भिंड, गणेश भारद्वाज
ग्वालियर उच्च न्यायालय (Gwalior High Court) ने भिंड में पदस्थ एसपी (SP posted in Bhind) को लेकर कड़ी टिप्पणी की है। मामला 11 माह से अधिक समय से गायब नाबालिग को ढूंढने का है और इस पूरे मामले में पुलिस द्वारा बरती जा रही लापरवाही को लेकर हाईकोर्ट ने यह टिप्पणी की है ।
न्यायमूर्ति जी एस आहलूवालिया (Justice GS Ahluwalia) ने मध्य प्रदेश के पुलिस महानिदेशक (Director General of police) से पूछा है कि क्या लॉकडाउन (Lockdown) के चलते सभी मामलों को जांच को ठंडे बस्ते में डाल दिया गया है और क्या मध्यप्रदेश (Madhyapradesh) में किसी भी मामले की जांच नहीं की गई या संबंधित किसी भी आरोपी को गिरफ्तार नहीं किया गया। इस पूरे मामले में भिंड एसपी हमारा विश्वास हो चुके हैं और इसीलिए अब चंबल आईजी को जांच का जिम्मा देकर 5 दिन के भीतर स्टेटस रिपोर्ट पेश करने का निर्देश दे रहे है।
दरअसल, गोहद में रहने वाले व्यक्ति ने मालनपुर में रहने वाले आशीष परमार पर अपनी नाबालिग बेटी को अपरहण कर बंदी रख बनाने रखने का आरोप लगाया था। इस मामले में सितंबर 2019 में याचिका दायर की गई थी जिस पर कोर्ट ने पुलिस को निर्देशित किया था कि वह नाबालिग को बरामद कर कोर्ट में पेश करें लेकिन कई बार अवसर देने के बाद भी पुलिस नाबालिग को न तो बरामद कर पाई और ना ही कोई रिपोर्ट दे पाई ।मार्च में पुलिस को पता चला कि लड़की विशाखापट्टनम में है। जब कोर्ट में इस बात की जानकारी दी गई तो पुलिस ने तर्क दिया कि लॉकडाउन चलते पुलिस वहां नहीं जा सकी। पुलिस की ओर से तर्क दिया गया कि कि लड़की गर्भवती है और डॉक्टर ने कहा है कि 1400 किलोमीटर का सफर एक गर्भवती लड़की के लिए ठीक नहीं होगा, इसलिए पुलिस ने कार्रवाई नहीं की की .अब जांच अधिकारी को विशाखापट्टनम जाने की अनुमति दे दी गई है।