बैतूल डेस्क रिपोर्ट। मध्यप्रदेश में ग्लेंडर्स बीमारी (Glander disease) के कारण एक घोड़े को मौत दे दी गई। इस घोड़े कच जहर देकर मारा गया। घोड़े को तीन मीटर गहरी कब्र में दफना दिया गया है।
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चिंचोली विकासखंड में दिलीप राठौर के पास डांसर नाम का घोड़ा था। डेढ़ महीने पहले वह बीमार हुआ और उसका पशु चिकित्सालय में इलाज किया गया। घोड़े के खून के सैंपल को हिसार की प्रयोगशाला में भेजा गया है जहां उसे ग्लेंडर्स की पुष्टि हुई। ग्लेंडर्स एक संक्रामक रोग है जो तेजी के साथ अन्य जीवों में भी फैल सकता है। कलेक्टर के आदेश के बाद इस घोड़े को शुक्रवार को चार मर्फी किलिंग इंजेक्शन लगाए गए। 10 मिनट बाद घोड़े की मौत हो गई। घोड़े को मौत देने के लिए ग्लैंडर्स एंड फायसी एक्ट (glanders and farcy act 1899) के तहत कार्रवाई की गई।
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आपको बता दें यह कानून ब्रिटिश काल का बना हुआ है और उस समय घोड़े के मालिक को 50 रू मुआवजा मिलता था जो अब 25000 रू हो गया है। जेनेटिक बीमारी ग्लैंडर्स घोड़े, गधे और खच्चरो में होती है और मनुष्यों में भी फैल जाती है। यह बीमारी लाइलाज है और इसीलिए पीड़ित पशु को मारना ही पड़ता है।
डांसर के मालिक चिचोली के दिलीप सिंह राठौर बेहद दुखी हैं। साल भर पहले उन्होंने डांसर को लाख रू में खरीदा था और उसे शादियों के मौके पर ले जाया जाता था। लेकिन लाइलाज बीमारी होने के कारण डांसर को जान से हाथ धोना पड़ा।