बैतूल, वाजिद खान| मुश्किल घड़ी को कैसे आसान बनाया जा सकता है और इसमें सोशल मीडिया (Social Media) का क्या उपयोग हो सकता है इसकी बानगी मध्य प्रदेश (Madhyapradesh) के बैतूल (Betul) में देखने को मिली। दरअसल मंगलवार को फेसबुक ने फेसबुक फ्यूल (Facebook Fuel) का पहला संस्करण जारी किया है। इसमें भारत की आशा, जनून और संकल्प की कहानियां दिखाई गई है। इस फेसबुक फ्यूल में बैतूल ब्लड बैंक (Betul Blood Bank) को भी शामिल किया गया है।
2 घंटे 44 मिनट की इस डॉक्यूमेंट्री में कई संस्थाओं की सफलता की कहानी बताई गई है। इसमें लॉकडाउन के दौरान आई मुश्किल घड़ी में रक्त की कमी कैसे पूरी करें। सोशल मीडिया के फेसबुक प्लेटफॉर्म की मदद लेकर बैतूल ब्लड बैंक ने इस मुश्किल राह को आसान बनाया। इस पर पूरे 8 मिनट की डॉक्यूमेंट्री दिखाई गई है कि कैसे बैतूल ब्लड बैंक ने लॉकडाउन के दौरान रक्त की पूर्ति के साथ ही रक्तदान के कई रिकार्ड बनाए।
नवंबर के पहले सप्ताह में फेसबुक के द्वारा 15 लोगों की एक टीम बैतूल भेजी गई थी, जिसने जिला अस्पताल के ब्लड बैंक में रक्त लेने से लेकर रक्त चढ़ाने तक की पूरी गतिविधियों को शूट किया और ब्लड बैंक के कार्यों को लेकर जिला चिकित्सालय के सिविल सर्जन डॉ. अशोक बारंगा, ब्लड बैंक की रक्तकोष अधिकारी डॉ. अंकिता सीते और सिकलसेल एवं थैलेसीमिया के मरीजों के परिजनों के साथ रक्तदाताओं से भी वक्तव्य लिए। इस डॉक्यूमेंट्री फिल्म में बैतूल शहर की खूबसूरती के साथ-साथ बैतूल के बाजार और संस्कृति को भी दिखाया गया है।
फेसबुक फ्यूल के रिलीज होते ही मात्र 6 घंटे में 34 लाख व्यूज आए। इसके अलावा इस डॉक्यूमेंट्री फिल्म को 4 हजार लोगों ने शेयर किया और 9 हजार 300 लोगों ने कमेंट्स किया, 397 हजार लाइक आए। इस डॉक्यूमेंट्री फिल्म में लॉकडाउन के दौरान जिन संस्थाओं ने या लोगों ने फेसबुक की मदद से अपने काम को आसान बनाया है, उनकी सफलता की कहानी बताई गई, जिसे लोग बहुत पसंद कर रहे है।
इनका कहना है
रक्तकोष अधिकारी, डॉ.अंकिता सीते का कहना है कि जैसे ही लॉकडाउन शुरू हुआ और कोरोना काल से लोग डर गए। इसी के चलते लगभग 30-35 रक्तदान शिविर कैंसिल कर दिए गए। इसके बाद रक्त की कमी को लेकर हम लोगों को चिंता सताने लगी कि जरूरतमंद मरीजों को रक्त कैसे मिलेगा। इसी को लेकर एक योजना बनाई गई कि सोशल मीडिया पर रक्तदान की अपील की जाए और ब्लड बैंक में कोरोना गाइड लाइन का पालन करते हुए रक्तदान कराया जाए। इसी योजना के तहत ब्लड बैंक के फेसबुक पेज के माध्यम से रक्तदान की अपील की गई, तो लॉकडाउन के दौरान रक्तदाताओं ने अपनी जान की चिंता किए बिना ब्लड बैंक आकर रक्तदान किया। इस दौरान 250 से ज्यादा नए रक्तदाता भी जुड़े। इनमें 18 से 25 वर्ष की आयु के युवा ज्यादा थे|
सिविल सर्जन बैतूल, डॉ. अशोक बारंगा का कहना है कि सोशल मीडिया का उपयोग अगर अच्छे कार्यों में किया जाए, तो उसके परिणाम भी अच्छे आते है। लॉकडाउन के दौरान जब ब्लड बैंक में रक्त की कमी थी, तब हम लोगों ने फेसबुक और सोशल मीडिया के अन्य प्लेटफार्म पर रक्तदान की अपील की, जिससे रक्तदाता तो आगे आए ही, साथ ही इतनी जागरूकता आई कि नए रक्तदाताओं की भी संख्या बढ़ गई|
रक्तदाता, सागर शेषकर का कहना है कि सोशल मीडिया पर हुई अपील का रक्त दाताओं के साथ-साथ नए लोगों पर भी बहुत असर हुआ और वह रक्तदान के लिए खुद आगे आए|