भिंड/गणेश भारद्वाज
विश्व (world) और देश (country) के साथ पूरा प्रदेश (state) इस समय कोरोना (corona) की मार से बेहाल है और प्रधानमंत्री (prime minister) व मुख्यमंत्री (chief minister) पूरी ताकत इस संक्रमण से देश और प्रदेश के बचाव में लगे हैं। ऐसे गंभीर समय में भी प्रदेश का एक जिला इस समय रेत माफियाओं के हवाले हैं और इस पूरे मामले में सबसे गंभीर बात है कि खुद पुलिस (police) की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े हो रहे हैं।
हम बात कर रहे हैं भिंड (bhind) जिले की, जहां दो नदियों चंबल और सिंध से रेत का अंधाधुंध अवैध उत्खनन किया जा रहा है और पुलिस है कि बजाए कार्रवाई करने की इसमें पार्टनर (partner) बन गई है, इस बात के आरोप लगाए जा रहे हैं। आरोप लगाने वाला भी कोई और नहीं , खुद पुलिस का ही एक आला अधिकारी है। दरअसल चंबल रेंज (chambal range) के डीआईजी (DIG) राजेश हिंगणकर (rajesh hingankar) ने पिछले 15 दिनों में रेत माफियाओं के खिलाफ सघन अभियान चलाया है और इसके चलते तीन थाना प्रभारियों पर गाज गिर चुकी है। लेकिन मंगलवार को तो हद ही हो गई जब डीआईजी ने एक प्रधान आरक्षक और एक आरक्षक वाहन चालक को थाना प्रभारियों से वसूली के आरोप में निलंबित कर दिया। हैरत की बात यह थी कि यह दोनों पुलिसकर्मी भिंड के वर्तमान एसपी (SP) नागेंद्र सिंह (nagendra singh) के साथ श्योपुर (sheopur) से ही भिंड आए थे, जब उनका तबादला हुआ था। खुद डीआईजी ने इस बात को स्वीकार किया है कि रेत माफियाओं के पुलिस से कनेक्शन के बारे में जांच चल रही है। सूत्रों की माने भिंड में कम से कम 5 थाने ऐसे हैं जहां हर माह करोड़ों रुपए की उवाही सिर्फ रेत के अवैध खनन से होती है ।कई बार यह मुद्दा मत प्रदेश की विधानसभा में भी उठ चुका है लेकिन हर बार सिर्फ मुद्दा उठता ही है और दब जाता है।