चोरों से की गुजारिश, दीवारों पर चिपकाई एक मार्मिक चिट्ठी

बैतूल, वाजिद खान। आमतौर पर अपनों के हाल-चाल जानने के लिए चिट्ठी (letter)लिखी जाती है लेकिन इन दिनों बैतूल में एक चिट्ठी बड़ी चर्चा में है और हो भी क्यों नहीं,  क्योंकि यह चिट्ठी अपनों के लिए नहीं लिखी बल्कि चोरों के लिए लिखी गई है । बैतूल (Betul) के मलकापुर गांव की दीवारों पर चिपकी इस चिठ्ठी का का टाइटल है “एक पाती चोरों के नाम” ।

दरअसल बैतूल के मलकापुर गांव के मोक्षधाम को सुंदर बनाने के लिए ग्रामीणों ने अपने जन्मदिन और  परिजनों की याद में 70 पौधे रोपित किये थे । इन पौधों की सिंचाई करने के लिए ग्रामीणों ने आपस मे चंदा करके डेढ़ सौ फीट पाइप और वाल खरीदा था । इस पाइप और वाल को तीन दिन पहले अज्ञात चोर चुरा कर ले गए । जिससे पौधों में पानी देने की दिक्कत हो गई है । परेशान ग्रामीणों ने इसकी शिकायत पुलिस में भी की है ,लेकिन इसके साथ ही इन ग्रामीणों ने चोरों को शर्मिंदा करने का एक बहुत ही अनोखा तरीका निकाला । तरीका है “एक पाती चोरों के नाम” इस पाती में ग्रामीणों ने बहुत ही मार्मिक शब्दो में  चोरों से अपील की है कि वो पाइप और वाल वापस रख जाए ।

चिठ्ठी में लिखा है “प्रिय चोर जरा आप सोचिए कि एक ना एक दिन आपको भी यहीं पर आना है। ऐसे में जो आपको लेकर यहां (मोक्षधाम) पर लेकर आएंगे तो क्या आप नहीं चाहोगे कि आपको लाने वाले बड़े-बड़े हरे-भरे पेड़-पौधों की छांव में बैठकर आपको पंच लकड़ी देने तक आराम से बैठ सकें? क्या आप यह चाहोगे कि जिन्होंने आपको कांधा देकर यहां तक लाया है वह धूप-गर्मी में परेशान होते हुए आपकी कपाल क्रिया होने का इंतजार करते रहे? जब आपके शरीर को यहां लाया जाएगा तो इन्हीं पेड़ों के नीचे आप के परिजन, मित्र, भाई, बंधु, धूप से बचेंगे और पेड़ लगाने वालों को धन्यवाद प्रेषित करेंगे। आप अंत समय में भी सुंदर मुक्तिधाम में मुक्ति पा सकोगे। कृपया चोरी कर अपनी अंतिम क्रिया की सुंदर हो रही व्यवस्था को बर्बाद ना करें। अगर यह नहीं भी हुआ तो क्या आप यह चाहोगे कि आपने जिन्हें मोक्षधाम तक पहुंचाया है तो क्रिया कर्म होने तक आप पेड़ों की छांव में बैठ सकें? क्या आपको मोक्षधाम का सौंदर्यीकरण पसंद नहीं है? प्रिय चोर जी हम जानते हैं कि चोरों का भी ईमान और धर्म होता है वह भी इसे मानते हुए चोरी करते हैं लेकिन आपने तो मोक्षधाम तक को नहीं छोड़ा है। खैर जाने-अनजाने में गलती भला किससे नहीं होती है? इसलिए अगर आप से भी हो गई हो तो कोई बात नहीं बस 70 पौधों की सिंचाई करने वाले डेढ़ सौ फीट पाइप और वॉल्व लौटा दें ।”

उधर चिठ्ठी लिखने वाले ग्रमीण प्रेम कांत वर्मा और  नितेश वर्मा का कहना है हमने जो पौधे लगाए थे उनको पानी नहीं दे पाने से हम लोग परेशान हैं इसलिए हमने चोरों के नाम से पाती बनाई है एक पाती चोरों के नाम हमने यह पाती मंदिर दुकान और सार्वजनिक जगह पर चपकाई है जिससे अगर वह चोर वहां आए तो इस पाती को पढ़ें हमने पाती में अच्छे शब्दों का उपयोग किया है अगर उसे शर्म लगेगी तो वह पाइप वापस कर जाएगा।  वहीँ टी आई गंज थाना, जयंत मर्सकोले का कहना है कि ग्रामीणों ने शमशान से पाइप चोरी होने की शिकायत की है मामले की जांच की जा रही है। बहरहाल इस चिठ्ठी को लेकर चोरों पर क्या असर होता ये तो समय बताएगा पर चोरों के नाम चिठ्ठी इन दिनों बड़ी चर्चा में है ।


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Atul Saxena

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पत्रकारिता मेरे लिए एक मिशन है, हालाँकि आज की पत्रकारिता ना ब्रह्माण्ड के पहले पत्रकार देवर्षि नारद वाली है और ना ही गणेश शंकर विद्यार्थी वाली, फिर भी मेरा ऐसा मानना है कि यदि खबर को सिर्फ खबर ही रहने दिया जाये तो ये ही सही अर्थों में पत्रकारिता है और मैं इसी मिशन पर पिछले तीन दशकों से ज्यादा समय से लगा हुआ हूँ.... पत्रकारिता के इस भौतिकवादी युग में मेरे जीवन में कई उतार चढ़ाव आये, बहुत सी चुनौतियों का सामना करना पड़ा लेकिन इसके बाद भी ना मैं डरा और ना ही अपने रास्ते से हटा ....पत्रकारिता मेरे जीवन का वो हिस्सा है जिसमें सच्ची और सही ख़बरें मेरी पहचान हैं ....

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