध्यक्ष प्रदीप जायसवाल ने पूर्व मंत्री डॉ. गोविन्द सिंह के आरोप का जबाब देते हुए आरोप लगाया कि कमलनाथ सरकार में मंत्री रहे डॉ. गोविंद सिंह ने अवैध रूप से खनिज तस्करी, अवैध रूप से जमीनों को हथिया कर सहकारिता में भ्रष्ट्राचार कर 200 करोड़ से ज्यादा की संपत्ति अर्जित की है और इसकी ई.डी. से जांच कराई जाना चाहिये। उन्होंने डॉ. गोविंद सिंह को ग्वालियर चंबल क्षेत्र का सबसे बड़ा खनिज एवं भू-माफिया एवं प्रदेश का सहकारिता माफिया बताया। जायसवाल ने कहा कि सिंह ने कमलनाथ सरकार में मंत्री रहते हुए अफसरों पर दबाव डाला और यूपी तक के अवैध रेत की सप्लाई की। तत्कालीन कमलनाथ सरकार की कैबिनेट बैठक में तक मुख्यमंत्री ने गोविंद सिंह से कहा था कि तुम अपने लोगों को तो अवैध खनन करने से रोको, इसका मतलब साफ है कि ग्वालियर चंबल का असली खनन माफिया कौन है।

श्री जायसवाल कहा कि खनिज मंत्री रहते हुए प्रदेश में अवैध खनन के खिलाफ न सिर्फ पूरे प्रदेश में अभियान चलाया बल्कि पूरे प्रदेश में पहली बार रेत से प्राप्त राजस्व 250 करोड़ से रिकॉर्ड 1400 सौ करोड़ रुपए अर्थात पांच गुना तक राजस्व बढ़ाया। उन्होंने कहा नवीन रेत नीति-2019 तहत जहां-जहां रेत के ठेके हो रहे थे हैं जिससे अवैध खनन बंद होने से डॉ. गोविन्द सिंह की अवैध रेत तस्कंरी से करोड़ो की कमाई बंद हो गई है, इसीलिए डॉ. गोविंद सिंह बौखला गये है और वे नहीं चाहते थे कि रेत के ठेके हों क्योंकि रेत के ठेके होने से उनकी तस्करी बंद हो गई है। उनके द्वारा मुझे खनिज माफिया कहना ये तो उल्टा चोर कोतवाल को डांटने वाली कहावत चरितार्थ हो रही है।

मलखान सिंह से भी बड़े डकैत हैं गोविन्द सिंह : जायसवाल
पूर्व खनिज मंत्री कहते हैं कि समर्पित डकैत मलखान सिंह ने डॉ. गोविंद सिंह की जो हकीकत बताई है उसके मुताबिक तो गोविंद सिंह के यहां ईडी को छापामार कार्रवाई करना चाहिये। उन्होंने कहा कि मलखान सिंह के मुताबिक डॉक्टर गोविंद सिंह दो से तीन दशक पहले घर-घर जाकर इंजेक्शन लगाते थे और 5-10 बटोरने वाले झोला छाप डॉक्टर थे। उनके पास 200 करोड़ की संपत्ति कहां से आ गई। जायसवाल ने कहा कि चंबल क्षेत्र में डकैत मलखान सिंह ने तो आत्म-समर्पण कर दिया पर वर्तमान में डॉ. गोविन्द सिंह उनसे भी बड़े डकैत है। मलखान सिंह तो गरीबो की मदद करते थे पर डॉ. गोविन्द सिंह तो गरीबो को भी लूट रहे है। मंत्री रहते हुये प्रदेश की हजारों सहकारी समितियों से, राशन दुकानों के सेल्समेनों से हर महिने करोड़ो रूपये की वसूली इनके द्वारा की जाती रही है। सहकारिता क्षेत्र को भ्रष्ट एवं बर्बाद करने का श्रेय डॉ. गोविन्द सिंह को ही जाता है। ये सामंतवादी सोच के घाटिया नेता है। सभी जानते है कि हमेशा से इनका व्य्वहार बदजुबान, कुसंस्कारी एवं अमानवीय रहा है।


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न्यूज डेस्क, Mp Breaking News

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