सतपुड़ा डेम में चायनीज झालर से परेशान मछुआरे, आया रोजी रोटी का संकट सामने 

Atul Saxena
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बैतूल,वाजिद खान। बैतूल से लगे सारणी के सतपुड़ा जलाश्य (Satpura reservoir) में पिछले वर्षों से चायनीज झालर (Chinese Welt) उग आई है जिसके चलते स्थानीय मछुआरों (Fishermen) के लिए बड़ी  मुसीबत खड़ी हो गई है. यहाँ  तक कि मछुआरे मछली पकड़ने डेम में जा नही पा रहे है. जिससे मछुआरों के सामने रोजी रोटी की समस्या भी बनी हुई है | साथ ही मछली पकड़ने जाने वाले मछुआरों की जान को भी खतरा बढ़ने लगा है जिसके कारण जिला कलेक्ट्रेट पंहुचकर इन मछुआरों ने कलेक्टर को ज्ञापन  भी सौंपा, बता दें कि सतपुड़ा ताप विद्युत गृह ( Satpura Thermal Power House) द्वारा चायनीज झालर की सफाई करने को लेकर करोड़ों रुपए के टेंडर जारी किए जाते है इसके बाद भी सतपुडा तवा जलाशय  में चायनीज झालर फलफूल रही है | इतना ही नहीं  इस जलाशय में मछलियों पर खतरा मंडरा रहा है चायनीज झालर पूरे डेम में फैली है और पानी की गहराई तक इसकी जड़ें फैली है जिसमें  फंसकर मछलिया मर रही हैं।

मछुआरों ने बताया कि  वार्ड नम्बर 10 के करीब दो सौ मछुआरों के परिवारों के सामने रोजी रोटी का संकट खड़ा हो गया है. मोहन मोरे ने बताया कि मछुआरों के लिए दस वर्षों के लिए पट्टा स्वीकृत हुआ है जिसका वह 85 हजार रुपये टेक्स सालाना देते है उसे माफ किया जाए | वहीँ  मछुआरे असीम का कहना है कि जब तक डेम से चायनीज झालर साफ नहीं  हो जाती तब तक तो टेक्स माफ् किया जाना चाहिए। डेम में  चायनीज झालर होने की वजह से मछुआरे अपनी नाव लेकर भी अंदर नहीं  जा पा रहे और न ही जाल लगा पा रहे हैं  इतना ही नहीं  डेम का पानी भी प्रदूषित हो रहा है. यही पानी पेयजल के लिए सप्लाई होता है जो कि पीने योग्य नहीं  है | ताप विद्युत गृह द्वारा इस चायनीज झालर को साफ करने के लिए करोड़ो रूपये का ठेका दिया हुआ है जिसके बावजूद इसके ठेकेदार सफाई का काम नहीं  कर रहा।

सतपुड़ा डेम में चायनीज झालर से परेशान मछुआरे, आया रोजी रोटी का संकट सामने 

सतपुड़ा डेम में चायनीज झालर से परेशान मछुआरे, आया रोजी रोटी का संकट सामने 


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पत्रकारिता मेरे लिए एक मिशन है, हालाँकि आज की पत्रकारिता ना ब्रह्माण्ड के पहले पत्रकार देवर्षि नारद वाली है और ना ही गणेश शंकर विद्यार्थी वाली, फिर भी मेरा ऐसा मानना है कि यदि खबर को सिर्फ खबर ही रहने दिया जाये तो ये ही सही अर्थों में पत्रकारिता है और मैं इसी मिशन पर पिछले तीन दशकों से ज्यादा समय से लगा हुआ हूँ....पत्रकारिता के इस भौतिकवादी युग में मेरे जीवन में कई उतार चढ़ाव आये, बहुत सी चुनौतियों का सामना करना पड़ा लेकिन इसके बाद भी ना मैं डरा और ना ही अपने रास्ते से हटा ....पत्रकारिता मेरे जीवन का वो हिस्सा है जिसमें सच्ची और सही ख़बरें मेरी पहचान हैं ....

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